Tuesday 22 January 2019

जानिए पहले मालिश करणी चाहिए या व्यायाम और कौन सा व्यायाम आपके लिए सही है


पित्त प्रकृति के लोगों को मालिश भी करनी है और व्यायाम भी. बच्चो के लिए सिर्फ मालिश क्योंकि वो कफ के असर में होते हैं. तो पित्त प्रकृति वालों को पहले व्यायाम करना चाहिए और बाद में मालिश करनी चाहिए.
लेकिन वात से प्रभावित लोगों को मालिश पहले और व्यायाम बाद में करना चाहिए. अब आप पूछेंगे कि कितना व्यायाम करना है तो जब तक आपकी बगल में पसीना न आ जाये तब तक व्यायाम करते रहें. जैसे ही आपकी बगल में पसीना आया व्यायाम रोक दें. चाहे पसीना 10 मिनट में आए, या 50 मिनट में सभी के लिए अलग अलग टाइमिंग होगी. इससे ज्यादा व्यायाम न करें.
अब आप कहेंगे कि सबसे अच्छा व्यायाम कोन सा है, अगर आप सोच रहे हैं कि दौड़ना सबसे अच्छा है तो आप बिलकुल गलत हैं. क्यूंकि भारत के हिसाब से दौड़ना अच्छा नही है, क्यूंकि दौड़ते समय वात प्रबल होता है. और भारत वात प्रकृति का देश है, क्यूंकि गर्मी वाला देश है अधिकांश भाग गर्म है, वात प्रकृति का देश है, रुक्ष देश है. माने सुखी हवा चलती है. तो वात प्रकृति का देश है तो दौड़ना निषेध होगा. वो कहते हैं कि ऐसे व्यायाम जो स्लो है धीमे है, जिनमें वायु न बढे, सबसे अच्छा तो सूर्य नमस्कार ही है, अब आप चाहे आसन के रूप में मानें या फिर उसको व्यायाम के रूप में. तो सूर्य नमस्कार सीख लें ये सबसे अच्छा है. दुसरे व्यायाम है छोटे स्टार पर दंड बैठक, ज्यादा लम्बे नही. जिसमें बहुत तेजी से पसीना न निकले.
और वागभट्ट जी कहते हैं कि माताओं को बहुत व्यायाम कि जरुरत नहीं है, अगर वो घर के काम में लगीं हैं तो बहुत सारे व्यायाम आपके वहीँ हो रहे हैं. जैसे सिलबट्टे पे चटनी बना रहे हैं, या चक्की चला रही है.
अगर जो माताएं, बहनें ये काम नही करती तो अब से करने लगें, मिक्सी का उपयोग कम करें सिलबट्टे का उपयोग ज्यादा करें, चक्की का उपयोग ज्यादा करें क्यूंकि ये सब स्लो व्यायाम हैं.
बाजार की चक्की का उपयोग बंद करें और घर में ही चक्की चलायें उस आते की क्वालिटी तो बेहतरीन होने ही वाली है क्योंकि इसमें घर्षण कम है और घर्षण कम है तो अनाज धीरे धीरे पिसेगा. अनाज धीरे धीरे पिसेगा तो टेम्परेचर नही बढेगा. और वात वाले देश में किसी भी चीज का तापमान बढ़ना नही चाहिए. अगर आप बाजार वाली चक्की में में आटा पीसवाएंगे तो टेम्परेचर बढ़ने से अनाज का नाश होगा. उसकी पोषकता कम हो जाएगी. और हाथ की चक्की वाले आटे और बाजार की चक्की वाले आटे की रोटी खाकर देखिये फर्क पता लग जायेगा.
अगर हाथ वाली चक्की बाजार में न मिले तो सिलबट्टे वाले के साथ कांटेक्ट करें और उनको बनाने के लिए बोले वो जरुर बना कर देगा. गुजरात में बहुत मिलती हैं आप वह से भी ला सकते हैं.
अगर आप चक्की लायेंगे तो इससे सिर्फ आपको ही फायदा नहीं होने वाला बल्कि रोजगार बढ़ने से चक्की बनाने वालों की भी फायदा होगा. और उनकी रोजी रोटी अच्छी चलेगी. तो दूसरों के दुःख दूर होंगे जिससे आपको ही मोक्ष मिलेगा. क्योंकि दूसरों के दुःख दूर करने वालों को ही मोक्ष मिलता है.
तो अगर चक्की या सिलबट्टा है तो व्यायाम की जरुरत नही पड़ती. अगर चक्की सिलबट्टा नही ला पा रहे हैं तो थोडा बहुत व्यायाम जरुर करिए. माताओं, बहनों के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है आगे की और झुकना, तो जितनी बार आप झुकें तो ध्यान रहे कमर से झुकें. तो जिंदगी में कभी भी कमर में दर्द नही आएगा. जितना झुक सकें उतना ही झुकें जरुरी नही है कि नीचे तक ही झुकें. सहज होकर करिए, असहज होकर मत कीजिये. तो थोडा व्यायाम फिर उसके बाद मालिश, सिर और कान की मालिश ज्यादा करें और बाकी शरीर की तो करनी हैं उसमें पाँव के तलवे की मालिश अधिक करें. मालिश के बाद उकटन आदि से स्नान और फिर भोजन भोजन के बाद विश्राम फिर आपका काम और फिर रात्री का भोजन. इस तरह का नियम है पित्त वालों का.
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बिना घी की रोटी खाने वालों आपको मुर्ख बनाया गया है, जानिए सच्चाई क्या है



