Wednesday, 8 April 2015

5000 साल पहले का "विमान" - & Modern History of Aero Planes


ओसामा बिन लादेन को खोजते हुए अमेरिकी सैनिको को अफगानिस्तान (कंधार) की एक गुफा में 5000 साल पहले का "विमान" मिला था जिसे महाभारत काल का बताया गया, Russian Foreign Intelligence के अनुसार ये वही विमान है जो संस्कृत रचित महाभारत में वर्णित है. और, जब इसका इंजन शुरू होता है तो बड़ी मात्रा में प्रकाश का उत्सर्जन होता है।
हालाँकि इस न्यूज़ को भारत के दलाल मिडिया ने नही दिखाया क्योंकि, उनकी नजर में हिंदूओ की महिमा बढ़ाने वाली ये खबर सांप्रदायिक है...!!
ज्ञातव्य है कि Russian Foreign Intelligence Service (SVR) report द्वारा 21 December 2010 को एक रिपोर्ट मे बताया गया है कि ये विमान द्वारा उत्पन्न एक रहस्यमयी Time Well क्षेत्र है जिसकी खतरनाक electromagnetic shockwave से ये अमेरिका के सील कमांडो मारे गये या गायब हो गये इसी की वजह से कोई गुफा में नहीं जा पाया। शायद आप लोगों ने सुना होगा की महाराज धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी एवं मामा शकुनि गंधार के ही थे.महाभारत के अनुसार एक विमान जिसमे कि चार मजबूत पहिये लगे हैं एवं परिधि में बारह हाथ के हैं इसके अलावा 'प्रज्वलन पक्षेपत्रों ' से सुसज्जित है .परिपत्र 'परावर्तक' के माध्यम से संचालित होता है और उसके अन्य घातक हथियारों का इस्तेमाल करते हैं. जब उसे किसी भी लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर पक्षेपित जाए तो तुरंत वह 'अपनी शक्ति के साथ यह भस्म' कर देता है और, जो जाते समय जो एक 'प्रकाश की शाफ्ट' का उत्पादन किया. ( जाहिर सी बात है कि... महाभारत में विमान एवं मिसाइल की बात की जा रही है ) हमारे महाभारत के इसी बात को US Military के scientists सत्यापित करते हुए यह बताते हैं कि ये विमान 5000 हज़ार पुराना (महाभारत कालीन) है और जब कमांडो इसे निकालने का प्रयास कर रहे थे तो ये सक्रिय हुआ जिससे इसके चारों और Time Well क्षेत्र उत्पन्न हो गया और यही क्षेत्र विमान को पकडे हुए है. इसीलिए इस Time Well क्षेत्र के सक्रिय होने के बाद 8 सील कमांडो गायब हो गए। जानकारी के लिए बता दूँ कि Time Well क्षेत्र विद्युत चुम्बकीये क्षेत्र है जो हमारे आकाश गंगा की तरह सर्पिलाकार होता है
वहीं एक कदम आगे बढ़ कर Russian Foreign Intelligence ने तो साफ़ साफ़ बताया कि ये वही विमान है जो संस्कृत रचित महाभारत में वर्णित है। सिर्फ इतना ही नहीं SVR report के मुताबिक यह क्षेत्र 5 August को फिर सक्रिय हुआ जिससे एक बार फिर electromagnetic shockwave नामक खतरनाक किरणें उत्पन्न हुई .इससे 40 सिपाही तथा trained German Shepherd dogs भी इसकी चपेट में गए। ये प्रत्यक्ष प्रमाण है. हमारे हिन्दू सनातन धर्म के उत्कृष्ट विज्ञान
का. अमेरिकियों को यह विमान 2011 मे ही मिल चुका था और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में यह चर्चा का विषय बना हुआ था ..परन्तु , उस समय हमारे हिंदुस्तान में ""हिन्दू विरोधी"" सरकार होने के कारण. इतने महत्वपूर्ण खबर को दबा दिया गया ..

