Tuesday, 19 February 2019

फिटकरी को 10 तरीकों से कर सकते हैं यूज



फिटकरी को अंग्रेजी में एलम कहते है। ये असल में पोटेशियम एल्युमिनीयम सल्फेट है। इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण होते है। आयुर्वेद में इसे कई रोगों में उपयोग किया जाता है। यह रक्तशोधक और रक्तस्तम्भक है। ये एंटीसेप्टिक और एंटी बैक्टीरियल की तरह भी काम करती है।
फिटकरी लाल व सफेद दो प्रकार की होती है। दोनों के गुण लगभग समान ही होते हैं। सफेद फिटकरी का ही अधिकतर प्रयोग किया जाता है। यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है। शरीर की त्वचा, नाक, आंखे, मूत्रांग और मलद्वार पर इसका स्थानिक (बाहृय) प्रयोग किया जाता है। रक्तस्राव (खून बहना), दस्त, कुकरखांसी तथा दमा में इसके आंतरिक सेवन से लाभ मिलता है।
आगे जानिए फिटकरी के बेहतरीन उपयोग :-
– यदि पसीना ज्यादा आता हो तो नहाने के पानी में फिटकरी घोलकर नहाएँ। पसीना आना कम हो जाएगा।
– चेहरे की झुर्रियाँ मिटाने के लिए फिटकरी के टुकड़े को पानी में डुबोकर चेहरे पर हल्के हाथ से मलें। सूखने पर सादा पानी से धो लें। कुछ ही दिनों में झुर्रियां मिट जाएंगी।
-मसूड़ों से खून आता हो तो फिटकरी को पानी में घोल कर के कुल्ला करने से ठीक होता है।
– जहरीला कीड़ा या बिच्छू काट ले तो पानी में फिटकरी का पाउडर डालकर गाढ़ा घोल बनाकर लगाने से आराम मिलता है।
– दांत में दर्द हो तो फिटकरी और काली मिर्च बराबर मात्रा में पीस कर इसे दर्द वाले दांत के मसूढ़े पर लगाएं। इससे दर्द कम हो जाता है।
– शरीर पर लगी छोटी चोट से खून बह रहा हो तो फिटकरि का पाउडर चोट पर छिड़कने से ब्लीडिंग बन्द हो जाता है।
– फिटकरी मिले पानी से कुछ दिन सिर धोने से जुएँ खत्म हो जाते हैं।
– बवासीर में फिटकरी का पाउडर मक्खन में मिलाकर मस्सों पर लगाने से बहुत लाभ होता है।
– नाक से खून आने पर फिटकरी के घोल में रुई डुबोकर नाक में लगाने से खून बंद हो जाती है
– घाव के लिए फिटकरी को भूनकर पीसकर घी में मिलाकर घाव पर लगाने से घाव भर जाता है।
– दाढ़ी बनाने, बाल काटने के बाद फिटकरी रगडे़ या पानी में गीला कर दाढ़ी पर लगायें। इससे दाढ़ी की त्वचा सुन्दर और स्वस्थ होती है।
– जहां पर चींटिया व दीमक हो वहां पर सरसों का तेल लगाकर फिटकरी को डालने से चींटियां व दीमक वहां नहीं आती है।
विभिन्न रोगों में उपचार (Treatment of various diseases)
जननांगों की खुजली: फिटकरी को गर्म पानी में मिलाकर जननांगों को धोने से जननांगों की खुजली में लाभ होता है।
टांसिल का बढ़ना:
  • टांसिल के बढ़ने पर गर्म पानी में चुटकी भर फिटकरी और इतनी ही मात्रा में नमक डालकर गरारे करें।
  • गर्म पानी में नमक या फिटकरी मिलाकर उस पानी को मुंह के अन्दर डालकर और सिर ऊंचा करके गरारे करने से गले की कुटकुटाहट, टान्सिल (गले में गांठ), कौआ बढ़ना, आदि रोगों में लाभ होता है।
  • 5 ग्राम फिटकरी और 5 ग्राम नीलेथोथे को अच्छी तरह से पकाकर इसके अन्दर 25 ग्राम ग्लिसरीन मिलाकर रख लें। फिर साफ रूई और फुहेरी बनाकर इसे गले के अन्दर लगाने और लार टपकाने से टांसिलों की सूजन समाप्त हो जाती है।
घावों में रक्तस्राव (घाव से खून बहना):
