Friday 29 March 2019

तम्बाकू खाने के ये नुकसान जानकर तम्बाकू खाना छोड़ देंगे



तम्बाकू का सेवन किसी भी रूप में किया जाए वो सेहत को नुकसान ही पहुँचाता है। तम्बाकू का ऐसा ही एक रूप है गुटखा जो तम्बाकू के साथ कत्था और सुपारी मिला कर बनाया जाता है। गली गली की हर छोटी से छोटी दुकान पर मिला करने वाले इस रूप को शौक के रूप में खाने वाले लोगों को कब इसकी लत लग गयी, ये तो शायद उन्हें भी पता नहीं चला होगा। अलग अलग स्वाद और रंग बिरंगे पाउच में मिलने वाले गुटखे पर भले ही रोक लग गयी हो लेकिन क्यूँकि ये लोगों की जेब पर भारी नहीं पड़ता इसलिए गुटखा खाने वाले इस आदत को छोड़ने के बारे में सोचते ही नहीं और गुटखे की इस लत के शिकार लोगों में युवाओं की संख्या भी कम नहीं है। ऐसे में अगर आपको ये पता चले कि छोटे से पाउच में आने वाला तम्बाकू का ये रूप कैसे मौत के मुँह तक ले जाता है तो शायद इसे न खाने के बारे में सोचा जा सकेगा। चंडीगढ़ में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि गुटखा खाने का बुरा असर न केवल दांतों पर बल्कि शरीर के कई भागों पर पड़ता है। तो चलिए, आज आपको बताते है गुटखा खाने से सेहत को होने वाले नुकसानों के बारे में–
दांत गल जाते हैं – लगातार गुटखा खाने से दांत समय से पहले ढीले व कमजोर हो जाते हैं और बैक्टीरिया दांतों में जगह बना लेते हैं जिससे दांत गल जाते हैं।
शरीर के एंज़ाइम्स पर बुरा प्रभाव – गुटखे में कई नशीले पदार्थों का मिश्रण होता है जिसके कारण ये शरीर के एंज़ाइम्स पर बुरा असर डालता है। हमारे शरीर के हर अंग में साइप-450 नामक एंजाइम पाया जाता है जो हार्मोंस के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और गुटखे के सेवन से इस एन्ज़ाइम की कार्यक्षमता पर बुरा असर पड़ता है।
मुँह का कैंसर – गुटखे का लगातार सेवन करने वाले लोगों के जीभ, जबड़ों व गालों के भीतर संवेदनशील सफेद पेच बनने लगते है और मुँह में कैंसर की कोशिकाएं विकसित होने लगती है जिसके बाद मुँह का खुलना धीरे धीरे बंद होने लगता है और मुँह में पूरी तरह फैल चुका ये कैंसर बहुत बार जानलेवा भी साबित होता है।
डीएनए को क्षति – गुटखा खाना शरीर के हॉर्मोन्स को तो प्रभावित करता ही है साथ ही इसके सेवन से डीएनए को भी क्षति पहुंचने की आशंका बढ़ जाती है।
फेफड़ों का कैंसर – गुटखे से होने वाला नुकसान केवल मुँह के कैंसर तक ही नहीं रुकता बल्कि गले और श्वासनली से होता हुआ फेफड़ों में पहुंच कर कैंसर का रूप ले लेता है।
दिल को भी पहुँचता है नुकसान – गुटखे के थोड़ी सी मात्रा का सेवन दिल की बीमारियों के लिए भी जिम्मेदार होता है और उच्च रक्तचाप रहने का सम्बन्ध इसके सेवन से ही होता है।
पेट की तकलीफ़ – अनजाने में गुटखे की लगायी गयी लत पेट में दर्द और अल्सर जैसी बीमारियां पैदा कर देता है और इसके सेवन से एसिडिटी की शिकायत रहना एक आम बात है।
अनिद्रा की समस्या – गुटखे में मौजूद नशीले पदार्थ जहाँ व्यक्ति को अच्छा महसूस कराते हैं वहीँ इसका सेवन अनिद्रा जैसे रोग भी उत्पन्न करता है।
गर्भवती महिलाओं को हानि – गुटखे का सेवन करने वालों में महिलाओं का नाम भी शुमार है। प्रेग्नेंसी के दौरान गुटखे का सेवन शिशु के वज़न को प्रभावित करता है और नशीले पदार्थों के सेवन से कई बार गर्भपात की स्थिति भी आ जाती है। इसके अलावा गुटखे का सेवन महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित भी करता है और बुढ़ापे के लक्षण भी जल्दी ले आता है।
सेक्स क्षमता पर प्रभाव – रिसर्च बताते हैं कि गुटखे का सेवन न केवल कैंसर को बढ़ावा देता है बल्कि इसके सेवन का सबसे ज़्यादा कुप्रभाव सेक्स क्षमता पर पड़ता है और इससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता के समाप्त हो जाने की संभावना भी रहती है।
गुटखे के सेवन से कोई फायदा नहीं होता बल्कि शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाता है जिसे बिना सोचे जाने ही अपनी दिनचर्या का एक जरुरी हिस्सा बना लिया जाता है। लेकिन अब आप जान गए हैं कि गुटखा सेहत का दुश्मन है दोस्त नहीं। इसलिए अभी से इसके सेवन को रोक दीजिये और अपने शरीर के प्रति अपने फ़र्ज़ को अच्छे से निभाइये।


