पित्त प्रकृति के लोगों को मालिश भी करनी है और व्यायाम भी. बच्चो के लिए सिर्फ मालिश क्योंकि वो कफ के असर में होते हैं. तो पित्त प्रकृति वालों को पहले व्यायाम करना चाहिए और बाद में मालिश करनी चाहिए.
लेकिन वात से प्रभावित लोगों को मालिश पहले और व्यायाम बाद में करना चाहिए. अब आप पूछेंगे कि कितना व्यायाम करना है तो जब तक आपकी बगल में पसीना न आ जाये तब तक व्यायाम करते रहें. जैसे ही आपकी बगल में पसीना आया व्यायाम रोक दें. चाहे पसीना 10 मिनट में आए, या 50 मिनट में सभी के लिए अलग अलग टाइमिंग होगी. इससे ज्यादा व्यायाम न करें.
अब आप कहेंगे कि सबसे अच्छा व्यायाम कोन सा है, अगर आप सोच रहे हैं कि दौड़ना सबसे अच्छा है तो आप बिलकुल गलत हैं. क्यूंकि भारत के हिसाब से दौड़ना अच्छा नही है, क्यूंकि दौड़ते समय वात प्रबल होता है. और भारत वात प्रकृति का देश है, क्यूंकि गर्मी वाला देश है अधिकांश भाग गर्म है, वात प्रकृति का देश है, रुक्ष देश है. माने सुखी हवा चलती है. तो वात प्रकृति का देश है तो दौड़ना निषेध होगा. वो कहते हैं कि ऐसे व्यायाम जो स्लो है धीमे है, जिनमें वायु न बढे, सबसे अच्छा तो सूर्य नमस्कार ही है, अब आप चाहे आसन के रूप में मानें या फिर उसको व्यायाम के रूप में. तो सूर्य नमस्कार सीख लें ये सबसे अच्छा है. दुसरे व्यायाम है छोटे स्टार पर दंड बैठक, ज्यादा लम्बे नही. जिसमें बहुत तेजी से पसीना न निकले.
और वागभट्ट जी कहते हैं कि माताओं को बहुत व्यायाम कि जरुरत नहीं है, अगर वो घर के काम में लगीं हैं तो बहुत सारे व्यायाम आपके वहीँ हो रहे हैं. जैसे सिलबट्टे पे चटनी बना रहे हैं, या चक्की चला रही है.
अगर जो माताएं, बहनें ये काम नही करती तो अब से करने लगें, मिक्सी का उपयोग कम करें सिलबट्टे का उपयोग ज्यादा करें, चक्की का उपयोग ज्यादा करें क्यूंकि ये सब स्लो व्यायाम हैं.
बाजार की चक्की का उपयोग बंद करें और घर में ही चक्की चलायें उस आते की क्वालिटी तो बेहतरीन होने ही वाली है क्योंकि इसमें घर्षण कम है और घर्षण कम है तो अनाज धीरे धीरे पिसेगा. अनाज धीरे धीरे पिसेगा तो टेम्परेचर नही बढेगा. और वात वाले देश में किसी भी चीज का तापमान बढ़ना नही चाहिए. अगर आप बाजार वाली चक्की में में आटा पीसवाएंगे तो टेम्परेचर बढ़ने से अनाज का नाश होगा. उसकी पोषकता कम हो जाएगी. और हाथ की चक्की वाले आटे और बाजार की चक्की वाले आटे की रोटी खाकर देखिये फर्क पता लग जायेगा.
अगर हाथ वाली चक्की बाजार में न मिले तो सिलबट्टे वाले के साथ कांटेक्ट करें और उनको बनाने के लिए बोले वो जरुर बना कर देगा. गुजरात में बहुत मिलती हैं आप वह से भी ला सकते हैं.
अगर आप चक्की लायेंगे तो इससे सिर्फ आपको ही फायदा नहीं होने वाला बल्कि रोजगार बढ़ने से चक्की बनाने वालों की भी फायदा होगा. और उनकी रोजी रोटी अच्छी चलेगी. तो दूसरों के दुःख दूर होंगे जिससे आपको ही मोक्ष मिलेगा. क्योंकि दूसरों के दुःख दूर करने वालों को ही मोक्ष मिलता है.
तो अगर चक्की या सिलबट्टा है तो व्यायाम की जरुरत नही पड़ती. अगर चक्की सिलबट्टा नही ला पा रहे हैं तो थोडा बहुत व्यायाम जरुर करिए. माताओं, बहनों के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है आगे की और झुकना, तो जितनी बार आप झुकें तो ध्यान रहे कमर से झुकें. तो जिंदगी में कभी भी कमर में दर्द नही आएगा. जितना झुक सकें उतना ही झुकें जरुरी नही है कि नीचे तक ही झुकें. सहज होकर करिए, असहज होकर मत कीजिये. तो थोडा व्यायाम फिर उसके बाद मालिश, सिर और कान की मालिश ज्यादा करें और बाकी शरीर की तो करनी हैं उसमें पाँव के तलवे की मालिश अधिक करें. मालिश के बाद उकटन आदि से स्नान और फिर भोजन भोजन के बाद विश्राम फिर आपका काम और फिर रात्री का भोजन. इस तरह का नियम है पित्त वालों का.
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