  • घाव ताजा हो, चोट, खरोंच लगकर घाव हो गया हो, उससे रक्तस्राव हो। ऐसे घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी को पीसकर इसका पावडर छिड़कने, लगाने व बुरकने से रक्तस्राव (खून का बहना) बंद हो जाता है।
  • शरीर में कहीं से भी खून बह रहा हो तो एक ग्राम फिटकरी पीसकर 125 ग्राम दही और 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर लस्सी बनाकर सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है।
खूनी बवासीर:
  • खूनी बवासीर हो और गुदा बाहर आती हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर गुदा में पिचकारी देने से लाभ प्राप्त होता है। एक गिलास पानी में आधा चम्मच पिसी हुई फिटकरी मिलाकर प्रतिदिन गुदा को धोयें तथा साफ कपड़े को फिटकरी के पानी में भिगोकर गुदे पर रखें।
  • 10 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर इसके चूर्ण को 20 ग्राम मक्खन के साथ मिलाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से सूखकर गिर जाते हैं। फिटकरी को पानी में घोलकर उस पानी से गुदा को धोने खूनी बवासीर में लाभ होता है।
  • भूनी फिटकरी और नीलाथोथा 10-10 ग्राम को पीसकर 80 ग्राम गाय के घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम बवासीर के मस्सों पर लगायें। इससे मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
  • सफेद फिटकरी 1 ग्राम की मात्रा में लेकर दही की मलाई के साथ 5 से 7 सप्ताह खाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में खून का अधिक गिरना कम हो जाता है।
  • भूनी फिटकरी 10 ग्राम, रसोत 10 ग्राम और 20 ग्राम गेरू को पीस-कूट व छान लें। इसे लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी तथा बादी बवासीर में लाभ मिलता है।
घाव:
  • फिटकरी को तवे पर डालकर गर्म करके राख बना लें। इसे पीसकर घावों पर बुरकाएं इससे घाव ठीक हो जाएंगे। घावों को फिटकरी के घोल से धोएं व साफ करें।
  • 2 ग्राम भुनी हुई फिटकरी, 2 ग्राम सिन्दूर और 4 ग्राम मुर्दासंग लेकर चूर्ण बना लें। 120 मिलीग्राम मोम और 30 ग्राम घी को मिलाकर धीमी आग पर पका लें। फिर नीचे उतारकर उसमें अन्य वस्तुओं का पिसा हुआ चूर्ण अच्छी तरह से मिला लें। इस तैयार मलहम को घाव पर लगाने से सभी प्रकार के घाव ठीक हो जाते हैं।
  • फिटकरी, सज्जीक्षार और मदार का दूध इन सबको मिलाकर और पीसकर लेप बना लें। इस लेप को घाव पर लगाने से जलन और दर्द दूर होता है।
  • भुनी हुई फिटकरी को छानकर घाव पर छिड़कने से घाव से सड़ा हुआ मांस बाहर निकल आता है और दर्द में आराम रहता है।
  • आग से जलने के कारण उत्पन्न हुए घाव को ठीक करने के लिए पुरानी फिटकरी को पीसकर दही में मिलाकर लेप करना चाहिए।
  • 5 ग्राम फूली फिटकिरी का चूर्ण बनाकर देशी घी में मिला दें, फिर उसे घाव पर लगायें। इससे घाव ठीक हो जाता है।
किसी भी अंग से खून बहना: एक ग्राम फिटकरी पीसकर 125 ग्राम दही और 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर लस्सी बनाकर पीने से कहीं से भी रक्तस्राव हो, बंद हो जाता है।
नकसीर (नाक से खून बहना):
  • गाय के कच्चे दूध में फिटकरी घोलकर सूंघने से नकसीर (नाक से खून आना) ठीक हो जाती है। यदि नकसीर बंद न हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर उसमें कपड़ा भिगोकर मस्तक पर रखते हैं। 5-10 मिनट में रक्तबंद हो जाएगा। चौथाई चाय की चम्मच फिटकरी पानी में घोलकर प्रतिदिन तीन बार पीना चाहिए।
