Wednesday, 13 May 2015

भारतीय परमाणु वैज्ञानिकों की ‘अस्वाभाविक मृत्यु’ कहीं बड़ा षड़यंत्र तो नहीं ?

May 13, 2015 by 

कोर स्ट्रैटिजिक प्रोग्राम्स से जुड़े वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की विचित्र परिस्थितियों में ‘संदेहास्पद मौत’ कई बड़े सवालों को जन्म दे रही है । पिछले 5 सालों में 10 से ज्यादा न्यूक्लियर साइंटिस्ट और इंजीनियर्स की अप्राकृतिक रूप से मौत (या मर्डर) हो चुकी है । इनमे से ज्यादातर वैज्ञानिक टॉप एलीट प्रोजेक्ट्स के सीनियर ऑफिसर्स थे ।
हमारी समझ से परे है की फुल बकवास और नॉनसेंस मुद्दे पर शोर मचाने वाला मीडिया का एक बड़ा तबका ऐसी बेहद संवेदनशील ‘मर्डर मिस्ट्री’ को कोई स्पेशल कवरेज क्यों नहीं दे पा रहा है?
देसी lutyens ऐसे कई सवालों और प्रकरणों से आपको रूबरू करवाना चाहेंगे ताकि आप और सरकार दोनों का ध्यान इन गंभीर प्रकरणों की ओर आकृष्ट हो सके
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1) अक्टूबर 2013 को विशाखापट्टनम नेवल यार्ड के समीप के रेलवे ट्रैक में कुछ लोगों को दो लाशें दिखाई दी । शिनाख्त में पता चला की ये बॉडी के.के.जोशी(33 वर्ष) और अभीष शिवम(34 वर्ष) की है,जो पहली स्वदेशी परमाणुक सबमरीन INS-अरिहंत के प्रोजेक्ट्स में चीफ इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे ।
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2) प्रारंभिक जांच में पुलिस ने पाया की इनकी मौत हाई इंटेंसिटी पॉइसन के कारण हुई थी,और इसे रेलवे दुर्घटना से जोड़ने के उद्देश्य से रेल की पटरियों में फेंक दिया गया था,डेढ साल बाद भी ये मर्डर मिस्त्री अनसुलझी है ।
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3) भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्रम के जनक डॉ.होमी जहाँगीर भाभा की 49 साल पहले इटली और फ्रांस की सीमा पर माउंट ब्लाक में विमान दुर्घटना में हुई मौत तो और ‘संदेहास्पद’ है क्योंकि विमान का मलबा मिला ही नहीं था,लगभग 4000 फिट की ऊँचाई पर हुई दुर्घटना में डॉ.भाभा सहित सभी 117 यात्री और क्रू मेम्बर्स मारे गए थे ।
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4) 2009 में फ्रांसीसी पर्वतारोही डेनियल रोच ने एक धमाके दार खुलासा करते हुए दावा किया,की 24 जनवरी 1966 को बोम्बे से न्यूयार्क जा रहे एयर इण्डिया बोईंग 101 किसी विमान की खराबी से नहीं बल्कि,इटली के किसी एयरक्राफ्ट या मिसाइल की टक्कर से नष्ट हुआ था । उन्होंने अपनी 80 पन्नों के रिसर्च डॉक्यूमेंट में इसे बड़ी साजिश करार दिया है ।
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5) डॉ भाभा ने इस दुर्घटना के कुछ दिनों पूर्व ही भारत द्वारा परमाणु शक्ति संपन्न बनने की दिशा में सफल प्रयास होने की घोषणा की थी,कई गोपनीय दस्तावेजों के अनुसार 1952 से ही सीआईए भारत के अंदरूनी प्रोग्राम्स की जासूसी कर रहा था.इसके पीछे सीआईए का हाँथ है या नहीं ये अभी तक प्रमाणित नहीं हो पाया है ।
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6) 23 जून 2010 को भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) में कार्यरत मैकेनिकल इंजीनियर M Padmanabhan Iyer अपने घर में मृत पाए गए,पुलिस के अनुसार हत्यारे ने,डुप्लीकेट चाबी से पहले ही फ्लैट में एंट्री कर ली थी और बाद में गला रेंत कर हत्या कर दी ।हत्यारे का अब तक कोई सुराग नहीं मिल सका है ।
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7) केवल भारत में ही नहीं ईरान जो फिलहाल कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों को झेल रहा है,के कई न्यूक्लीयर वैज्ञानिकों की भी ऐसी हत्याएं की जा रही है ? ख़ुफ़िया रिपोर्टों के मुताबिक़ ऑपरेशन Smiling Buddha के बाद से पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम में काफी रूचि दिखाई है ।
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8) केवल 4 सालों में 10 बड़े वैज्ञानिकों की हत्या सामान्य है या फिर ये भारत के खिलाफ एक बड़ा षड़यंत्र है? इस सवाल का जवाब तभी दिया जा सकता है जब इन मामलों को सरकार और लोकल एजेंसीज गंभीरता से ले,और इसे ‘देश की सुरक्षा’ से जुड़े मामलों की परिधि में रख कर तफ्तीश करे
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9) इसी तरह कैगा एटॉमिक पॉवर स्टेशन (कर्नाटक) के सीनियर साइंटिस्ट एल.महालिंगम 8 जून 2009 की सुबह वाक पर निकले पर वापस नहीं लौटे,5 दिन बाद कलि नदी में उनकी बहती हुई लाश को निकाला गया.पुलिस शुरुआती जांचों के बाद इसे ‘आत्महत्या’ का नाम दे दिया,परन्तु परिवार और कलीग्स के अनुसार उनकी सुसाइड का कोई कारण नहीं था ।
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10) BARC, DRDO और कैगा एटॉमिक सेंटर के ही वैज्ञानिकों को चुन-चुन के निशाना बनाया जा रहा है,चार साल पहले बार्क में रिसर्चर उमा राव और IGCAR कलपक्कम में इंजीनियर मोहम्मद मुस्तफा की अप्राकृतिक मौत को भी सुसाइड का नाम दे कर लीपापोती की जा रही है ।
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11) जनवरी में बोम्बे हाई कोर्ट में इस मामले पर PIL दाखिल की गयी है,जिसमे पिछले 5 सालों में हुई इन संवेदनशील मिस्ट्रीज को सुलझाने के लिए SIT गठित करने की माँग की गयी है ।
http://desilutyens.com/2015/05/13/death-of-indias-nuclear-scientists/

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