दोस्तों, हर घर से एक आवाज जरुर आती है,  “मेरे लिए बिना घी की रोटी लाना”, आपके घर से भी आती होगी, लेकिन घी को मना करना सीधा सेहत को मना करना है. पहले के जमाने में लोग रोजमर्रा के खानों में घी का इस्तेमाल करते थे. घी का मतलब देसी गाय का शुद्द देशी घी. घी को अच्छा माना जाता था. और कोलेस्ट्रोल और हार्ट अटैक जैसी बीमारियाँ कभी सुनने में भी नही आती थी.
लेकिन फिर शुरू हुई घी की गलत पब्लिसिटी, बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियों ने डॉक्टरों के साथ मिलकर अपने बेकार और यूजलेस प्रोडक्ट को सेल करने के लिए लोगों में घी के प्रति नेगेटिव पब्लिसिटी शुरू की. और ये कहा कि घी से मोटापा मोटापा आता है, कोलेस्ट्रोल बढता है, और हार्ट अटैक आने की सम्भावना बढती है. जबकि ये सरासर गलत है. जबकि रिफाइंड और दुसरे वनस्पति तेल और घी इन सब रोगों का कारण है. जब लोग बीमार होंगे तो ही डॉक्टरों का धंधा चलेगा.. इसी सोच के साथ इन विदेशी लुटेरी कंपनियों के साथ ये डॉक्टर भी मिल गए. अब इस मार्किट में कुछ स्वदेशी कंपनियां भी आ गई है. और धीरे धीरे लोगों के दिमाग में यह बात घर कर गई कि घी खाना बहुत ही नुकसानदायक है. घी न खाने में प्राउड फील करने लगे कि वो हेल्थ कांसियंस है. क्योकि जब आप एक ही चीज झूठ को बार बार टीवी पर दिखाओगे तो वो लोगो को सच लगने लगता है.
जबकि घी खाना नुकसानदायक नही बहुत ही फायदेमंद है. घी हजारों गुणों से भरपूर है, खासकर गाय का घी तो खुद में ही अमृत है. घी हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल को बढाता नही बल्कि कम करता है. घी मोटापे को बढाता नही बल्कि शरीर के ख़राब फैट को कम करता है. घी एंटीवायरल है और शरीर में होने वाले किसी भी इन्फेक्शन को आने से रोकता है. घी का नियमित सेवन ब्रेन टोनिक का काम करता है. खासकर बढ़ते बच्चों की फिजिकल और मेंटली ग्रोथ के लिए ये बहुत ही जरुरी है.
ये जो उठते और बैठते आपके शरीर की हड्डियों से चर मर की आवाज आती है इसकी वजह आपकी हड्डियों में लुब्रिकेंट की कमी है, अगर आप घी का नियमित सेवन करते है. तो ये आपकी मसल्स को मजबूत करता है और आपकी हड्डियों को नृश करता है.
घी हमारे इम्यून सिस्टम को बढाता है. और बिमारियों से लड़ने में आपकी मदद करता है. घी हमारे डाइजेस्टीव सिस्टम को भी ठीक रखता है जो आजकल सबसे बड़ी प्रॉब्लम है. आज हर दूसरा व्यक्ति कब्ज का मरीज है. दिन में कई कई बार शोचालय जाता है
अब हम बात करते है कि घी को कितना और कैसे खाए
एक नार्मल इन्सान के लिए 4 चम्मच घी काफी है. घी को पका कर या बिना पकाए दोनों तरीके से खा सकते है. चाहे तो इसमें खाना पका लें या फिर बाद में खाने के ऊपर डालकर खा लें. दोनों ही तरीके से घी बहुत ही फायदेमंद है.
और सबसे जरुरी बात अगर आप सबसे ग्लोइंग, शाइनिंग और यंग दिखना चाहते हैं तो घी जरुर खाएं क्योंकि घी एंटीओक्सिडेंट जोकि आपकी स्किन को हमेशा चमकदार और सॉफ्ट रखता है. आपके अपने और आसपास के सभी लोगों की अच्छी सेहत के लिए यह जानकारी उनके साथ साँझा करे. और जो बिना घी की रोटी खाते है उनको ये पोस्ट जरुर भेजे.
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30 दिन तक रोज 1 गिलास पिएं यह जूस, होंगे ये फायदे



अनार का जूस कई हेल्थ प्रॉब्लम से बचाने में हेल्पफुल है। पुरुषों के लिए अनार का रस काफी फायदेमंद होता है। कई रिसर्च में यह पाया गया है कि अनार का जूस पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन का लेवल और स्पर्म काउंट बढ़ाने में हेल्पफुल होता है। रेग्युलर अनार का जूस पीने से पुरुषों में कमजोरी दूर होती है और फर्टिलिटी बढ़ती है। यही नहीं, रेग्युलर एक गिलास अनार का जूस पीने से लगभग 30 दिनों में ही टेस्टोस्टेरॉन के लेवल में 30% तक की बढ़ोत्तरी देखी गई है.
क्या मिलाना है जूस में – दोस्तों अक्षर आप जूस पीते है लेकिन उससे फायदा आपको कम होता है. आप पूरा फायदा नहीं उठा पाते क्योकि आप उसे सही समय और सही तरीके से नहीं लेते. आज हम अप्क्को इसके बारे में ही बताएँगे. दोस्तों जूस आप सुबह लीजिये, सुबह के खाने के बाद भी ले सकते है या उसके कुछ घंटे बाद लेकिन लेना 11 बजे से पहले ही है. आप उसमे गेहू के दाने के बराबर चुना (वही जो पान वाले रखते है) मिला ले.
कितना मिलाना है – ध्यान रहे कि गेहू के दाने के बराबर ही चुना मिलाना है. चुने में सबसे अधिक कैल्शियम होता है. ये नपुंसकता भी दूर करता है. अगर गर्भवती माता ये जूस के साथ चुना ले तो होने वाला बच्चा तेज दिमाग वाला होगा. शरीर से तंदरुस्त होगा, उसकी रोगों से लड़ने की क्षमता बहुत ज्यादा होगी, कोई भी बीमारी उसको आसानी से नहीं जकड पायेगी. इसमे आपको सिर्फ एक ही सावधानी रखनी है कि जो चुना ले रहा है उसको पथरी ना हो. पथरी के रोगियों के लिए चुना वर्जित है. आगे देखे इस जूस से क्या क्या फायदे आपको होंगे
फर्टिलिटी बढ़ेगी – अनार का जूस टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन और स्पर्म काउंट बढ़ाता है. इससे पुरुषों की फर्टिलिटी बढ़ जाती है.
कमजोरी दूर होगी – अनार के जूस में एंटी ऑक्सीडेंट्स के अलावा विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं जो कमजोरी दूर करते हैं.
खून की कमी दूर होगी – अनार के जूस में भरपूर मात्रा में आयरन और फॉलिक एसिड होते हैं. इनसे खून की कमी दूर होती है.
कैंसर से बचाव – अनार के जूस में मौजूद पॉलीफिनॉल्स कैंसर पैदा करने वाले सेल्स की ग्रोथ रोककर कैंसर से बचाते हैं.
हार्ट अटैक से बचाव – अनार के जूस में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी तत्व हार्ट को हेल्दी रखने में हेल्पफुल हैं.
बीपी नार्मल रहेगा – अनार का जूस हाईपरटेंशन बढ़ाने वाले एंजाइम को कम करके BP नॉर्मल रखने में हेल्पफुल होता है.
मोटापा दूर रहेगा – अनार के जूस में मौजूद पॉलीफिनॉल्स बॉडी में फैट डिपॉजिट होने से रोकते हैं। मोटापे से बचाव होता है.
लीवर सही रहेगा – अनार का जूस बॉडी को डिटॉक्स करता है. इससे लिवर पर बोझ कम होता है। लिवर हेल्दी रहता है.
मजबूत हड्डियाँ – अनार का जूस हड्डियों को मजबूत करता है. ज्वाइंट पेन और आर्थराइटिस की प्रॉब्लम से बचाता है.
डायबिटीज से बचाव – अनार के जूस में मौजूद प्यूनिटिक एसिड बॉडी में इंसुलिन रेजिस्टेंस बेहतर करके डायबिटीज से बचाता है.
इस विडियो में देखिये अनार के जूस को चुना के साथ कैसे लेना है >>