  • अगर नाक से लगातार खून बह रहा हो तो 30 ग्राम फिटकरी को 100 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उस पानी में कोई कपड़ा भिगोकर माथे और नाक पर रखने से नाक से खून बहना रुक जाता है।
  • गाय के कच्चे दूध के अन्दर फिटकरी को मिलाकर सूंघने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है।
मुंह का लिबलिबापन: काला नमक और फिटकरी समान मात्रा में मिलाकर पीसकर इसके पाउडर से मंजन करने से दांतों और मुंह का लिबलिबापन दूर हो जाता है।
आंखों में दर्द: एक ग्राम फिटकरी, 40 ग्राम गुलाब जल में भिगोकर शीशी में भर लें। इसकी दो-दो बूंद आंखों में प्रतिदिन डालें। इससे आंखों का दर्द, कीचड़ तथा लाली आदि दूर जाएगी। रात को सोते समय आंखों में डालने से तरावट रहती है। इसे रोजाना डाल सकते हैं।
उंगुलियों की सूजन: पानी में ज्यादा काम करने से जाड़ों में उंगुलियों में सूजन या खाज हो जाए तो पानी में फिटकरी उबालकर इससे उंगुलियों को धोने से लाभ होता है।
पायरिया, मसूढ़ों में दर्द, सूजन, रक्त आना: एक भाग नमक, दो भाग फिटकरी बारीक पीसकर मसूढ़ों पर प्रतिदिन तीन बार लगायें। फिर एक गिलास गर्म पानी में पांच ग्राम फिटकरी डालकर हिलाकर कुल्ले करें। इससे मसूढ़े व दांत मजबूत होंगे। इससे रक्त आना और मवाद का आना बंद हो जाएगा।
दांतों का दर्द:
  • भुनी फिटकरी, सरसों का तेल, सेंधानमक, नौसादर, सांभर नमक 10-10 ग्राम तथा तूतिया 6 ग्राम को मिलाकर बारीक पीसकर कपड़े से छान लें। इससे दांतों को मलने से दांतों का दर्द, हिलना, टीस मारना, मसूढ़ों का फूलना, मसूढ़ों से पीव का निकलना तथा पायरिया रोग ठीक होता है।
  • फिटकरी को बारीक पीसकर पॉउडर बना लें। इससे प्रतिदिन मंजन करने से दांतों का दर्द जल्द ठीक होता है।
  • फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर लगातार कुल्ला करने से दांत में हो रहे तेज दर्द से जल्द आराम मिलता है।
  • भुनी फिटकरी 1 ग्राम, कत्था 1.5 ग्राम तथा भुना तूतिया 240 मिलीग्राम इन सबको बारीक पीस छानकर मंजन की तरह बना लें। इसे प्रतिदिन सुबह-शाम इस मंजन से दांतों को मलें। इससे दांत मजबूत होते हैं।
  • दांत में छेद हो, दर्द हो तो फिटकरी रूई में रखकर छेद में दबा दें और लार टपकाएं दांत दर्द ठीक हो जाएगा।
मलेरिया बुखार:
  • एक ग्राम फिटकरी, दो ग्राम चीनी में मिलाकर मलेरिया बुखार आने से पहले दो-दो घंटे से दो बार दें। मलेरिया नहीं आएगा और आएगा तो भी कम। फिर जब दूसरी बार भी मलेरिया आने वाला हो तब इसी प्रकार से दे देते हैं। इस प्रयोग के दौरान रोगी को कब्ज नहीं होनी चाहिए। यदि कब्ज हो तो पहले कब्ज को दूर करें।
  • लगभग 1 ग्राम फिटकरी को फूले बताशे में डालकर उसे बुखार आने से 2 घंटे पहले रोगी को खिलाने से बुखार कम चढ़ता है।
  • लगभग 1 ग्राम फिटकरी में 2 ग्राम चीनी मिलाकर मलेरिया बुखार आने से पहले 2-2 घण्टे के अंतराल में 2-2 बार दें। इससे मलेरिया बुखार कम होकर उतर जाता है।
  • फूली हुई फिटकरी के चूर्ण में 4 गुना पिसी हुई चीनी अच्छी तरह मिला लें। इसे 2 ग्राम की मात्रा में गुनगुने पानी के साथ 2-2 घंटे के अंतर पर 3 बार लें। इससे मलेरिया बुखार में लाभ होता है।
दस्त और पेचिश:
