मिस्ट्री, रहस्य, ख़ुफ़िया और मौत ये शब्द कान में पड़ते ही आपका दिमाग एक कहानी बुनने लगता है जो रहस्यों और संदेहों से भरी होती है L हिन्दुस्तान में मिस्ट्री शब्द तब जोर पकड़ता है जब किसी की मौत के रहस्य से पार पाना मुश्किल हो जाये और जब रहस्यमयी घटनाए इशारा करे दुनिया की सबसे ताक़तवर ख़ुफ़िया एजेंसी की तरफ L
हम आपको उन भारतीय वैज्ञानिको के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने जब जब नुक्लियर प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया या उसका हिस्सा बने वो संदिग्ध हालत में मृत पाए गये जो इस बात पर इशारा करते है की आखिर कौन भारत को नुक्लियर सम्पन्न देश नही बनने देना चाहता…..
1. नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के जनक डॉ.होमी जहाँगीर भाभा
होमी जहाँगीर भाभा हिन्दुस्तान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के जन्मदाता की मौत आज तक मिस्ट्री बनी हुई है जो कई अहम् सवालो की तरफ इशारा करती है, की आखिर कौन भारत के अंदरूनी मामलो में नज़र रख रहा है, कौन जो नही चाहता की हिन्दुस्तान एक नुक्लेअर शक्ति के तौर पर उभरे l 1966 में डॉ भाभा बोम्बे से न्यूयार्क जा रहे एयर इण्डिया बोईंग 101 विमान में यात्रा कर रहे थे और माना जाता है की उनकी मृत्यु विमान क्रैश हो जाने के कारण हुई लेकिन न तो उनकी मृत शरीर पाया गया और न ही विमान दुर्घटना का मलबा l
2009 में फ्रांसीसी पर्वतारोही डेनियल रोच ने एक धमाके दार खुलासा किया की 24 जनवरी 1966 को कोई विमान दुर्घटना नही बल्कि इटली के किसी एयरक्राफ्ट या मिसाइल की टक्कर से नष्ट हुआ था । उन्होंने अपनी 80 पन्नों के रिसर्च डॉक्यूमेंट में इसे बड़ी साजिश करार दिया है ।
2009 में फ्रांसीसी पर्वतारोही डेनियल रोच ने एक धमाके दार खुलासा किया की 24 जनवरी 1966 को कोई विमान दुर्घटना नही बल्कि इटली के किसी एयरक्राफ्ट या मिसाइल की टक्कर से नष्ट हुआ था । उन्होंने अपनी 80 पन्नों के रिसर्च डॉक्यूमेंट में इसे बड़ी साजिश करार दिया है ।
2. ISRO भी बन चुका है शिकार
15 सालो में इसरो ने अपने 684 कार्यकर्ताओ को खोया है, 45 मौते हर साल इसरो को बेहद नुकसान पंहुचा रही है l जिसमे 1994 में इसरो एक ख़ुफ़िया स्कैंडल से गुज़रा था जिसमे नांबी नारायण नाम के साइंटिस्ट जो क्रायोजेनिक इंजन डेवलपमेंट प्रोग्राम में कार्यरत थे एक भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गये थे l पुलिस के हिरासत में लिए जाने के कारण उनका कैरियर खत्म हो गया था l जिस प्रोजेक्ट से वो जुड़े थे वो भारत के विकास में बेहद योगदान रखता था l
यह कोई मामूली घटना नही क्योंकि लगातार ऐसा होना हिन्दुस्तान के खिलाफ चल रही साजिश की तरफ इशारा करती है !
यह कोई मामूली घटना नही क्योंकि लगातार ऐसा होना हिन्दुस्तान के खिलाफ चल रही साजिश की तरफ इशारा करती है !
