Thursday, 21 May 2015

फोर्ड फाउंडेशन क्या है? फोर्ड फाउंडेशन को समझिए....... !


फोर्ड मोटर्स कम्पनी के मालिक व अमेरिका के मूल निवासी हेनरी फोर्ड और एडसेल फोर्ड ने 15 जनवरी 1936 में फोर्ड फाउंडेशन नामक NGO का गठन किया ! NGO मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर मानव कल्याण को बढ़ावा देना था, फोर्ड फाउंडेशन का मुख्यालय न्यूयॉर्क में है !


"मानव कल्याण" का मुखौटा लेकर पूरे विश्व में पहचान बनाने वाली फोर्ड फाउंडेशन का असली उद्देश्य कुछ और है ! फोर्ड फाउंडेशन को अमेरिकन ख़ुफ़िया एजेंसी CIA का रणनीतिक भागीदार माना जाता है ! फोर्ड फाउंडेशन के मुख्य काम है ___
1. CIA के इशारे पर विभिन्न देशो में चुनी हुई सरकार को अस्थिर करना !
2. विभिन्न देशो में सरकार के विरुद्ध कुछ विशेष राजनितिक आंदोलन को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करना !
3. सरकार के विरुद्ध काम कर रही NGO को धन उपलब्ध कराना !
4. अमेरिकी हितो के लिए गुटबाज़ी करना !
5. CIA के इशारे पर लोकतांत्रिक सरकारों के विरुद्ध दुर्भावनापूर्ण आंदोलन खड़ा करना !
6. अमेरिका के लिए पूरे विश्व में राजनितिक स्तर पर स्लीपर सेल तैयार करना !

भारत में अन्ना हज़ारे के आंदोलन को फोर्ड फाउंडेशन का समर्थन था व अरविन्द केजरीवाल की NGO "परिवर्तन" को फोर्ड फाउंडेशन से भारी मात्रा में अनुदान प्राप्त हुए ! फोर्ड फाउंडेशन बिना किसी स्वार्थ के किसी को एक पैसा नहीं देता फिर अरविन्द केजरीवाल की NGO को अनुदान किस आधार पर दिया गया? क्या अरविन्द केजरीवाल CIA या फोर्ड फाउंडेशन की राजनितिक कठपुतली है? जब इसी प्रकार के कयास भारत में लगाये जाने लगे तो फोर्ड फाउंडेशन ने अरविन्द केजरीवाल की NGO को अनुदान देने का विवरण ही अपनी आधिकारिक वेबसाइट से हटा दिया !

फोर्ड फाउंडेशन द्वारा भारत में रचे गए कुछ षडयन्त्रों का विवरण ____
1. भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन भारत में सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने के लिए निरंतर कार्यरत है !
2. IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन भारत के अंदरुनी मामलो में और न्यायिक व्यवस्था में अवांछित घुसपैठ कर चुका है !
3. IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन ने भारतीय सेना के विरुद्ध साज़िश रची और सेना की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से लगातार काम किया !
4. IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन ने गुजरात की मोदी सरकार को अस्थिर करने व नरेंदर मोदी के विरुद्ध दुष्प्रचार करने व घृणास्प्रद अभियान चलाने के लिए तीस्ता सीतलवाड की NGO को लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर का भारी भरकम अनुदान दिया !
5. गुजरात सरकार की विवेचना के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन ने तीस्ता सीतलवाड को केवल मुस्लिम हितो की पैरवाई के लिए यह कहकर उकसाया की इससे सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा !
6. फाउंडेशन ने अपने प्रभाव का प्रयोग कर पाकिस्तानी मानवाधिकार संगठन की भारत यात्रा करवाकर अपनी सीमाओ का उल्लंघन किया।
7. IB (Intelligence Bureau) की रिपोर्ट के अनुसार फोर्ड फाउंडेशन ने भारत की लगभग सभी बड़ी और महत्त्वकांशी परियोजनाओं में बाधा डालने की पुरजोर कोशिश की इसके लिए सैकड़ो NGO का मकड़जाल बुना गया और उनको भारी अनुदान देकर कभी पर्यावरण सुरक्षा के नाम पर तो कभी अन्य काल्पनिक भय दिखाकर परियोजनाओं का विरोध करवाया गया धरने प्रदर्शन करवाये गए !
8. जिन परियोजनाओं का विरोध किया गया उनमे बिजली उत्पादन परियोजना और खनन उद्योग से जुडी परियोजनाएं शामिल थी ! इस विरोध का अंतिम और एक मात्र उद्देश्य भारत की विकास की गति में अवरोध उत्त्पन्न करना था !