  • फिटकरी 20 ग्राम और अफीम 3 ग्राम को पीसकर मिला लें। सुबह-शाम इस चूर्ण को दाल के बराबर पानी के साथ रोगी को पिलाएं इससे दस्तों में लाभ होगा। फिर तीन घंटे बाद ईसबगोल की भूसी के साथ दें तो पेचिश बंद हो जाएगी और खून का आना भी बंद हो जाएगा।
  • 120 मिलीग्राम फिटकरी को जलाकर शहद के साथ एक दिन में 4 बार पीने से खूनी दस्त और पतले दस्त का आना बंद हो जाता है। खाने में साबूदाने की खीर या जौ का दलिया लें।
  • 1 ग्राम फिटकरी को 1 कप छाछ के साथ एक दिन में 3 बार पीने से गर्मी के कारण आने वाले खूनी दस्तों में लाभ मिलता है।
  • 20 ग्राम फिटकरी और 3 ग्राम अफीम को मिलाकर पीसकर चूर्ण बनाकर रख दें, फिर इस बने चूर्ण को थोड़े से पानी के साथ पीने से दस्त में लाभ मिलता है।
  • फिटकरी को भूनकर लगभग 2 ग्राम बेल के रस में मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
  • भुनी हुई फिटकरी को गुलाब के जल के साथ मिलाकर पीने से खूनी दस्त आना बंद हो जाता है।
आंतरिक चोट: चार ग्राम फिटकरी को पीसकर आधा किलो गाय के दूध में मिलाकर पिलाने से लाभ प्राप्त होता है।
सूजाक:
  • सूजाक में पेशाब करते समय जलन होती है। इसमें पेशाब बूंद-बूंद करके बहुत कष्ट से आता है। इतना अधिक कष्ट होता है कि रोगी मरना पसन्द करता है। इसमें 6 ग्राम पिसी हुई फिटकरी एक गिलास पानी में घोलकर पिलाएं। कुछ दिन पिलाने से सूजाक ठीक हो जाता है।
  • साफ पानी में पांच प्रतिशत फिटकिरी का घोल बनाकर लिंग धोना चाहिए।
  • फिटकरी, पीला गेरू, नीलाथोथा, हराकसीस, सेंधानमक, लोध्र, रसौत, हरताल, मैनसिल, रेणुका और इलायची इन्हें बराबर लेकर बारीक कूट पीस छान लें। इस चूर्ण को शहद में मिलाकर लेप करने से उपदंश के घाव ठीक हो जाते हैं।
हाथ-पैरों में पसीना आना: यदि पसीना आए तो फिटकरी को पानी में घोलकर इससे हाथ-पैरों को धोएं। इससे पसीना आना बंद हो जाता है।
सूखी खांसी: लगभग 10 ग्राम भुनी हुई हुई फिटकरी तथा 100 ग्राम चीनी को बारीक पीसकर आपस में मिला लें और बराबर मात्रा में चौदह पुड़िया बना लेते हैं। सूखी खांसी में एक पुड़िया रोजाना 125 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ सोते समय लेना चाहिए। इससे सूखी में बहुत लाभ मिलता है।
गीली खांसी:
  • 10 ग्राम भुनी हुई फिटकरी और 100 ग्राम चीनी को बारीक पीसकर आपस में मिला लें और बराबर मात्रा में 14 पुड़िया बना लें। सूखी खांसी में 125 ग्राम गर्म दूध के साथ एक पुड़िया प्रतिदिन सोते समय लेना चाहिए तथा गीली खांसी में 125 मिलीलीटर गर्म पानी के साथ एक पुड़िया रोजाना लेने से गीली खांसी लाभ होता है।
  • फिटकरी को पीसकर लोहे की कड़ाही में या तवे पर रखकर भून लें। इससे फिटकरी फूलकर शुद्ध हो जाती है। इस भुनी हुई फिटकरी का कई रोगों में सफलतापूर्वक बिना किसी हानि के उपयोग किया जाता है। इससे पुरानी से पुरानी खांसी दो सप्ताह के अन्दर ही नष्ट हो जाती है। साधारण दमा भी दूर हो जाता है। गर्मियों की खांसी के लिए यह बहुत ही लाभकारी है।
श्वासदमा:
  • आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी शहद में मिलाकर चाटने से दमा, खांसी में आराम आता है। एक चम्मच पिसी हुई फिटकरी आधा कप गुलाब जल में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से दमा ठीक हो जाता है।