गर्व की बात : आयुर्वेद सूर्य जितना ही पुराना है, जानिए कैसे


अब यह जो भिन्नता है भारत और यूरोप में क्योंकि सूर्य वहां कम है और यहां पर ज्यादा है तो आप जानते हैं कि दुनिया में पूरे ब्रह्मांड का केंद्र ही सूर्य है. अगर सूर्य मेहरबान है तो सबकुछ आपके लिए है और जो सूर्य की मेहरबानी नहीं है तो आप के लिए कुछ भी नहीं है तो इस देश में बहुत कुछ ऐसा जो शायद ऐसे ही कारण से ही इस देश में आयुर्वेद जन्म लिया होगा और आयुर्वेद ने जन्म लिया होगा तो यह उतना ही पुराना होगा जितना पुराना भारत है.
कुछ विदेशी इतिहासकार ऐसा बोलते हैं कि आयुर्वेद ढाई हजार साल पुराना है. कुछ जर्मन लोगों ने बोलना शुरु किया कि भारत का आयुर्वेद साढे 3000 साल पुराना, कुछ ने बोलना शुरु किया कि भारत का आयुर्वेदिक 10000 साल पुराना, कोई बोलता है 10000 साल, कोई कहता है ढाई हजार साल ,वह अपनी अपनी बुद्धि के हिसाब से कहते हैं
लेकिन हमारा कहना है कि अगर यह 10000 साल का किस्सा है, दो ,5 साल हजार का किस्सा है तो वह हनुमान जी गए थे लक्ष्मण को संजीवनी बूटी लाने के लिए ,वह किस्सा तो और हनुमान जी का किस्सा तो हम सब जानते हैं. संजीवनी उनको पहचान में नहीं आए तो पर्वत ही उखाड़ कर ले आए तो जो वैद्य थे जिनका नाम था सुशेन, उन्होंने कहा कि मैंने तुमसे एक बूटी लाने को कहा था तो उन्होंने कहा कि वह मुझे समझ में नहीं आया तो मैं पूरा पर्वत ले आया और यह कहानी आगे बढ़ती है.
रामचरितमानस में तो नहीं, रघुवंशम् में कि उस एक छोटे से पर्वत के टुकड़े में से हजार 1200 औषधियां वैद्य सुशेन ने निकाली थी और उसे औषधियों की ताकत से रामचंद्र जी ने राम रावण से युद्ध किया था और सभी घायल सैनिकों को रात भर में पांव का लेपन करके अगले दिन फिर लड़ने के लिए तैयार कर दिया था तो हम कैसे कहें कि यह आयुर्वेद 2000 साल, 5000 साल का है. श्रीराम को ही 800000 साल से ज्यादा हो गए हैं.
अगर हम हिसाब निकालें और जो भगवान राम के पहले की बात करें तो भगवान राम खुद ही कह रहे हैं कि मेरे जो पूर्वज थे, रघु, दिलीप, वह सभी आयुर्वेद के ज्ञाता थे. मतलब जड़ी बूटियों का उनको ज्ञान था. अगर राम के पूर्वज उनको भी जड़ी बूटियों का ज्ञान था तो बढ़ते चले जाएं तो यह समय की सीमा तो रुकती नहीं तो हमने अपने मन में संतोष के लिए यह टाइम मान लिया है. यह भारत की जड़ी बूटियों का विज्ञान या आयुर्वेद उतना ही पुराना है जितना भारत है.
अब भारत की उमर हम जैन शास्त्र के हिसाब से निकाले तो भगवान आदिनाथ से शुरू होती है और भगवान आदिनाथ का समय 1-2 साल का नहीं है, हजार 2000 साल का नहीं है, कुछ करोड़ साल का है तो भारत भी कुछ करोड़ साल का है तो भारत की जड़ी-बूटियां भी कुछ करोड़ साल की होंगी क्योंकि भारत में एक चीज जो निश्चित है. बाकी की बहुत सारी चीज बदली होंगी. वह सूर्य का प्रकाश यह भगवान आदिनाथ के जमाने में भी होगा और इस सन 2018 में भी है तो सूर्य के प्रकाश के कारण जैव विविधता उस समय भी रही होगी, जो आज है. आज शायद कमी आई है उस समय उससे भी ज्यादा रही होगी क्योंकि हमने आज जो विकास का रास्ता अपनाया है उसमें इस जैव विविधता का ही सबसे ज्यादा नाश हो रहा है.
इस विडियो में जानिए पूरी जानकारी >>

गुप्त भ्रष्टाचार क्या है और कार्यकर्ताओं ने भ्रष्टाचार को प्रभाशाली तरीके से कैसे कम किया


सभी भ्रष्टाचार पहले गुप्त होता है – जनता को नहीं दिखता है, मतलब परदे के पीछे का भ्रष्टाचार. जबतक वो सार्वजानिक होता है, तबतक काफी नुकसान हो गया होता है. उदाहरण, जो बच्चे गोरखपुर, फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश के हस्पतालों में पिछले साल ओक्सीजेन सिलेंडर के अभाव के कारण कारण मरे थे. भ्रष्टाचार पहले गुप्त था लेकिन जब सार्वजानिक हुआ तो काफी बच्चों की मौतें हो चुकी थी. रिकॉल का मतलब नागरिक उनके जनसेवकों को किसी भी दिन बदल सकते हैं. जूरी मुकदमा का मतलब है कि क्रमरहित तरीके (लॉटरी) से चुने गए नागरिक मुकदमे का फैसला देते हैं, न कि जज. इस लेख में  हमने बताया है  कि  कार्यकर्ताओं ने कैसे छोटे-छोटे प्रयास द्वारा गुप्त भ्रष्टाचार कम किया और कैसे दूसरे कार्यकर्ता भी गुप्त भ्रष्टाचार कम कर सकते हैं.
सभी भ्रष्टाचार पहले गुप्त होता है  – जनता को नहीं दिखता है, मतलब परदे के पीछे का भ्रष्टाचार. जबतक वो सार्वजानिक होता है, तबतक काफी नुकसान हो गया होता है.
जूरी मुकदमा का मतलब है कि क्रमरहित तरीके (लॉटरी) से चुने गए नागरिक मुकदमे का फैसला देते हैं, न कि जज.
इस लेख में  हमने बताया है  कि  कार्यकर्ताओं ने कैसे छोटे-छोटे प्रयास द्वारा गुप्त भ्रष्टाचार कम किया और कैसे दूसरे कार्यकर्ता भी गुप्त भ्रष्टाचार कम कर सकते हैं.

सिस्टम और कानून जो गुप्त भ्रष्टाचार कम कर सकते हैं – उदाहरण कैसे स्लोवाकिया के कार्यकर्ताओं ने सरकारी वेबसाईट के सुधार द्वारा भ्रष्टाचार कम किया जबकि स्लोवाकिया में कोई रिकॉल या जूरी नहीं है