यह तो केवल झांकी मात्र है !
IB की यह रिपोर्ट केवल पिछले 10 सालो में फोर्ड फाउंडेशन द्वारा किये गए कुकर्मो का लेखा जोखा है ! उस से पहले फोर्ड फाउंडेशन ने क्या क्या किया होगा उसकी जानकारी अभी सार्वजानिक नहीं की गयी है ! चीन सीमा और कश्मीर जैसे घाव देने वाले नेहरू और कांग्रेस की यह एक और ऐतिहासिक विफलता है की एक विदेशी NGO और ख़ुफ़िया एजेंसी ने देश में जमकर कोहराम मचाया इनको भनक तक नहीं लगी अथवा ये भी हो सकता है की इनको सबकुछ पता हो पर इनके विरुद्ध कार्यवाही ही न की गयी हो ! सच भी है ___ जिस पार्टी खून में ही सुभाष चन्द्र बॉस जैसे पूजनीय देशभक्तो की जासूसी करने का कीड़ा हो उनको इस बात से क्या फर्क पड़ता है कोई उनकी जासूसी कर रहा है !
Reference : https://www.facebook.com/vijay.jagota.3?fref=nf

Wednesday, 13 May 2015

भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों की ‘अस्वाभाविक मृत्यु’ कहीं बड़ा षड़यंत्र तो नहीं ?