  • एक गांठ सोंठ, सफेद फिटकरी का फूला दो ग्राम, हल्दी एक गांठ, 5 कालीमिर्च को चीनी में मिलाकर खाने से श्वास और खांसी दूर हो जाती है। बारहसिंगा की भस्म 2 ग्राम, भुनी हुई फिटकरी एक ग्राम, मिश्री 3 ग्राम मिलाकर पानी से सुबह के समय पांच दिनों तक लगातार सेवन करना चाहिए। इससे श्वास रोग नष्ट हो जाता है।
  • आग पर फुलाई हुई फिटकरी 20 ग्राम तथा मिश्री 20 ग्राम इन दोनों को पीसकर रख लें। इस चूर्ण को 1 या 2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह के समय सेवन करने से श्वास रोग नष्ट हो जाता है।
  • फूली हुई फिटकरी 120 मिलीग्राम की मात्रा में मुंह में डाल लें और चूसते रहें। इससे न कफ बनता है और न ही दमा रोग होता है।
  • फूली हुई फिटकरी और मिश्री 10-10 ग्राम पीसकर रख लेते हैं। इसे दिन में एक-दो बार डेढ़ ग्राम की फंकी ताजा पानी के साथ लेना चाहिए। इससे पुराना दमा भी ठीक हो जाता है। दूध, घी, मक्खन, तेल, खटाई, तेज मिर्च मसालों से परहेज रखना चाहिए। मक्खन निकला हुआ मट्ठा तथा सब्जियों के सूप (रस) आदि लेना चाहिए।
  • पिसी हुई फिटकरी एक चम्मच, आधा कप गुलाबजल में मिलाकर सुबह-शाम पीने से दमा ठीक हो जाता है।
गर्भपात: पिसी हुई फिटकरी चौथाई चम्मच एक कप कच्चे दूध में डालकर लस्सी बनाकर पिलाने से गर्भपात रुक जाता है। गर्भपात के समय दर्द, रक्तस्राव हो रहा हो तो हर दो-दो घंटे से एक-एक खुराक दें।
बांझपन: मासिक-धर्म ठीक होने पर भी यदि सन्तान न होती हो तो रूई के फाये में फिटकरी लपेटकर पानी में भिगोकर रात को सोते समय योनि में रखें। सुबह निकालने पर रूई में दूध की खुर्चन सी जमा होगी। फोया तब तक रखें, जब तक खुर्चन आती रहे। जब खुर्चन आना बंद हो जाए तो समझना चाहिए कि बांझपन रोग समाप्त हो गया है।
कान में चींटी चली जाने पर: कान में चींटी चली जाने पर कान में सुरसरी हो तो फिटकरी को पानी में घोलकर पीने से लाभ मिलता है।
बिच्छू के काटने पर: बिच्छू के काटने पर फिटकरी को पानी में पीसकर लेप करने से बिच्छू का विष उतर जाता है।

Wednesday, 6 February 2019

ये हैं पेट में गैस बनने की असली वजहें, ऐसे करें दूर



ज्यादातर लोगों को गैस की प्रॉब्लम रहती है। लेकिन कई लोग इस प्रॉब्लम को मामूली समझ कर इग्नोर करते हैं। लेकिन इसके कारण भूख कम होना, चेस्ट पेन, सांस लेने में परेशानी या पेट फूलना जैसी प्रॉब्लम होने लगती है। अगर गैस की वजहों के बारे में पता चल जाए तो इससे आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। गैस्ट्रिक प्रॉब्लम होने की 5 वजहों के बारे में और साथ ही ये भी कि कैसे बचा जाए।
बैक्टीरिया – पेट में अच्छे और ख़राब बैक्टीरिया का बैलेंस बिगड़ जाने से गैस बनती है कई बार ये इन्बैलेंस किसी बीमारी के साइड इफ़ेक्ट के कारण भी हो सकता है लहसुन, प्याज, बीन्स, जैसी अच्छे ख़राब बैक्टीरिया में बैलेंस बिगाड़ने के लिए जिमेदार होती है इन्हें अवॉयड करें
डेरी प्रोडक्ट्स – उम्र बढ़ने के साथ डाईजेशन धीमा होने लगता है ऐसे में दूध और दूध से बनी चीजें(दही छोड़कर) ठीक तरह से डाईजेस्ट नही हो पातीं और गैस बनती है 45 प्लस लोग डाइट में सिर्फ दही शामिल करें बाकी डायरी प्रोडक्ट का यूज कम कर दें