तंबाकू के खतरनाक नुकसान

वर्तमान समय में तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। वयस्कों के साथ-साथ युवा भी तेजी से इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। इससे वे न सिर्फ तंबाकू के आदी हो रहे हैं बल्कि तंबाकू का सेवन उनके जीवन का हिस्सा बनता जा रहा है। कहा जाता है कि तंबाकू एक मीठा जहर है, यह धीरे-धीरे इंसान को अंदर से खोखला करता है और फिर उसकी जान ले लेता है। हालांकि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो इस बात से अनजान हो फिर भी लोग तंबाकू का सेवन कर अपने जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
बहुत से लोग तंबाकू का इस्तेमाल सिगरेट के रूप में करते हैं तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जो तंबाकू को चबाते हैं। तंबाकू में निकोटिन पाया जाता है और इसके सेवन के बाद स्ट्रेस से राहत मिलती है। तंबाकू का सेवन करने वालों को धीरे-धीरे इसकी आदत लग जाती है। तंबाकू का प्रभाव हर व्यक्ति पर अलग-अलग पड़ता है। यह उस व्यक्ति के स्वास्थ्य, वजन और कितनी मात्रा में वह तंबाकू का सेवन करता है, इस पर भी निर्भर करता है।
अगर आप अभी तक तंबाकू के सेवन से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव से अनभिज्ञ हैं तो आइए हम बताते हैं इससे होने वाले नुकसान के बारे में-
मुंह और दांत की समस्या – स्टडी में पाया गया है कि तंबाकू चबाने वाले लोगों के मुंह में ल्यूकोप्लैकिया होने का खतरा रहता है। ल्यूकोप्लैकिया मुंह के अंदर होने वाला भूरा-सफेद रंग का धब्बा है जो कैंसर का रूप धारण कर लेता है। अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से तंबाकू का सेवन कर रहा है तो उसमें ल्यूकोप्लैकिया की संभावना सबसे ज्यादा होती है। इसके अलावा तंबाकू का सेवन करने वालों के दांतों में दाग के निशान पड़ने लगते हैं। धीरे-धीरे यह दांतों के मसूड़ों के टिश्यू को नुकसान पहुंचाने लगता है। इसकी वजह से मुंह में मसूढ़ों की बीमारी, कैविटी और दांत टूटने की समस्या उत्पन्न होने लगती है।
कैंसर – तंबाकू का सेवन करने से गले, पेट, आंत और मुंह के कैंसर की ज्यादा संभावना होती है। इसके साथ ही महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का खतरा रहता है। तंबाकू का सेवन करने वाले 85 वर्ष से कम उम्र के 22.1 प्रतिशत पुरुष औऱ 11.9 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु लंग कैंसर से होती है।
प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग पर प्रभाव – प्रेगनेंसी के दौरान तंबाकू का सेवन करने वाली महिलाओं में कई तरह के ड्रग्स उसके प्लेसेंटा में प्रवेश कर जाते हैं जिससे जन्म लेने वाले बच्चे पर इसका प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा समय पूरा होने से पहले ही डिलीवरी का खतरा बना रहता है। इससे जन्म लेने वाले बच्चे का वजन सामान्य से काफी कम पाया जाता है। अगर ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिला तंबाकू का सेवन करती है तो इससे दूध पीने वाले बच्चे के सेहत पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए प्रेगनेंसी या ब्रेस्टफीडिंग से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही तंबाकू का सेवन करें।
किडनी पर प्रभाव – तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों में किडनी खराब होने की संभावन ज्यादा होती है क्योंकि तंबाकू का किडनी पर अतिरिक्त प्रभाव पड़ता है जिससे की किडनी डैमेज हो जाती है। इसके अलावा व्यक्ति में क्रोनिक किडनी की बीमारी का भी खतरा लगातार बना रहता है।
हृदय संबंधी बीमारियां – तंबाकू के सेवन से हृदय और ब्लड प्रेशर संबंधी कई बीमारियां हो सकती हैं। तंबाकू के धुंओं में मौजूद कार्बन डाइ ऑक्साइड ब्लड के ऑक्सीजन कैरी करने की गति को धीमा कर देता है। तंबाकू का सेवन करने वालों में हाई ब्लड प्रेशर, हॉर्ट अटैक और हॉर्ट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इंटरनेशनल टीम के शोधकर्ताओं द्वारा की गई स्टडी में यह पाया गया कि चालीस साल से कम उम्र के लोगों में तंबाकू के सेवन से हॉर्ट अटैक का खतरा पांच गुना अधिक होता है।