किसी भी कानून को काम करने के लिए, नागरिकों को कानून का प्रयोग करके कार्य करना होता है और सही तरीके से कार्य करने के लिए नागरिक को सही जानकारी की आवश्यकता होती है. यदि सभी गैर-गोपनीय जानकारी जो सरकारी दफ्तरों में पहले से उपलब्ध है जैसे जनसेवक के काम के डिटेल, पब्लिक पैसों के खर्चे के डिटेल आसानी से जनता को उपलब्ध हैं और फिर उसपर कार्यकर्ता कार्य करें, तो गुप्त भ्रष्टाचार कम किया जा सकती है.
कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण, स्लोवाकिया में शाला पहला नगर निगम बना जहाँ सभी सरकारी ठेके और रसीदें ऑनलाइन डाली गयीं. इससे प्रेरणा लेते हुए मार्टिन शहर के महापौर आंद्रेज रिन्सियर ने भी सरकारी ठेके और रसीदें ऑन-लाइन डालनी शुरू कर दीं. ये सब प्रयास बहुत प्रसिद्द हुए और दोनों महापौर फिरसे चुने गए. इससे स्लोवाकिया देश के दूसरे कार्यकर्ता और जनसेवक भी पारदर्शिता के महत्व को मानने लगे और समझ गए कि पारदर्शिता लाने से काफी सुधार संभव हैं.
कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण, स्लोवाकिया में शाला पहला नगर निगम बना जहाँ सभी सरकारी ठेके और रसीदें ऑनलाइन डाली गयीं. इससे प्रेरणा लेते हुए मार्टिन शहर के महापौर आंद्रेज रिन्सियर ने भी सरकारी ठेके और रसीदें ऑन-लाइन डालनी शुरू कर दीं.
2010 के बाद के सालों में, स्लोवाकिया के न्याय मंत्री ने स्लोवाकिया के सांसद में पारदर्शिता लाने के नए कानून पेश किए और इन दो नगर निगम द्वारा किए गए कार्यों का उल्लेख किया. और उस समय, कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण, 2011 में स्लोवाकिया में राष्ट्रीय कानून बना कि कुछ अपवाद छोड़ कर सभी सरकारी ठेके तभी वैध होंगे जब वे सरकारी वेबसाईट पर प्रकाशित किए जायेंगे. इस शर्त के कारण कि सरकारी ठेके तब तक वैध नहीं होंगे जबतक वे ऑन-लाइन प्रकाशित नहीं होंगे, कानून का पालन होना कोई मुद्दा नहीं था.
http://odimpact.org/files/case-study-slovakia.pdf
कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण, 2011 में स्लोवाकिया में राष्ट्रीय कानून बना कि कुछ अपवाद छोड़ कर सभी सरकारी ठेके तभी वैध होंगे जब वे सरकारी वेबसाईट पर प्रकाशित किए जायेंगे.
राष्ट्रीय स्तर के स्लोवाकिया के ठेकों की पूरी जानकारी जिसमें ठेके की पी.डी.एफ. भी है, crz.gov.sk पर देखी जा सकती है और नगर निगम के ठेके स्लोवाकिया के नगर निगम की साईट पर देखे जा सकते हैं.
ठेकों का ऑन-लाइन केन्द्रीय रजिस्टर (crz.gov.sk) को बनाने के लिए 20 हजार यूरो (आज के समय में करीब 16.6 लाख रुपये) लगे और पहले 4 साल साइट को अपडेट करने के लिए करीब 4500 यूरो लगे (आज के समय में करीब 3.75 लाख रुपये). साइट के रखरखाव में हर साल 3000 यूरो का खर्चा आता है (आज के समय के करीब 2.5 लाख रुपये). 2011 से 2014 तक 780 हजार से अधिक राष्ट्रीय स्तर के ठेकों को केन्द्रीय रजिस्टर पर ऑन-लाइन प्रकाशित किया जा चु़क है. और अनुमान है कि 2700 स्लोवाकिया के नगर निगमों के वेबसाईट पर दस लाख से अधिक ठेके इन 4 सालों में डाले जा चुके हैं. तो हम देख सकते हैं कि गैर-सरकारी दस्तावेजों को ऑन-लाइन डालने के लिए लगने वाले साधन जैसे खर्चा और कर्मचारी कम से कम हैं जबकि दस्तावेजों को ऑनलाइन डालने से जो बचत होती है, वो कहीं अधिक है.
इस कानून से स्लोवाकिया को कैसे लाभ हुआ और गुप्त भ्रष्टाचार कैसे कम हुआ जबकि स्लोवाकिया में रिकॉल, जूरी सिस्टम जैसा कोई कानून नहीं है ? हम आपको कुछ उदाहरण देंगे.
1. एक उदाहरण है कि एक सरकारी हस्पताल ने एक स्कैन करने की मशीन ठेके पर खरीदी. कार्यकर्ताओं ने ये ध्यान दिलाया कि इस मशीन के चालान की कीमत बहुत अधिक है और कार्यकर्ता ने प्रमाण दिया कि इसी गुणवत्ता की मशीन आधी कीमत पर मिल सकती है. दबाव के कारण, सरकार को ये ठेका रद्द करना पड़ा और इस प्रकार जनता का बहुमूल्य पैसा बर्बाद होने से बच गया. इसके अलावा, जनदबाव के कारण स्वास्थ्य मंत्री और तीन हस्पताल के निर्देशकों को तुरंत हटाया गया जबकि स्लोवाकिया में कोई रिकॉल प्रक्रिया नहीं है.
एक सरकारी हस्पताल ने एक स्कैन करने की मशीन ठेके पर खरीदी. कार्यकर्ताओं ने ये ध्यान दिलाया कि इस मशीन के चालान की कीमत बहुत अधिक है और कार्यकर्ता ने प्रमाण दिया कि इसी गुणवत्ता की मशीन आधी कीमत पर मिल सकती है.
दबाव के कारण, सरकार को ये ठेका रद्द करना पड़ा और इस प्रकार जनता का बहुमूल्य पैसा बर्बाद होने से बच गया.
2. शैल कम्पनियाँ फर्जी कंपनियों की कड़ी है जिसके मालिकों का नाम गुप्त रहता है. सरकारी ठेके से प्राप्त रिश्वत के काले धन को छुपाने के लिए इन शैल कंपनियों का प्रयोग होता है ताकि ये पता लगाना मुश्किल हो जाये कि काला धन कहाँ गया. लेकिन जब ये कानून आया, तो शैल कंपनियों को ठेके नहीं मिले क्योंकि इस कानून के अनुसार कंपनियों को अपने मालिक को सार्वजानिक ऑन-लाइन बताना होता है. तो, इस प्रकार, गुप्त भ्रष्टाचार कम हुआ.
3. क्योंकि बहुत सारे ठेके सार्वजानिक ऑन-लाइन प्रकाशित किए गए और मीडिया और कार्यकर्ता ठेकों पर नजर रख पाए और मंत्रियों को अपने निजी लाभ के लिए पब्लिक के पैसों का प्रयोग करने से रोक पाए. इस प्रकार, पब्लिक के पैसों की बर्बादी पर रोक लग सकी.
4. स्लोवाकिया में टेंडर को ऑनलाइन डालने का भी सिस्टम है. ऑनलाइन ठेके और ऑनलाइन टेंडर के कारण, पहले साल में, सरकारी खरीद प्रक्रियाओं पर कम से कम 30% बचत हुई.
http://www.transparency.sk/wp-content/uploads/2015/05/Open-Contracts.pdf
इसके अलावा, स्लोवाकिया में ये भी कानून है कि जिन कंपनियों को सरकारी ठेके प्राप्त करने हैं, उनको अपने असली मालिक की जांच करवा कर ऑन-लाइन रजिस्टर करना होता है (पब्लिक पार्टनर रजिस्ट्री पर), नहीं तो उनके ठेके वैध नहीं होंगे. कोई भी कंपनी / व्यक्ति के नाम से सभी जानकारी इस लिंक पर खोज सकता है – https://rpvs.gov.sk/rpvs . स्लोवाकिया की जमीन की ऑनलाइन रजिस्ट्री इस लिंक पर देखी जा सकती है – https://www.katasterportal.sk/kapor/vyhladavanieVlastnikFormInit.do
इस सब जानकारी का उपयोग करके, कार्यकर्ता ठेकों में गडबडियों को ढूँढ पाए – जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सरकारी पद निर्णय और व्यक्तिगत रूचि के टकराव थे. इससे अफसरों को इस्तीफा देने पर मजबूर भी होना पड़ा –
  1. https://spectator.sme.sk/c/20060655/forai-leaves-his-health-insurance-post.html
  2. http://transparency.sk/wp-content/uploads/2017/06/Register-of-beneficial-ownership_study2017.pdf
  3. http://transparency.sk/wp-content/uploads/2017/12/Monitoring-transparency-in-the-healthcare-sector_TI-Slovakia_2012-2017.pdf
स्लोवाकिया के “सरकारी ठेके वैध नहीं जबतक ऑनलाइन प्रकाशित नहीं” के निति के सफलता के कारण, पड़ोसी चेक गणतंत्र के नगर निगमों ने भी सरकारी ठेकों की डिटेल ऑनलाइन डालना शुरू कर दिया और 2015 में चेक गणतंत्र में स्लोवाकिया के ठेके सम्बंधित कानून के समान कानून बना.
ऐसे बहुत सारे, छोटे-बड़े, विकसित-विकासशील देश हैं जिन्होंने पारदर्शिता को बढ़ाने के सुधारों को अपनाया. एक उदाहरण ग्रीस का है. ग्रीस ने एक बढ़िया सरकारी वेबसाईट बनाई है जहाँ सरकारी विभागों को अपनी नीतियों और निर्णयों को वेबसाईट पर डालना होता है. कुछ अपवादों को छोड़ कर, अधिकतर सरकारी निति / निर्णय तब तक वैध नहीं होते जब तक ऑन-लाइन वेबसाईट पर नहीं डाली जायें.
https://diavgeia.gov.gr/en
ग्रीस ने एक बढ़िया सरकारी वेबसाईट बनाई है जहाँ सरकारी विभागों को अपनी नीतियों और निर्णयों को वेबसाईट पर डालना होता है. कुछ अपवादों को छोड़ कर, अधिकतर सरकारी निति / निर्णय तब तक वैध नहीं होते जब तक ऑन-लाइन वेबसाईट पर नहीं डाली जायें.
HTTPS://DIAVGEIA.GOV.GR/EN
इसके अलावा, ग्रीस ने 1.5 लाख यूरो से अधिक टैक्स चोरी करने वालों की सूचि भी ऑनलाइन डाली है. इस सूची में प्रसिद्द गायक और खिलाड़ी भी हैं, जिन्होंने कई चेतावनियों के बावजूद लाखों यूरो का टैक्स नहीं भरा.
जापान में सरकारी ठेकों के ऑनलाइन रजिस्टर का ये लिंक देखें (ये साइट जापानी भाषा में है. कृपया गूगल ट्रांसलेट एक्सटेंशन / प्लग-इन को अपने ब्राउसर में इंस्टाल करके अनुवाद करें) – http://www.data.go.jp/data/dataset?q=%E5%A5%91%E7%B4%84%E3%81%99%E3%82%8B&res_format=PDF
जापान में कोई भी अच्छा रिकॉल करने की प्रक्रिया नहीं है और कोई भी जूरी प्रणाली नहीं है. कुछ सीमित मामलों में, जैसे हत्या, आम नागरिक (साईबान-इन) जजों के साथ बैठते हैं और फैसले देते हैं. ये साईबान-इन का सिस्टम जूरी सिस्टम से बहुत ही अलग है.
https://en.wikipedia.org/wiki/Lay_judges_in_Japan#Process