कब्ज – कब्ज की प्रॉब्लम होने पर बॉडी के टॉनिकस ठीक तरह से बाहर नही आ पाते इनकी वजह से गैस बनने लगती है दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीयें डाइट में फाइबर वाले फूड्स की मात्रा बढाएं
एंटीबायोटिक्स – कुछ एंटीबायोटिक्स के साइड इफेक्ट्स से पेट में अच्छे बैक्टीरिया कम हो जाते है इससे डाईजेशन खराब होता हिया और गैस बनने लगती है अगर एंटीबायोटिक्स लेने के बाद गैस बनने की प्रॉब्लम आए, तो डॉक्टर से बात करके गस्टरो रेजिस्टंट दवाई लिखने को कहें
जल्दी में खाना – कई बार जल्दी में खाने से फूड को ठीक से चबा नही पते है इसके कारण गैस की प्रॉब्लम हो सकती है खाना आराम से चबाकर खाएं ताकि वह आसानी से डाईजेस्ट हो सके खाते समय बातें न करें
फ़ूड अलर्जी – ब्रेड और पिज़्ज़ा जैसे फूड्स कुछ लोगों को डाईजेस्ट करने में प्रॉब्लम आती है इनकी अलर्जी होने की वजह से गैस बनती है मेदे से बनी चीजें, जंक फ़ूड और बाहर का तला हुवा खान अवॉयड करें
हार्मोनल चंजेस – कई बार उम्र के साथ बॉडी होने वाले होर्मोंज चंजेस के कारण डाईजेशन खराब होने लगता है इससे गैस की प्रॉब्लम होती है बैलेंस डाइट लेने और रोज 30 मिनट एक्सरसाइज करने से डाईजेशन सुधारने में मदद मिलेगी
 पेट की प्रॉब्लम के लिए ये विडियो जरुर देखे >>

अगर आपने की ये 8 गलतियां, तो नहीं घटा पाएंगे वजन- इस तरीके से घटाएं मोटापा


हमें खाने के डेढ़ घंटे बाद पानी पीना है, ये याद रखे कि डेढ़ घंटे बाद ही पानी पीना है. लेकिन पानी कैसे पीना है, ये बहुत महत्व की बात है. आप अभी सामान्य रूप से पानी कैसे पीते है, एक गिलास पानी भरा मुह में लगाया गट गट गट एक बार में ही पी लिया, गिलास एक बार में ही ख़त्म. कुछ लोग मुंह खोल लेते है, और खोलकर ऊपर से गिराते है. और पानी लगातार गटकते जाते है ये दोनों तरीके बहुत गलत है.
अगर आप घट घट घट लगातार पानी पी रहे है तो आपके शरीर में तीन रोग तो जरुर आने वाले है, पहला Appendicitis, दूसरा हर्निया (आंतों का उतरना) और तीसरा Hydrocele. ये हर्निया सबसे ज्यादा उन्ही लोगो को आता है जो पूरा गट गट के एक बार में ही पानी पीते है और जो Hydrocele है ये थोड़ी उम्र के बाद आती है विशेष रूप से ये पुरषों में आती है. हर्निया तो माताओं में भी आ जाता है लेकिन ये Hydrocele मर्दों की बीमारी है. ये तीनो रोग उन लोगो को जरुर आते है जो एक साथ पूरा लोटा या गिलास पानी गटकते है
मतलब ये कि एक साथ गट गट पानी पीना अच्छा नही है तो आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि पानी कैसे पीना है. तो हम आपको भाई राजीव दीक्षित जी द्वारा बताया गया तरीका बताते है. जो पानी पिने का सबसे उत्तम नियम है. आयुर्वेद में पानी पीने का सही तरीका वही बताया गया है जैसे आप चाय पीते है जैसे आप कॉफ़ी पीते है और जैसे आप गर्म दूध पीते है. सिप-सिप करके पीना है. एक सिप लिया फिर थोड़ी देर बाद दूसरा सिप लिया फिर थोड़ी देर बाद तीसरा सिप लेना है. अगर आप सिप करके पानी पी रहे है तो मैं आपको जितने चाहे मर्जी के स्टाम्प पेपर पे लिखकर देने को तैयार हु कि जो भी व्यक्ति जिंदगी में सिप करके पानी पिएगा, आयुर्वेद की गारंटी है कि जिंदगी में कभी भी उसको मोटापा नही आ सकता. कभी भी उस व्यक्ति का वजन नही बढ़ेगा. जितना वजन होना चाहिए, अगर पानी सिप करके पी रहे है तो जिंदगी भर उतना ही वजन रहेगा.
