आपने कभी सोचा है कि कुछ लोग अपनी मेहनत (Hard work) के बल पर अमीर (Rich) बन जाते हैं और समय के साथ उनके पास पैसा (Money) लगातार बढ़ता चला जाता है जबकि कुछ लोग मेहनत करने के बाद भी गरीब ही रह जाते हैं और वह कभी अपनी गरीबी से पीछा नहीं छुड़ा पाते, ऐसा क्यों होता है?
साथ ही आपने ऐसे लोगों को भी देखा होगा जो कहते हैं कि “हम बहुत busy हैं, हमारे पास time की बहुत कमी है, बहुत से जरुरी कार्यों के लिए भी हमारे पास समय नहीं है।” लेकिन वह इतना busy रहने के बाद भी सफल (successful) नहीं कहे जा सकते।
जबकि ऐसे भी लोग होते हैं जो उतने ही समय में अपने सभी काम भी करते हैं और समय को बचाकर अन्य जरुरी कार्य भी करते है, कभी समय कम होने का रोना नहीं रोते और वह अपनी लाइफ में सफल भी हैं। ऐसा क्यों होता है?
दोनों प्रकार के लोगों में इतना बड़ा अंतर क्यों है?
ध्यान रखिये यह समस्या हमारी और आपकी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की समस्या है जिसका उत्तर जानना बहुत जरुरी है।
बहुत से लोग अपने अपने तरीके से इन प्रश्नों के उत्तर देते हैं और इसके पीछे बहुत से कारण बताते हैं। लेकिन यहाँ मैं वह कारण या उत्तर बताने जा रहा हूँ जो मुझे समझ आता है।
आइये इसको समझने के लिए सौरभ की एक प्रेरणादायक कहानी (Motivational Story) को समझते हैं–
Motivational Story For Life Management
(Specially Money & Time)
उस समय सौरभ क्लास 10th का स्टूडेंट था और उसके पिता की एक अच्छी जॉब थी। सौरभ हमेशा इस बात से परेशान रहता था कि उसके पापा उसे जो Pocket Money देते थे वह तीन सालों से बिलकुल भी नहीं बढ़ी थी जबकि उसके दोस्तों को अपने घर से बहुत सी पॉकेट मनी मिलती थी जो समय के अनुसार बढ़ती रहती थी।
सौरभ ने अपनी माँ से अपनी इस समस्या के बारे में कहा कि आखिर ऐसी क्या वजह है जिसके कारण पापा ने मेरी पॉकेट मनी पिछले तीन सालों से नहीं बढ़ायी है?
तो उसकी माँ बोली, “इसका उत्तर तो तेरे पिता ही दे सकते हैं। चल मैं तेरी उनसे बात करा देती हूँ।”
सौरभ के पिता के सामने यह बात रखी गयी। उसके पिता ने सौरभ की ओर देखा और मुस्कुराते हुए बोले, “जिस दिन तुम अपनी पॉकेट मनी को सही से संभालना सीख जाओगे उसी दिन मैं तुम्हारी पॉकेट मनी को बढ़ा दूँगा।” इतना कहकर उसके पिता वहां से चले गए।
अब सौरभ बार बार यही सोच रहा था कि आखिर पापा क्या कहना चाहते हैं और “पॉकेट मनी को सही से संभालना” इसका क्या मतलब है। क्या money रखने के लिए मेरी जेब छोटी है? या मैं ज्यादा पैसे का वजन नहीं उठा सकता? तरह तरह के प्रश्न उसके दिमाग में आ रहे थे।
पापा द्वारा कही लाइन उसके दिमाग में लगातार बनी रही। तीन दिन बाद जब वह स्कूल जाने के लिए अपने स्कूल बैग में किताबें लगा रहा था तो जल्दी जल्दी उसने किताबों को उल्टा सीधा बैग में भर लिया। बैग तो भर गया लेकिन कुछ किताबें अब भी बैग में रखनी थीं।
उसकी माँ यह देख रही थीं। वह सौरभ के पास गयीं और बोली, “क्या मैं तुम्हारी कुछ हेल्प करूँ?” सौरभ बोला, “हाँ! यह किताबें तो बैग में आ ही नहीं रही हैं!”