संयुक्त राज्य अमेरिका में रिकॉल, जूरी दूसरे देशों की तुलना में, गुप्त भ्रष्टाचार को कम करने में अधिक सफल क्यों है

संयुक्त राज्य अमेरिका में रिकॉल सबसे पहले 1900 के शुरवात में आया और उस समय, वहां जनसँख्या कम थी और जनसँख्या कम फैली हुई थी. संयुक्त राज्य अमेरिका में हमेशा से ही बहुत सारी सरकारी बैठक जनता के लिए खुली होती रही हैं और सरकारी दस्तावेज भी जनता को आसानी से उपलब्ध रहे हैं. आज भी, संयुक्त राज्य अमेरिका में जन सुनवाई कानून बनाने का एक अहम हिस्सा है और अधिकतर सरकारी बैठकें जनता के लिए खुली है. देखिये
  1. https://www.congress.gov/resources/display/content/How+Our+Laws+Are+Made+-+Learn+About+the+Legislative+Process#HowOurLawsAreMade-LearnAbouttheLegislativeProcess-PublicHearings
  2. https://www.in.gov/gov/files/BillintoLaw.pdf
  3. https://www.ndcel.us/how-to-testify-before-a-legislative-committee
तो दूसरे देशों से भिन्न, संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिकों के पास सरकारी दस्तावेजों की जानकारी थी जिसके द्वारा वे सही फैसले कर सकते थे और अच्छा काम करने वाले अफसरों का समर्थन कर सकते थे (अलग से – 1900 से पहले, संयुक्त राज्य अमेरिका में अफसर ही अफसरों को हटा सकते थे और उसी को रिकॉल कहा जाता था. लेकिन वह प्रक्रिया नागरिकों द्वारा रिकॉल नहीं थी. आप स्वयं इसका प्रमाण देख सकते हैं – http://www.ncsl.org/research/elections-and-campaigns/recall-of-state-officials.aspx)
लेकिन, आजके समय में जनसँख्या काफी बढ़ गयी है और फैल गयी है. और व्यस्त जीवनचर्या होने के कारण और अन्य कारणों से, आज कम लोग सरकारी बैठकों में जा पाते हैं और बहुत सारे लोग आज के समय में अपनी जानकारी इन्टरनेट द्वारा प्राप्त करते हैं. इसलिए, संयुक्त राज्य अमेरिका के कार्यकर्ताओं और नागरिकों ने अपनी सरकार को मजबूर किया कि वो ऐसे कानून बनाये जिसके द्वारा सरकारी दस्तावेजों को आसानी से सरकारी वेबसाईट पर आसानी से देख सकें. संयुक्त राज्य अमेरिका के पास ऐसी साइट हैं जहाँ नागरिक अपने जनप्रतिनिधियों द्वारा विभिन्न कानूनों पर दिए गए वोट को ऑन-लाइन देख सकते हैं. उदाहरण, देखिये –  https://nebraskalegislature.gov/bills/
संयुक्त राज्य अमेरिका के पास ऐसी साइट हैं जहाँ नागरिक अपने जनप्रतिनिधियों द्वारा विभिन्न कानूनों पर दिए गए वोट को ऑन-लाइन देख सकते हैं. उदाहरण, देखिये –  HTTPS://NEBRASKALEGISLATURE.GOV/BILLS
दूसरे देश जैसे ऑस्ट्रेलिया आदि ने भी ऐसे कानून बनाये हैं जिसके द्वारा गुप्त भ्रष्टाचार कम हो सके. 2011 में स्लोवाकिया ने एक कानून बनाया कि सभी सरकारी ठेके तभी वैध होंगे जब उनके पूरे डिटेल ऑन-लाइन वेबसाईट पर डाले जायेंगे. 2005 से, एक छोटे शहर, शाला में स्थानीय कार्यकर्ताओं ने अपने नगर निगम के अफसरों को मजबूर किया कि उनके नगर निगम सम्बंधित सरकारी ठेकों को ऑनलाइन नगर निगम वेबसाईट पर प्रकाशित किया जाये. और जब ये कार्यकर्ता बाद में, नगर निगम चुनावों में चुने गए तब भी उन्होंने सरकारी ठेकों का ऑनलाइन प्रकाशन जारी रखा.