आप उसका उल्टा प्रश्न पूछ सकते है कि अगर वजन बढ़ गया है तो, तो आप बिलकुल चिंता ना करे. आप सिप करके पानी पी लीजिये 6 से 7 महीने में 10 किलो वजन आपका घट जायगा. ये जो मोटापा है, ये धीरे धीरे आया है, एक दम नहीं आया है. इसलिए धीरे धीरे ही कम होगा. यही प्रकृति का नियम है. अगर आप इसके विपरीत जाकर वजन कम करेंगे तो एक बार तो कम हो जायेगा लेकिन जैसे ही आप उस चीज को छोड़ दोगे पहले से भी ज्यादा मोटापा आ जाएगा.
अब आपके मन में एक सवाल आयेगा कि पानी ऐसे पीने से वजन ज्यादा घट गया तो?. उसकी आप बिलकुल भी चिंता मत करिये, जितना बढ़ा हुआ है उतना ही घटेगा. घटने के बाद स्थिर हो जाएगा. आप हमेसा सिप करके ही पानी पीजिये. इसका दूसरा फायदा ये होगा कि अभी आप कल से ही देखेंगे, अगर सिप करके पानी पिने की आदत अपने डाली तो ये जो घुटने का दर्द है ये 7 दिन लगातार पानी ऐसे पीने से 25 % ख़त्म हो जायेगा. ऐसे ही अगर एडी का दर्द है, या जॉइंट का पैन ये तो 7 दिन में 100 % खत्म हो जायगा.
ये जो जॉइंट में पैन आपको होता है ये 25 से 30% 7 दिन में कम हो जायगा और सवेरे सवेरे उठते ही जिनको सर दर्द होता है, चक्कर आते है, ये 7 दिन में तीनो ही गायब हो जायंगे. पहला सूत्र था खाना खाने के बाद पानी नही पीना है, डेढ़ घंटे के बाद पीना है. और अगर कुछ पीना है  तो सुबह जूस पीना है, दोपहर को लस्सी या छांछ पीनी है, रात को दूध पीना है और दूसरा सूत्र ये है कि पानी हमेसा घूंट घूंट थोडा थोडा करके पीना है.
इस विडियो में देखिए कैसे मोटापा कम होगा ;

ये है वो 8 गलतियां

वजन घटाने के लिए सही रुटीन और डाइट प्लान फॉलो करना काफी जरूरी होता है। अगर हम दिनभर की एक्टिविटीज में कुछ ऐसी चीजें खा लेते हैं जिनमें कैलोरी की काफी मात्रा होती है तो वजन तेजी से बढ़ने लगता है। डाइट से जुड़ी कुछ गलतियों का ध्यान रख कर हम मोटापे से बच सकते डाइट से जुड़ी ऐसी 8 गलतियां जो वजन बढ़ाती हैं.
खाने के बीच या बाद में पानी पीना  – खाने के बीच में ज्यादा पानी पी लेने से खाना सही तरीके से डाईजेस्ट नही हो पाता ऐसे में खाना फैट में बदल जाता है जिससे मोटापा बढ़ने लगता है, खाना के 30 मिनट पहले और एक घंटे बाद ही पानी पिएं
टी.वी देखते हुए खाना – रोज लम्बे समय तक टी.वी. देखते हुए खाना खाने से ओवर डाईटिंग हो जाती है ऐसे में अगर हम हाई कैलोरी वाले स्नैक्स खाते तो मोटापा तेजी से बढ़ने लगता है
रोज एक तरह का फ़ूड खाना – रोज एक ही तरह के फ़ूड खाने से बॉडी को जरुरी न्यूट्रीयंट्स नही मिल पाते है ऐसे में मेटाबोलिजम स्लो हो जाता है किस्से मोटापा बढ़ने लगता है
कॉफ़ी पीना – दिन में 2 या 3 से ज्यादा कॉफ़ी पीने और साथ में स्नैक्स लेने से बॉडी को ज्यादा मात्रा में कैलोरी मिलने लगती है ऐसे में फैट बढ़ने लगता है. इसमे केफीन होता है, जो नशे की तरह काम करता है.