May 13, 2015 by 

कोर स्ट्रैटिजिक प्रोग्राम्स से जुड़े वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की विचित्र परिस्थितियों में ‘संदेहास्पद मौत’ कई बड़े सवालों को जन्म दे रही है । पिछले 5 सालों में 10 से ज्यादा न्यूक्लियर साइंटिस्ट और इंजीनियर्स की अप्राकृतिक रूप से मौत (या मर्डर) हो चुकी है । इनमे से ज्यादातर वैज्ञानिक टॉप एलीट प्रोजेक्ट्स के सीनियर ऑफिसर्स थे ।
हमारी समझ से परे है की फुल बकवास और नॉनसेंस मुद्दे पर शोर मचाने वाला मीडिया का एक बड़ा तबका ऐसी बेहद संवेदनशील ‘मर्डर मिस्ट्री’ को कोई स्पेशल कवरेज क्यों नहीं दे पा रहा है?
देसी lutyens ऐसे कई सवालों और प्रकरणों से आपको रूबरू करवाना चाहेंगे ताकि आप और सरकार दोनों का ध्यान इन गंभीर प्रकरणों की ओर आकृष्ट हो सके
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1) अक्टूबर 2013 को विशाखापट्टनम नेवल यार्ड के समीप के रेलवे ट्रैक में कुछ लोगों को दो लाशें दिखाई दी । शिनाख्त में पता चला की ये बॉडी के.के.जोशी(33 वर्ष) और अभीष शिवम(34 वर्ष) की है,जो पहली स्वदेशी परमाणुक सबमरीन INS-अरिहंत के प्रोजेक्ट्स में चीफ इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे ।
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2) प्रारंभिक जांच में पुलिस ने पाया की इनकी मौत हाई इंटेंसिटी पॉइसन के कारण हुई थी,और इसे रेलवे दुर्घटना से जोड़ने के उद्देश्य से रेल की पटरियों में फेंक दिया गया था,डेढ साल बाद भी ये मर्डर मिस्त्री अनसुलझी है ।
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3) भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के जनक डॉ.होमी जहाँगीर भाभा की 49 साल पहले इटली और फ्रांस की सीमा पर माउंट ब्लाक में विमान दुर्घटना में हुई मौत तो और ‘संदेहास्पद’ है क्योंकि विमान का मलबा मिला ही नहीं था,लगभग 4000 फिट की ऊँचाई पर हुई दुर्घटना में डॉ.भाभा सहित सभी 117 यात्री और क्रू मेम्बर्स मारे गए थे ।
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4) 2009 में फ्रांसीसी पर्वतारोही डेनियल रोच ने एक धमाके दार खुलासा करते हुए दावा किया,की 24 जनवरी 1966 को बोम्बे से न्यूयार्क जा रहे एयर इण्डिया बोईंग 101 किसी विमान की खराबी से नहीं बल्कि,इटली के किसी एयरक्राफ्ट या मिसाइल की टक्कर से नष्ट हुआ था । उन्होंने अपनी 80 पन्नों के रिसर्च डॉक्यूमेंट में इसे बड़ी साजिश करार दिया है ।
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5) डॉ भाभा ने इस दुर्घटना के कुछ दिनों पूर्व ही भारत द्वारा परमाणु शक्ति संपन्न बनने की दिशा में सफल प्रयास होने की घोषणा की थी,कई गोपनीय दस्तावेजों के अनुसार 1952 से ही सीआईए भारत के अंदरूनी प्रोग्राम्स की जासूसी कर रहा था.इसके पीछे सीआईए का हाँथ है या नहीं ये अभी तक प्रमाणित नहीं हो पाया है ।
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6) 23 जून 2010 को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) में कार्यरत मैकेनिकल इंजीनियर M Padmanabhan Iyer अपने घर में मृत पाए गए,पुलिस के अनुसार हत्यारे ने,डुप्लीकेट चाबी से पहले ही फ्लैट में एंट्री कर ली थी और बाद में गला रेंत कर हत्या कर दी ।हत्यारे का अब तक कोई सुराग नहीं मिल सका है ।
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7) केवल भारत में ही नहीं ईरान जो फिलहाल कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को झेल रहा है,के कई न्यूक्लीयर वैज्ञानिकों की भी ऐसी हत्याएं की जा रही है ? ख़ुफ़िया रिपोर्टों के मुताबिक़ ऑपरेशन Smiling Buddha के बाद से पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम में काफी रूचि दिखाई है ।
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8) केवल 4 सालों में 10 बड़े वैज्ञानिकों की हत्या सामान्य है या फिर ये भारत के खिलाफ एक बड़ा षड़यंत्र है? इस सवाल का जवाब तभी दिया जा सकता है जब इन मामलों को सरकार और लोकल एजेंसीज गंभीरता से ले,और इसे ‘देश की सुरक्षा’ से जुड़े मामलों की परिधि में रख कर तफ्तीश करे
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9) इसी तरह कैगा एटॉमिक पॉवर स्टेशन (कर्नाटक) के सीनियर साइंटिस्ट एल.महालिंगम 8 जून 2009 की सुबह वाक पर निकले पर वापस नहीं लौटे,5 दिन बाद कलि नदी में उनकी बहती हुई लाश को निकाला गया.पुलिस शुरुआती जांचों के बाद इसे ‘आत्महत्या’ का नाम दे दिया,परन्तु परिवार और कलीग्स के अनुसार उनकी सुसाइड का कोई कारण नहीं था ।
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10) BARC, DRDO और कैगा एटॉमिक सेंटर के ही वैज्ञानिकों को चुन-चुन के निशाना बनाया जा रहा है,चार साल पहले बार्क में रिसर्चर उमा राव और IGCAR कलपक्कम में इंजीनियर मोहम्मद मुस्तफा की अप्राकृतिक मौत को भी सुसाइड का नाम दे कर लीपापोती की जा रही है ।
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11) जनवरी में बोम्बे हाई कोर्ट में इस मामले पर PIL दाखिल की गयी है,जिसमे पिछले 5 सालों में हुई इन संवेदनशील मिस्ट्रीज को सुलझाने के लिए SIT गठित करने की माँग की गयी है ।
http://desilutyens.com/2015/05/13/death-of-indias-nuclear-scientists/