कैसे “गुप्त” महा-जूरी संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिकों को हानि पहुंचा रही है और भारतियों को भी “गुप्त” महा-जूरी नुकसान कर सकती है और समाधान

महा-जूरी का मतलब होता है कि नागरिक क्रम-रहित तरीके से (लॉटरी से) मतदाता सूची से चुने जाते हैं और ये महा-जूरी सदस्य निर्णय करते हैं कि किसी शिकायत पर जूरी मुकदमा चलाया जायेगा कि नहीं. कृपया ये वीडियो देखिये कैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में “गुप्त” महा-जूरी वहां के नागरिकों को हानि पहुंचा रहे हैं. गुप्त महा-जूरी सदस्यों ने एक ऐसे मामले को स्वीकार करने से मना कर दिया जिसमें स्पष्ट दिख रहा था कि पोलिस अफसर ने एरिक गार्नर नामक व्यक्ति को गला दबाकर मार दिया –
https://www.theguardian.com/us-news/video/2014/dec/04/i-cant-breathe-eric-garner-chokehold-death-video
महा-जूरी का मतलब होता है कि नागरिक क्रम-रहित तरीके से (लॉटरी से) मतदाता सूची से चुने जाते हैं और ये महा-जूरी सदस्य निर्णय करते हैं कि किसी शिकायत पर जूरी मुकदमा चलाया जायेगा कि नहीं.
कृपया ये वीडियो देखिये कैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में “गुप्त” महा-जूरी वहां के नागरिकों को हानि पहुंचा रहे हैं. गुप्त महा-जूरी सदस्यों ने एक ऐसे मामले को स्वीकार करने से मना कर दिया जिसमें स्पष्ट दिख रहा था कि पोलिस अफसर ने एरिक गार्नर नामक व्यक्ति को गला दबाकर मार दिया
अभी, हम जूरी सिस्टम का समर्थन करते हैं, जज सिस्टम का नहीं लेकिन हमारे विचार में, “जूरी” के लेबल के नीचे बुरे प्रावधानों का बढ़ावा करना उतना ही नुकसानदायक है जितना कि एक बुरे जज सिस्टम का बढ़ावा करना या उससे भी अधिक नुकसानदायक हो सकता है.
महा-जूरी का जो भी प्रक्रिया है, यदि महा-जूरी की कार्यवाई गुप्त रहेगी, जनता को आसानी से उपलब्ध नहीं रहेंगी, महा-जूरी मामले को लेने से इनकार कर सकती हैं और जनता को महा-जूरी का ऐसा करने का कारण नहीं पता चलेगा. महा-जूरी का फैसल सही भी हो, तो भी उन जातियों / समूहों जिनके सदस्य के विरुद्ध महा-जूरी ने फैसल दिया था, उनको ये मनवाना बहुत कठिन हो जायगा कि महा-जूरी का फैसल सही था. इससे उन जातियों / समूहों में अविश्वास पैदा होने की सम्भावना काफी बढ़ जाती है और इसके परिणाम स्वरूप वे जातियां / समूह महा-जूरी के गुप्त फैसलों का विरोध करेगी और इससे दंगे होंगे.
तथाकथित रिकौलिस्ट ये दावा कर सकते हैं कि ये केवल एक भेद-भाव की समस्या है जो संयुक्त राज्य अमेरिका तक सीमित है. लेकिन हम देख सकते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका के बैक के क्षेत्र में कालों के विरुद्ध पहले काफी भेद-भाव था. लेकिन, संयुक्त राज्य अमेरिका के कार्यकर्ताओं ने सरकार को मजबूर किया कि ऐसे नियम पारित करे जिसके द्वारा बैंक लोन देने के तरीकों को सार्वजानिक करे और इस प्रकार, कार्यकर्ताओं ने इस भेद-भाव को कम किया. जबकि पोलिस और महा-जूरी की कार्यवाई के मामले में भेद-भाव को कार्यकर्ता कम नहीं कर पाए क्योंकि महा-जूरी की कार्यवाई जनता को उपलब्ध नहीं है. अधिक के लिए देखिये – https://web.archive.org/web/20130809022759/http://lamar.colostate.edu/~pr/redlining.pdf
जब महा-जूरी की कार्यवाई गुप्त रहेगी, पहले से मौजदू कोई भेद-भाव जैसे जातिवाद के बढ़ने की सम्भावना अधिक हो जाती है. जब महा-जूरी की कार्यवाई गुप्त रहेगी, जनता ये नहीं जान सकती कि महा-जूरी ने मामले को जूरी मुकदमे के लिए क्यों नहीं जाने दिया – क्या कोई वास्तविक कारण था जैसे सबूतों का आभाव या महा-जूरी सदस्यों ने कोई भेद-भाव किया था. महा-जूरी की कार्यवाई गुप्त होने से, दंगे करने वालों को शांत करने के लिए सही जानकारी प्राप्त करना संभव नहीं हो पायेगा. दंगों का एक मुख्य कारण अफवाह है – जिसको नागरिक जानकारी के आसानी से उपलब्ध न होने के कारण जांच नहीं सकते.
मान लीजिए कि ऐसा गुप्त महा-जूरी वाला जूरी सिस्टम हमारे देश में आ जाता है और मान लीजिए आपके पिता, भाई आदि रिश्तेदार को अन्यायपूर्वक दूसरी जाती या धर्म की पोलिस हत्या कर देती है. तो फिर, जातियों, धर्म में गलतफहमी के कारण, दंगे भी हो सकते हैं. तो क्या हमें ऐसा त्रुटिपूर्ण, गुप्त जूरी सिस्टम का अपने स्वार्थ या अंध-भक्ति के कारण बढ़ावा करना चाहिए ?
मान लीजिए कि ऐसा गुप्त महा-जूरी वाला जूरी सिस्टम हमारे देश में आ जाता है और मान लीजिए आपके पिता, भाई आदि रिश्तेदार को अन्यायपूर्वक दूसरी जाती या धर्म की पोलिस हत्या कर देती है. तो फिर, जातियों, धर्म में गलतफहमी के कारण, दंगे भी हो सकते हैं. तो क्या हमें ऐसा त्रुटिपूर्ण, गुप्त जूरी सिस्टम का अपने स्वार्थ या अंध-भक्ति के कारण बढ़ावा करना चाहिए ?
तथाकथित रिकौलिस्ट ने महा-जूरी की कार्यवाई को गुप्त रखने का प्रस्ताव किया है, कि गैर-गोपनीय सरकारी दस्तावेज सरकारी वेबसाईट पर आसानी से उपलब्ध नहीं होना चाहिए, लेकिन हम ऐसे प्रस्ताव का विरोध करते हैं.

कार्यकर्ताओं को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए भ्रष्ट भ्रष्टाचार को कम करने के लिए