नाश्ता न करना – सुबह का नाश्ता न करने से बॉडी को पर्याप्त एनर्जी नही मिल पाती है इससे दिनभर कुछ न कुछ खाने की इच्छा होती है इससे वजन बढ़ने लगता है. सुबह पेट भरकर खाना खाए. रातको कम खाना खाएं
स्नैक्स खाना – दिनभर बैठे रहने और स्नैक्स खाने से बॉडी को हाई कैलोरी मिलती है ऐसे में तेजी से वजन बढ़ने लगता है
शराब पीना – शराब पीने से बॉडी को काफी मात्रा में कैलोरी मिलती है इसके बाद खाना खाने और तुरंत सो जाने से मोटापा बढ़ने लगता है
इस विडियो में देखिए कैसे मोटापा घटा सकते है, वो भी बिना एक्सरसाइज >>

धीमा जहर (Slow Poison) हैं ये 10 फूड ! बिल्कुल छोड़ दें या कम खाएं



फूड डेस्क। ब्रिटेन के प्रोफेसर ज्होन युडकीन ने अपने रिसर्च से साबित किया है कि शक्कर व्हाइट प्वाइजन है। “इस रिसर्च में जो उन्होंने बताया ये सब राजीव भाई 10 साल पहले ही बता चुके थे”. इसे खाने से ब्लड में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता है जिससे ब्लड वेसल्स की दीवारें मोटी हो जाती हैं और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ती है। सिर्फ शक्कर ही नहीं बल्कि और भी कई फूड है जिनका असर स्लो प्वाइजन की तरह बॉडी पर होता है।
हम बता रहे हैं ऐसे ही 10 फूड के बारे में ;
शक्कर: इसे खाने से लीवर में गलाइकोजन की मात्रा कम होती है, जिससे मोटापा, थकान, माइग्रेन, अस्थमा और डायबिटीज बढ़ सकती है, ज्यादा खाने से बुढ़ापा जल्दी आता है
आयोडीन नमक :- इसमे सोडियम की मात्रा अधिक होती है, ज्यादा खाने से हाई BP की संभावना बढती है जिससे हार्ट अटैक हो सकता है. इससे कैंसर और आस्तियोपोरोसिस के चांस बढ़ते है.हमेसा काला या सेंधा नमक इस्तेमाल करे
मैदा :- मैदा बनाने की प्रोसेस में फाइबर निकल जाते है, ज्यादा मैदा खाने से लगातार पेट की प्रॉब्लम होती है. इसमे बलिचिंग एजेंट होते है. जो खून पतला करते है और हार्ट प्रॉब्लम बढ़ाते है
कोल्ड ड्रिंक :- इसमे शक्कर और फास्फोरिक एसिड की मात्रा ज्यादा होती है, ज्यादा कोल्ड ड्रिंक पिने से ब्रेन डैमेज या हार्ट अटैक हो सकता है, और इससे बड़ी आंत तक सड जाती है अमिताभ बच्चन के साथ यही हुआ था
फ़ास्ट फ़ूड :- इसमे  मोनोसोडियम ग्लूटामेट होता है जिससे ब्रेन पॉवर कम होती है और मोटापा तेजी से बढ़ता है. साथ ही हार्ट प्रॉब्लम का खतरा बढ़ता है.
अंकुरित आलू :-  इसमे ग्लाइकोअल्केलाइड्स होते है जिससे डायरिया हो सकता है, इसी तरह के आलू लगातार खाने से सिर दर्द या बेहोशी हो सकती है
मशरूम :- कच्चे मशरूम में कार्सिनोजेनिक कंपाउंड होते है जिससे कैंसर के चांस बढ़ते है इसलिये मशरूम को अच्छी तरह उबालने के बाद ही यूज़ करना चाहिए.
राजमा :- कच्चे राजमा में ग्लाईकोप्रोटीन लेकितन होता है जिससे उलटी या इनडाईजेशन की प्रॉब्लम लगातार बनी रहती है. इसलिये राजमा को हमेशा अच्छी तरह उबालकर खाना चाहिए
जायफल:- इसमे myristicin होता है जिससे बार – बार हार्ट रेट बढती है, उलटी और मुह सूखने की प्रॉब्लम लगातार बनी रहती है. ज्यादा खाने से ब्रेन पॉवर कम होती है.