सेहत के लिए धीमा जहर है तम्बाकू

स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन की कामना हम सभी करते है। हर व्यक्ति में ये क्षमता भी होती है कि स्वयं का अच्छा और बुरा जान सके और उसके अनुसार अपने जीवन को ढाल सके। लेकिन बहुत बार आर्थिक तंगी, निराशा या खराब संगत के चलते लोग तम्बाकू के सेवन जैसी ग़लत राह चुन लेते है जो उनके जीवन को ग़लत दिशा में मोड़ देती है। तम्बाकू का सेवन पहले के ज़माने में जहाँ हुक्का-चिल्लम के रूप में किया जाता था वहीँ आज इसके अनेक विकल्प मौजूद है जैसे बीड़ी, सिगरेट, गुटका और हुक्का। पहले जहाँ बड़े बुज़ुर्गों के शौक के रूप में इसका चलन था वहीँ आज युवा भी इसमें बहुत अधिक सक्रिय हो गये है। अमीरों के एक शौक से इसकी शुरुआत हुयी और देखते ही देखते इसने अपने पाँव हर तबके में पसार लिए।
तम्बाकू में निकोटिन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार मौजूद होता है। निकोटिन एक जहरीला पदार्थ है जो नशा उत्पन्न करता है । निकोटीन, तंबाकू का सेवन करने वालों के व्यवहार को प्रभावित करता हैं। यह मस्तिष्क में रिसेप्टर्स को बांधता हैं, जहाँ ये मस्तिष्क के चयापचय को प्रभावित करता है और पूरे शरीर में वितरित हो जाता है। वहीँ तम्बाकू में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड रक्त में ले जाने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर देता हैं। यह सांस लेने में तकलीफ़ का कारण बनता है और तम्बाकू में मौज़ूद टार एक चिपचिपा अवशेष हैं, जिसमें बेन्जोपाइरीन होता है जो घातक कैंसर होने वाले “कारक एजेंटों” के नाम से जाना जाता हैं। इनके अलावा तम्बाकू में कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, हाइड्रोजन साइनाइड और एल्कोहल जैसे कई यौगिक पाए जाते है जो कैंसर का कारण बनते है।
ये तो आप जानते ही है कि तम्बाकू पूरे शरीर के लिए घातक होता है लेकिन ये शरीर के किस अंग को किस प्रकार प्रभवित करता है, ये जानना अभी बाकी है। तो चलिए, आज आपको बताते है तम्बाकू का शरीर के हर अंग पर पड़ने वाला प्रभाव-
मस्तिष्क पर प्रभाव – तम्बाकू का किसी भी रूप में सेवन किये जाने का एक प्रमुख कारण होता है कि यह व्यक्ति को अच्छा महसूस कराता है और कभी कभी उदासी, निराशा या उत्सुकता जैसी स्थिति का अहसास होता है। तम्बाकू का नियमित सेवन सिर दर्द और चक्कर आने जैसी स्थिति भी पैदा करता है। एक शोध के अनुसार, निकोटिन के सेवन का मस्तिष्क के मेटाबोलिज्म से गहरा रिश्ता होता है।
फेफड़ों पर प्रभाव – फेफड़ों में शुद्ध और अशुद्ध रक्त के संचरण में धमनी और शिराएं प्रयुक्त होती है। तम्बाकू में मौजूद निकोटिन महाधमनी को सख्‍त कर देता है। महाधमनी एक बड़ी धमनी होती है जो पूरे शरीर के लिए रक्त की आपूर्ति करती है। तम्बाकू के सेवन से सांस लेने में तकलीफ होती है क्योंकि धूम्रपान फेफड़ों को नुकसान पहुँचाता है और ये नुकसान कई बार फेफड़ों के कैंसर के रूप में भी नज़र आता है।
हृदय पर प्रभाव – तम्बाकू में मौज़ूद रसायन धड़कन को बढ़ा देते है और पूरे शरीर में रक्त वाहिकाओं को कस देती है जिससे हृदय रोग या दौरा पड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है।
माँसपेशियों पर प्रभाव – तम्बाकू का नियमित सेवन करने से मांसपेशियों में रक्त और ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है जिसके कारण थकान तो महसूस होती ही है साथ ही खेलकूद या व्यायाम जैसी क्रियाएँ करने पर हल्की सी चोट भी ज्यादा महसूस होती है।
हड्डियों पर प्रभाव – निकोटिन का अधिक सेवन फ्रैक्चर होने का ख़तरा बढ़ा देता है। जो महिलाएं निकोटिन का सेवन करती हैं उनको सबसे अधिक रीढ़ की हड्डी की समस्या रहती हैं। तम्बाकू के सेवन से स्लिप डिस्क और ओस्टीओपोरेसिस जैसी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।
पाचन तंत्र पर प्रभाव – तम्बाकू का सेवन विशेषकर जब धूम्रपान के रूप में किया जाता है तो पूरा पाचन तंत्र ही क्षतिग्रस्त हो जाता है। नियमित धूम्रपान अग्नाशय के कैंसर और पेप्टिक अल्सर होने की सम्भावना को भी बढ़ा देता है।
मुंह पर प्रभाव – तंबाकू में कार्बन मोनोआक्साइड और निकोटीन पाया जाता है इसलिए तंबाकू का सेवन दांतों पर दाग और सांस की बदबू जैसी समस्‍या उत्पन्न करता है। इसके अलावा तंबाकू का उपयोग गला, मुंह और आहार नली के कैंसर का खतरा भी पैदा करता है।
त्वचा और बालों पर प्रभाव – तंबाकू उत्पादों का उपयोग त्‍वचा पर झुर्रियां ला देता है और त्वचा को शुष्क और पीली बना देता है साथ ही बालों को पतला और कमज़ोर बना देता है।
अब आप जान चुके हैं कि तम्बाकू किस प्रकार शरीर के हर एक अंग को खोखला कर देता है और इसके सेवन से कोई फ़ायदा भी नहीं होता। इसलिए आप इससे दूरी बनाये रखे और अगर आप इसकी गिरफ्त में आ चुके है तो इसे अपनाने की बजाए इससे दूरी बनाना शुरू कीजिये। हर व्यक्ति में सामर्थ है कि अपनी ग़लतियों को सुधार सके। तो फिर देर किस बात की, आज ही से छोटे छोटे प्रयास शुरू कर दीजिये तम्बाकू को अलविदा कहने के लिए और इस तरह अपने जीवन को फिर से सही दिशा में ले आइये।