कोई भी तरीका या सिस्टम जिससे भ्रष्टाचार खुला होता है जब वो छोटा हो – ऐसा तरीका लाभदायक है क्योंकि तब कार्यकर्ता और नागरिक उसके विरुद्ध कार्यवाई करके भ्रष्टाचार से होने वाली हानि को रोक सकते हैं. यदि कोई प्रस्तावित या वर्तमान कानून या सिस्टम ऐसा है कि कार्यवाई तभी होती है जब भ्रष्टाचार बढ़कर सार्वजानिक होता है और सबको दिखता है, तो तब तक पहले ही काफी जान और माल का नुकसान हो गया होता है.
ऐसे सिस्टम जो भ्रष्टाचार को सार्वजानिक नहीं करते, उनसे नुकसान होता ही रहेगा और भ्रष्टाचार कम नहीं होगा. तथाकथित रिकौलिस्ट ये दावा करते हैं कि रिकॉल, जूरी आदि कानून एक जादूई छड़ी के तरह काम करेगा जिससे “कानून का डर” पैदा होगा. लेकिन ऐसा नहीं होता है. पेरू ऐसा देश है जिसमें सबसे अधिक रिकॉल हुए हैं लेकिन फिर भी उसमें कोई भी “रिकॉल का डर” पैदा नहीं हुआ है और गुप्त भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है.
ऐसे सिस्टम जो भ्रष्टाचार को सार्वजानिक नहीं करते, उनसे नुकसान होता ही रहेगा और भ्रष्टाचार कम नहीं होगा.
तथाकथित रिकौलिस्ट ये दावा करते हैं कि रिकॉल, जूरी आदि कानून एक जादूई छड़ी के तरह काम करेगा जिससे “कानून का डर” पैदा होगा. लेकिन ऐसा नहीं होता है.
पेरू ऐसा देश है जिसमें सबसे अधिक रिकॉल हुए हैं लेकिन फिर भी उसमें कोई भी “रिकॉल का डर” पैदा नहीं हुआ है और गुप्त भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है.
पेरू भारत से अधिक भ्रष्ट कहा जाता है. पेरू और दूसरे दक्षिण अमेरिकी देशों में रिकॉल केवल विरोधी राजनैतिक पार्टियों और उनके उम्मीदवारों के लिए, हारने के बाद, विजेताओं को हटाने का साधन बन गया है. राजनैतिक पार्टियां बहुत सारा पैसा खर्च करके मीडिया से अपने उम्मीदवारों के लिए प्रचार करवाती हैं. क्योंकि पेरू के नागरिकों के पास जूनियर अफसरों के काम देखने का कोई स्वतंत्र साधन नहीं है, पेरू के नागरिक मीडिया प्रचारित उम्मीदवारों में से ही चुनने के लिए मजबूर / लालायित हो जाते हैं. तो, जब कोई गुप्त भ्रष्टाचार इतना बढ़ जाता है और इतना नुकसान करता है कि वो खुले में आ जाता है, तभी अफसर को हटा भी दिया जाता है और दूसरा अफसर आता है. लेकिन भ्रष्टाचार गुप्त होने के कारण, भ्रष्टाचार चलता रहता है और ये सिलसिला चलता रहता है.
किसी कानून या सिस्टम को लागू करने के लिए कार्यकर्ताओं और जनता को उचित जानकारी चाहिए होती है ताकि उस कानून पर वे काम कर सकें. प्रस्तावित टी.सी.पी. मीडिया पोर्टल कानून के उदाहरण में भी, कार्यकर्ताओं को पहले सूचना अधिकार अर्जी दर्ज करना होता है और उस अर्जी की फोटोकॉपी और उस अर्जी के प्राप्त जवाब को एफिडेविट पर डालना होता है. हमने देखा है कि इस सब में काफी समय लग सकता है और हमने ये भी देखा है कि ये जानकारी बहुत बार दी भी नहीं जाती है. कार्यकर्ताओं को उचित जानकारी मिले और उनको अपनी जान का भी खतरा नहीं हो, इसके लिए ये प्रस्ताव किया गया था कि जनता को गैर-गोपनीय दस्तावेज आसानी से, सरकारी वेबसाईट पर उपलब्ध होने चाहिए.
किसी कानून या सिस्टम को लागू करने के लिए कार्यकर्ताओं और जनता को उचित जानकारी चाहिए होती है ताकि उस कानून पर वे काम कर सकें.
तथाकथित रिकौलिस्ट जो लोगों को विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहे हैं, उससे भिन्न, हम रिकॉल, जूरी प्रक्रियाओं का समर्थन करते हैं. लेकिन रिकॉल, जूरी, आदि एक बिल्डिंग की ऊपर की मंजिल हैं और आसानी से उपलब्ध उचित जानकारी सभी कानूनों की नीव है. बिना प्रथम दृष्टया सबूत के, कोई भी महा-जूरी मामले को स्वीकार नहीं करती.
तथाकथित रिकौलिस्ट अंध-भक्ति करके ये मानते हैं कि कोई जादू की छड़ी से सबकुछ सुधर जाने वाला है. तथाकथित रिकौलिस्ट ये दावा करते हैं कि पेरू, वेनेजुअला में कानून कमजोर हैं लेकिन वे ये बताने से मना करते हैं कि उनके प्रस्तावित कानून जैसे रिकॉल, संपत्ति-कर आदि गुप्त भ्रष्टाचार (परदे के पीछे का भ्रष्टाचार) को कैसे कम करेंगे. वे ये नहीं बताते कि केवल एक हटाने की प्रक्रिया से अफसर क्यों वेबसाईट पर अपने ही खिलाफ जानकारी डालेंगे.
यदि आप एक अकाउंटेंट को काम पर रखते हैं और ऐसी जगह रहते हैं जहाँ पर कानून है कि कोई भी अकाउंटेंट आपको आपके ही खाते नहीं दिखायेगा, तो केवल अकाउंटेंट को हटाने के अधिकार से, आप अकाउंटेंट को खाते दिखाने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. इसके विरुद्ध, यदि अकाउंटेंट कोई भ्रष्टाचार करता है, तो वो अकाउंटेंट अपना पूरा प्रयास करेगा कि आपको खाते नहीं दिखाए जायें और वो अकाउंटेंट खातों को बर्बाद करने का पूरा प्रयास करेगा. और यदि आप उसको हटा भी देते हो, तो अगला अकाउंटेंट गुप्त भ्रष्टाचार जारी रखेगा.
हमने देखा है कि कैसे स्लोवाकिया में सरकारी ठेकों में पारदर्शिता पहले स्थानीय, नगर निगम के स्तर पर शुरू हुई और फिर पूरे राष्ट्र में फैली और यहाँ तक पड़ोसी देशों में भी फैल गयी. अधिकतर कार्यकर्ता, जमीनी स्तर पर, अपने स्थानीय क्षेत्र में काम करते हैं. ये कार्यकर्ता अपने-अपने नगर निगम आयुक्त या जिला कलेक्टर से इस प्रकार के सिस्टम बनाने के लिए मांग कर सकते हैं. आप इन प्रस्तावों का लिंक fb.com/CitizenVerifiableLaws पेज के कवर फोटो के विवरण में देख सकते हैं.
हमने देखा है कि कैसे स्लोवाकिया में सरकारी ठेकों में पारदर्शिता पहले स्थानीय, नगर निगम के स्तर पर शुरू हुई और फिर पूरे राष्ट्र में फैली और यहाँ तक पड़ोसी देशों में भी फैल गयी.
अधिकतर कार्यकर्ता, जमीनी स्तर पर, अपने स्थानीय क्षेत्र में काम करते हैं. ये कार्यकर्ता अपने-अपने नगर निगम आयुक्त या जिला कलेक्टर से इस प्रकार के सिस्टम बनाने के लिए मांग कर सकते हैं.