3. के.के.जोशी और अभीष शिवम रेलवे ट्रैक पर मृत पाए गये
अक्टूबर 2013 को विशाखापट्टनम नेवल यार्ड के समीप के रेलवे ट्रैक में कुछ लोगों को दो लाशें दिखाई दी । शिनाख्त में पता चला की ये बॉडी के.के.जोशी(33 वर्ष) और अभीष शिवम(34 वर्ष) की है,जो पहली स्वदेशी परमाणुक सबमरीन INS-अरिहंत के प्रोजेक्ट्स में चीफ इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे । प्रारंभिक जांच में पुलिस ने पाया की इनकी मौत हाई इंटेंसिटी पॉइसन के कारण हुई थी,और इसे रेलवे दुर्घटना से जोड़ने के उद्देश्य से रेल की पटरियों में फेंक दिया गया था,डेढ साल बाद भी ये मर्डर मिस्त्री अनसुलझी है ।
4. पद्मनाभन अय्यर अपने घर में मृत पाए गए
23 जून 2010 को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) में कार्यरत मैकेनिकल इंजीनियर एम पद्मनाभन अय्यर अपने घर में मृत पाए गए,पुलिस के अनुसार हत्यारे ने, डुप्लीकेट चाबी से पहले ही फ्लैट में एंट्री कर ली थी और बाद में गला रेंत कर हत्या कर दी । हत्यारे का अब तक कोई सुराग नहीं मिल सका है ।
5. ऑपरेशन स्माइलिंग बुधा बना था आकर्षण का केंद्र
18 मई 1974 को भारत का पहला नुक्लियर पॉवर विस्फोट का परिक्षण हुआ था जिसे नाम दिया था ऑपरेशन स्माइलिंग बुधा, जिसके बाद से पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम में काफी रूचि दिखाई है । भारत के 10 बड़े वज्ञानिको की हत्या मेहेज़ इत्तेफाक नहीं हो सकती l क्योंकि ईरान ने भी कुछ इसी तरह से अपने वैज्ञानिको को खोया है l
6. ईरान भी खो चूका है अपने कई वैज्ञानिक
ईरान में भी लगातार साइंटिस्ट की कुछ इसी प्रकार से मौते हुई थी l वैज्ञानिक अर्देशिर होस्सेंन पौर की मौत गैस सफोकेशन की वजह से हुई फिर दूसरी बार मस्सौदी अली मोहम्मदी की मौत उनके घर के बाहर बम ब्लास्ट में हुई हैरानी की बात ये की ये सब भी नुक्लियर प्रोजेक्ट में शामिल थे l लेकिन ईरान ने अपने वैज्ञानिको को सुरक्षित रखने में कई कदम उठाये है जिन्हें भारत को भी लागू करना चाहिए ……
7. एल.महालिंगम की मौत को आत्महत्या करार दिया गया
कैगा एटॉमिक पॉवर स्टेशन (कर्नाटक) के सीनियर साइंटिस्ट एल.महालिंगम 8 जून 2009 की सुबह वाक पर निकले पर वापस नहीं लौटे,5 दिन बाद कलि नदी में उनकी बहती हुई लाश को निकाला गया l पुलिस शुरुआती जांचों के बाद इसे ‘आत्महत्या’ का नाम दे दिया,परन्तु परिवार और कलीग्स के अनुसार उनकी सुसाइड का कोई कारण नहीं था ।
8. वैज्ञानिको की मौत को आत्महत्या करार दिया जा रहा है
BARC, DRDO और कैगा एटॉमिक सेंटर के ही वैज्ञानिकों को चुन-चुन के निशाना बनाया जा रहा है,चार साल पहले बार्क में रिसर्चर उमा राव और IGCAR कलपक्कम में इंजीनियर मोहम्मद मुस्तफा की अप्राकृतिक मौत को भी सुसाइड का नाम दे कर लीपापोती की जा रही है ।
9. अमेरिका नही चाहता की भारत नुक्लियर ताकतवर देश के तौर पर उभरे
इस बात के पुख्ता सबूत तो नही मिले लेकिन ऐसा माना जाता है की डॉ होमी जहाँगीर भाभा के प्लेन क्रैश के पीछे सीआईए का हाथ था वो नही चाहता था की भारत का नुक्लियर पॉवर प्रोग्राम सफल हो l इसी तरह से क्रायोजेनिक इंजन प्रोग्राम के तहत भारत लॉन्ग रेंज मिसाइल बनाने वाला था जिसमे नांबी नारायण नाम के वैज्ञानिक को स्कैंडल में फसाया गया जिससे उनका करीयर ही खतरे में पड़ गया था l भारत के इस प्रोजेक्ट से अमेरिका का मल्टी बिलियन डॉलर का स्पेस मार्केट खतरे में पड़ रहा था l अमेरिका अपना दबदबा इस क्षेत्र में कायम रखना चाहता है l
बहरहाल भारत को अपने वैज्ञानिको को सुरक्षित रखने में कड़े कदम उठाने चाहिए जिससे देश के विकास को कोई हानि न पंहुचा सके !!