कौनसा नशा कितना खतरनाक है?

नशा आज के समय युवाओं के लिए एक फैशन का जरिया बन गया है और ये फैशन कब लत में बदल जाता है पता नहीं चलता। नशा चाहे किसी भी तरह का हो शरीर के लिए नुकसानदायक ही होता है कई बार तो जानलेवा भी हो जाता है। नशे कई तरह के होते हैं कुछ कम तो कुछ ज्यादा हानिकारक, आइये जानते हैं किस नशे से कितना खतरा होता है?
1. निकोटीन – तम्बाकू वाले उत्पाद जैसे सिगरेट में निकोटिन पाया जाता है और ये फेफड़ों और दिमाग को अपनी जकड में लेता है। एक शोध के अनुसार सिगरेट पीने वाले दो तिहाई लोग सिगरेट के आदि हो जाते हैं जिसे लत कहते हैं।
2. नींद की दवाइयां – आज के खानपान और जीवनशैली के चलते नींद ना आने की समस्या एक आम समस्या हो गई है और लोग इसका इलाज ना करवाकर नींद की गोलियों का सहारा लेते हैं और ये धीरे धीरे लत में बदल जाती है। नींद की दवाइयां लेने से दिमाग के कुछ हिस्से निष्क्रिय होने लगते हैं और इसकी ज्यादा मात्रा जानलेवा भी हो सकती है। अगर नींद की गोलियों का सेवन शराब के साथ किया जाये तो इसके जानलेवा hone का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
3. शराब – शराब ना सिर्फ लिवर पर बल्कि दिमाग पर भी बहुत बुरा असर करती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा की जो लोग शराब के आदि होते हैं उनके दिमाग में 40 से 360 प्रतिशत तक डोपामीन का स्तर बढ़ जाता है जो काफी नुकसानदायक होता है और इसी असर के कारण लोग शराब के आदि हो जाते हैं।
4. हेरोइन – नशा करने वाले लोगों में हेरोइन सबसे नशीले और पसंदीदा उत्पादों में से एक है जो दिमाग में डोपामीन के स्तर को 200 प्रतिशत तक बढ़ा देती है। हेरोइन की लत जहाँ शरीर के लिए बेहद खतरनाक है वहीँ ये कई इसकी ज्यादा मात्रा जानलेवा भी हो सकती है।
5. कोकीन – कोकीन लेने वाले लोगों के दिमाग में बनने वाले डोपामीन हार्मोन में रूकावट पैदा होती है जिससे एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक संदेश पहुंचने में बाधा आती है। एक शोध के अनुसार कोकीन के आदि लोगों के शरीर में डोपामीन का स्तर सामान्य से तीन गुना बढ़ जाता है जो काफी खतरनाक हो सकता है।