कार्यकर्ता, जो स्थानीय स्तर पर, जमीन पर काम कर रहे हैं, उनको इन पारदर्शी सिस्टम के लिए विभिन्न तरीकों द्वारा समर्थन इकठ्ठा करने का प्रयास करना चाहिए. इन तरीकों में समर्थकों का नाम, वोटर नंबर / पता और क्षेत्र लेकर सार्वजनिक, इन्टरनेट पर दिखाना चाहिए. इनमें से कुछ तरीके, जो किसी भी नागरिक द्वारा जांचे जा सकते हैं, उन तरीकों को हमने पहले के वीडियो में बताया है. जो कार्यकर्ता ऑनलाइन कार्य करते हैं, उनको प्रयास करना चाहिए कि अच्छे कानूनों के लिए वोटर नंबर इकठ्ठा करके सार्वजानिक दिखाएँ. उनको अपने मित्रों को अपना वोटर नंबर / पता, नाम और क्षेत्र ऑनलाइन कमेन्ट या मेसेज द्वारा देने के लिए कहना चाहिए.
जो कार्यकर्ता ऑनलाइन कार्य करते हैं, उनको प्रयास करना चाहिए कि अच्छे कानूनों के लिए वोटर नंबर इकठ्ठा करके सार्वजानिक दिखाएँ. उनको अपने मित्रों को अपना वोटर नंबर / पता, नाम और क्षेत्र ऑनलाइन कमेन्ट या मेसेज द्वारा देने के लिए कहना चाहिए
कार्यकर्ताओं को राष्ट्र-विरोधी newindia साइट, change dot org साइट आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इन तरीकों में फर्जी वोटिंग की जा सकती है और दूसरे नागरिक समर्थकों के डाटा को जांच नहीं सकते और इसलिए इन तरीकों द्वारा अफसरों पर कोई भी दबाव नहीं आता.
कार्यकर्ताओं को राष्ट्र-विरोधी NEWINDIA साइट, CHANGE DOT ORG साइट आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इन तरीकों में फर्जी वोटिंग की जा सकती है और दूसरे नागरिक समर्थकों के डाटा को जांच नहीं सकते और इसलिए इन तरीकों द्वारा अफसरों पर कोई भी दबाव नहीं आता.
तथाकथित रिकौलिस्ट पारदर्शिता का विरोध करते हैं ये कहकर कि ये “बेकार” है या “नुकसानदायक” है जबकि हमने बताया कैसे स्लोवाकिया, चेक गणतंत्र, जापान आदि बहुत सारे देशों में पारदर्शिता बढ़ी और गुप्त भ्रष्टाचार कम हुआ जबकि इन देशों में रिकॉल / जूरी नहीं है. लेकिन तथाकथित रिकौलिस्ट ये बताने से इनकार करते हैं कि कैसे उनके प्रस्तावित धाराएं गुप्त भ्रष्टाचार को कम कर सकती हैं या कैसे कोई और तरीके द्वारा गुप्त भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है.
कई सालों से तथाकथित रिकौलिस्ट जमीन के रिकोर्ड की डिटेल सार्वजानिक वेबसाइट पर डालने की मांग प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों से कर रहे हैं और ये भी कह रहे हैं कि यदि प्रधानमंत्री / मुख्यमंत्री ऐसा नहीं करते, तो वे बुरे हैं. लेकिन, अभी तथाकथित रिकौलिस्ट ने यू-टर्न लिया है और विभिन्न बहाने देकर ये कह रहे हैं कि गैर-गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को सरकारी वेबसाईट पर नहीं डालना चाहिए. अभी, हमें पता चलता है कि उनकी पहले की मांग केवल राजनैतिक लाभ लेने के लिए थी और उनको सिस्टम में सुधार में कोई भी रूचि नहीं है.
तथाकथित रिकौलिस्ट चाहते हैं कि सांसद / विधायक का असली काम जनता को नहीं पता चले. सांसद / विधायक का असली काम है कि उन्होंने किन कानूनों के लिए वोट द्वारा समर्थन किया है या विरोध किया है. लेकिन तथाकथित रिकौलिस्ट ये नहीं बताते कि बिना सांसदों / विधायकों का काम देखे, नागरिक कैसे निर्णय करेंगे कि उनके सांसद / विधायक को हटाया जाये या बदला जाये.
इसके अलावा, तथाकथित रिकौलिस्ट इन प्रश्नों के साथ छेड़छाड़ करके अपने ही प्रश्न बनाते हैं, ऐसे प्रश्न जिनको किसी ने पूछा ही नहीं और अपने ही द्वारा बनाये प्रश्नों का उत्तर देकर, ये सफाई देने का प्रयास करते हैं कि जनता को गैर-गोपनीय दस्तावेजों को आसानी से सरकारी वेबसाइट पर नहीं उपलब्ध होना चाहिए. वे इस प्रश्न का पूरी तरह से टाल जाते हैं कि कैसे उनके द्वारा प्रस्तावित धाराएं परदे के पीछे भ्रष्टाचार का खुलासा करेंगे.
कार्यकर्ताओं को विभिन्न देशों के कानून और सिस्टम का अध्ययन करना चाहिए और देखना चाहिए कि विभिन्न देशों के कानूनों की धाराओं का उन देशों पर क्या प्रभाव होता है – क्या उन धाराओं ने उन देशों की समस्याओं को कम किया है या बढ़ा दिया है. जितने अधिक कार्यकर्ता इस प्रकार दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में सिस्टम के बारे में स्वतंत्र सोचेंगे और शोध करेंगे, तो हमारा देश उतना ही विकास करेगा.
कार्यकर्ताओं को विभिन्न देशों के कानून और सिस्टम का अध्ययन करना चाहिए और देखना चाहिए कि विभिन्न देशों के कानूनों की धाराओं का उन देशों पर क्या प्रभाव होता है – क्या उन धाराओं ने उन देशों की समस्याओं को कम किया है या बढ़ा दिया है.
जितने अधिक कार्यकर्ता इस प्रकार दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में सिस्टम के बारे में स्वतंत्र सोचेंगे और शोध करेंगे, तो हमारा देश उतना ही विकास करेगा.
कार्यकर्ताओं को त्रुटिपूर्ण कानून-ड्राफ्ट, जिनमें कोई पारदर्शिता नहीं है, ऐसे त्रुटिपूर्ण कानून-ड्राफ्ट का सहारा लेकर, चुनावी बयान-बाजी नहीं करनी चाहिए. जबतक किसी क्षेत्र में कम से कम 1% मतदाता ये मांग नहीं कर रहे हैं कि गैर-गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को सरकारी वेबसाइट पर दिखाया जाये, तबतक उस क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए.
कार्यकर्ताओं को त्रुटिपूर्ण कानून-ड्राफ्ट, जिनमें कोई पारदर्शिता नहीं है, ऐसे त्रुटिपूर्ण कानून-ड्राफ्ट का सहारा लेकर, चुनावी बयान-बाजी नहीं करनी चाहिए.
जबतक किसी क्षेत्र में कम से कम 1% मतदाता ये मांग नहीं कर रहे हैं कि गैर-गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को सरकारी वेबसाइट पर दिखाया जाये, तबतक उस क्षेत्र से चुनाव नहीं लड़ना चाहिए.
आप देखेंगे कि जैसे चुनाव पास आते हैं, ऐसे पोस्ट होंगे जिसमें किसी प्रस्तावित कानून-ड्राफ्ट के लिए दान देने की बात होगी जबकि उन ड्राफ्ट की धाराओं पर कभी चर्चा ही नहीं हुई कि कैसे उन ड्राफ्ट के धाराएं गुप्त भ्रष्टाचार कम करेंगे. हम ऐसे व्यक्तियों को दान या समर्थन नहीं करेंगे, सभी अपना-अपना निर्णय कर सकते हैं कि क्या करना है – त्रुटिपूर्ण कानून-ड्राफ्ट का बढ़ावा करना है जो समाज में जातिवाद और पक्षपात का बढ़ावा करेंगे और देश का नुकसान करेंगे या फिर पहले प्रस्तावित धाराओं पर चर्चा करना है कि कैसे वे देश के समस्याओं को कम करेगा और फिर निर्णय करना है.