तब उसकी माँ ने बैग में रखी किताबों को निकालकर उन्हें सही तरीके से लगाया जिससे उस बैग में अब कुछ और किताबों के लिए जगह बन गयी।
अब वह बाकी किताबों जो पहले बैग में नहीं आ रही थीं, को भी बैग में रखते हुए बोलीं, “देखो सौरभ! मान लो यह जो तुम्हारी किताबें हैं वह तुम्हारी पॉकेट मनी की तरह हैं और तुम खुद अपने इस स्कूल बैग की तरह हो। जितनी सही तरीके से और सही जगह अपनी किताबें लगाओगे उतनी और ज्यादा किताबें तुम अपने बैग में रख सकोगे।”
माँ का इतना कहना सौरभ के लिए सफलता का सूत्र (success key) बन गया। सौरभ की आंखें चमकने लगीं। अब उसे अपने पापा की बात पूरी तरह समझ आ चुकी थी।
वह समझ चुका था कि पापा मेरी pocket money इसलिए नहीं बढ़ा रहे हैं क्योंकि मैं अपनी पॉकेट मनी को सही से और सही जगह खर्च नहीं कर रहा हूँ। यदि मैं अपनी present pocket money को सही से manage करना सीख जाऊं तो वह मेरी पॉकेट मनी को बढ़ा देंगे।
उसने तुरंत अपनी पॉकेट मनी को सही तरीके से और सही जगह खर्च करने का फैसला किया। उसने पैसा अपनी इच्छा (want) के हिसाब से नहीं बल्कि वहां खर्च किया जहां जरुरत (need) थी और उतना ही खर्च किया जितनी जरुरत थी।
जितने भी पैसे खर्च (Money spent) हुए, सभी को वह एक डायरी पर लिखता गया।
जितने भी पैसे खर्च (Money spent) हुए, सभी को वह एक डायरी पर लिखता गया।
अब जब अगले महीने की pocket money मिलने का समय आया तो सौरभ की खुशी का ठिकाना न रहा। वह आश्चर्य चकित था अब उसके पास पिछले महीने की पॉकेट मनी से भी पैसे बच गए थे और इस महीने की पूरी पॉकेट मनी भी उसके हाथ में थी।
वह तुरंत अपने पापा के पास आया और बोला, “पापा जी! पापा जी! देखो मैंने अपनी पॉकेट मनी को संभालना सीख लिया है।”
उसने अपनी last month की saving भी दिखाई और इस बार की पॉकेट मनी भी दिखाई।
उसके पिता भी बहुत खुश हुए और उन्होंने उसकी पॉकेट मनी तुरंत बढ़ा दी और कहा, “यदि वह सही से अपनी पॉकेट मनी को हर महीने मैनेज करता रहेगा तो आने वाले हर महीने में उसकी पॉकेट मनी में कुछ पैसे में जरूर बढ़ाता रहूँगा।”
सौरभ अब बहुत खुश था। उसे समझ आ गया था कि जिस चीज को हम सही से मैनेज करना सीख लेते हैं वह चीज समय के साथ बढ़ती चली जाती है।
कुछ ही महीनों में सौरभ की saving money इतनी बढ़ गयी कि अब वह उसे कई जगह Invest भी करने लगा। आज सौरभ अपने शहर का एक अच्छा बिजनेसमैन है। वह अमीर है और उसकी अमीरी लगातार बढ़ती जा रही है। लोग उसे एक successful person के रूप में भी जानते हैं।
इस कहानी से आपने क्या सीखा? (Moral of this Hindi Story)
दोस्तों! सौरभ की यह कहानी कोई साधारण कहानी नहीं है बल्कि हम सबके लिए Life Management का एक अच्छा संदेश या सबक (Lesson) भी है।
इस कहानी की Main Theme है कि “जिस चीज को हम सही से संभालना अर्थात मैनेज करना सीख लेते हैं वह चीज समय के साथ लगातार बढ़ती चली जाती है।”
अब वह चाहें money को manage करना हो या time को manage करना हो। चाहें वह आपके social relations हों या अपनी family के लिए आपका प्यार हो। कुछ भी हो, यदि आप चीजों को मैनेज करना सीख गए तो समझ लो आपको कोई सफल होने से नहीं रोक सकता।
Money के बारे में आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपनी Money को किस तरह manage करते हैं अर्थात किस तरह आप money earn करते हैं, किस तरह money saving करते हैं और किस तरह money investing करते हैं।
अगर इनको आपने मैनेज कर लिया तो आपको Millionaire बनने से कोई नहीं रोक सकता।
यही बात Time पर भी लागू होती है। दुनिया में सभी को एक दिन में 24 घंटे ही मिलते हैं। सफल वही होता है जो Time Management के द्वारा समय को सही से मैनेज करना सीख जाता है।
यहाँ जरुरी बात यह भी है कि हम जिस चीज को भी मैनेज करना सीखें उसको मैनेज करने का तरीका हम खुद सोचें और उसे practically अपनी life में apply करें तो उस चीज को हम बहुत अच्छी तरह सीख पाते हैं।
सौरभ के पापा उसे सीधे सीधे भी Money Management के बारे में समझा सकते थे लेकिन तब सौरभ के बात उतनी अच्छी तरह समझ नहीं आती साथ ही सौरभ की माँ ने उसे कुछ संकेत (clue) भी दिए ताकि वह बात को जल्दी और खुद समझ सके।
यदि हम खुद तो सौरभ माने और God को अपना पिता समझें तो सीधी सी बात यह है कि God हमें उतना ही देता है जितना हम Manage करना जानते हैं और यदि मैनेज करना हमें सीखना हो तो “जीवन की परिस्थितियां” एक माँ के रूप में हमें संकेत भी देती हैं ताकि हम बात को जल्दी समझ सकें।
दोस्तों! आज से और अभी से ही, आओ! हम लोग संकल्प (promise) लेते हैं कि अपनी हर चीज को हम मैनेज करना सीख लेंगे ताकि सफलता के द्वार हमारे लिए खुल जाएं। अतः सही ही कहा गया है–
संभालना सीख लो, सब कुछ मिलेगा।
Learn To Handle, Get Everything.
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Source: http://www.aapkisafalta.com/2017/10/money-time-life-management-hindi-story.html
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