श्री राम चरित मानस जिन्होंने भी पढ़ा होगा वे महर्षि भरद्वाज के नाम से भलीभांति परिचित होंगे. रामायण में इनकी बहुत प्रशंसा की गयी है. चरक संहिता में इन्हें चिकित्सा शास्त्र का जनक माना गया है.
ये अपने समय के बहुत बड़े वैज्ञानिक भी थे.
हालाँकि सवाल ये भी है कि जहाज तो इधर १०० साल में बने तो क्या कुछ आलोचक बताएँगे कि फिर जहाज के इतने सटीक वर्णन उससे पहले कैसे लिखे गए?
महर्षि भरद्वाज अपने ग्रन्थ 'यंत्र सर्वस्व' में आकाश में उड़ने वाले विमानों के सम्बन्ध में जो जानकारी देते हैं वो चौंका देने वाली है.
'
यंत्र सर्वस्व' के एक खंड 'विमान प्रकरण' में ये विभिन्न विमानों का विस्तार से वर्णन करते हैं.
इन्होने विमानों का युगानुसार वर्णन किया है. युगशक्ति अनुसार विमान अलग अलग प्रकार के होते हैं. त्रेता में मांत्रिक ( मन्त्र शक्ति ), द्वापर में तांत्रिक ( तंत्र शक्ति ) और कलयुग में इनके अनुसार यांत्रिक ( यंत्र शक्ति ) के विमानों का प्रचलन होता है. सतयुग में विमान की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि मानव चेतना इतनी उन्नत होती है की बिना किसी साधन के मनुष्य कहीं भी पहुँचने की क्षमता रखता है.
पुष्पक विमान को महर्षि मान्त्रिक शक्ति का विमान बताते हैं.
इनके अनुसार कुछ अन्य विमान इस प्रकार से हैं -
1.
बिजली से चलने वाला - शाक्युदगम
2.
अग्नि , जल , वायु से चलने वाला - भूतवाह
3.
गैस से चलने वाला - धूम्रयान
4.
तेल से चलने वाला - शिखोदगम
5.
सूर्य किरणों से चलने वाला - अंशुवाह
6.
चुम्बक से चलने वाला - तारामुखी
7.
मणियों से चलने वाला - मणिवाह
8.
केवल वायु से चलने वाला - मरुत्सखा
इनके अनुसार कलयुग में यांत्रिक विमान का प्रचलन होता है जिसमे खनिज तेल ईंधन रूप में प्रयुक्त होता है और विमानों की विभिन्न श्रेणियों में यह सबसे निम्न कोटि का विमान है...इसी ग्रन्थ के आधार पर भारत के बम्बई निवासी शिवकर जी ने Wright brothers से 8 वर्ष पूर्व ही एक विमान का निर्माण कर लिया था
ऑक्सफोर्ड विवि के ही एक संस्कृत प्रोफ़ेसर वीआर रामचंद्रन दीक्षितार अपनी पुस्तकवार इन एन्शियेंट इण्डिया इन 1944” में लिखते हैं कि आधुनिक वैमानिकी विज्ञान में भारतीय ग्रंथों का महत्त्वपूर्ण योगदान है. उन्होंने बताया कि सैकड़ों गूढ़ चित्रों द्वारा प्राचीन भारतीय ऋषियों ने पौराणिक विमानों के बारे में लिखा हुआ है.

Modern History of Aero Planes

The world says Wright brother invented it. Even we Indians repeat it. It’s time to change our belief.
Anyway, two American scientists as well as siblings unveiled the power of air transport to the entire society. They were Orville and Wilbur Wrights. These two had very keen observation power and showed the passion for science even from their boyhood. One day they thought about flying by seeing the birds. If they could fly, why wouldn’t us? This question led them to the beginning of a new era.
On December 17, 1903, they successfully flew. It was the new history. Media praised them. America became proud of their achievement. Other countries envied them and regretted. But no one realized that it wasn’t a new invention. Nobody knew that the idea and model of airplanes were not composed by Wright brothers at first. Our Epics (the Ramayana and the Mahabharatha) and the Vedas include the description of Airplanes.

Theory behind Flight

The following equation is the basis of flight.
L=kSV2CL
This was the equation used by Wright brothers to calculate the amount of lift a wing could produce.
According to them,
L= Lift in pounds
K= Coefficient of air pressure
S= Total area of lifting surface in square feet
V= Velocity in miles per hour
CL= Coefficient of lift
It is already said that our epics have airplane mentions. What does this show? Our monks and acharyas knew this theory. There were no English alphabets in ancient India. So they might know it in another form.

Have a Look at Our Epics

We know that we have two epics. The debutant Mahakavya in the world which is the Ramayana and the Mahabharatha.
Viman is the Sanskrit word which is used in the sense of Plane now. But it actually means “Measuring out sky” (Vi- sky and Man- measuring out). There were self-moving air chariots in ancient India. It has a height of about a 7 stories building.




Rukh Vimana
Source: http://www.bibliotecapleyades.net/vimanas/vs/vs02.htm

In the Ramayana, there is a form of Aero Plane which was owned by the king of the rakshasa, Ravana. It was named Pushpaka Viman, means Flowery Plane. Every beautiful thing in the world of Devas was made by Viswakarma, their Architect. So this one was not different. Pushpaka Viman was also built by Viswakarma for Brahma. But how it reached Ravana is a story.
Ravana was the son of Visrava, a sage and a Rakshasa woman named Kaikasi. Visrava also had another son with his wife Devavarnini (Ilavida). It was Kubera, the God of wealth. Kubera was the eldest and he is also called as Vaisravana.
Kubera kept a hard penance of about 49000 years to please Brahma, the God of creation. At last he was pleased and appeared before Vaisravana. Seeing his devotion and compassion, Brahma gifted Kubera with his Pushpaka Viman.




rukh vimana 2
Source: http://ceifan.org/i_vimana.htm

Kubera brought it to his land, Lanka (now Srilanka). After some years, both of it (Lanka as well as Viman) were looted by Ravana his half-blood brother. In Ramayana, we first see Pushpak Viman at the time when Ravana came to Dandaka forest and kidnaped Sita. He went back to Lanka with Sita in that Viman which moved at will.
Planes need the runway, right? Did Ravana make airports for his plane? A recent study says he did. He built 6 airports in Lanka to run his other aircrafts as well.
कई विमानों के साथ, धरती पर लंका चमक रही है,
यदि यह विष्णु की का वैकुंठधाम होता तो यह पूरी तरह से सफेद बादलों से घिरा होता।
Above Lines from Valmiki Ramayana prove the fact.
Read more about Ravana’s airports by clicking here.
Scientists concluded that Pushpak Viman also used the same technique which we use in aircrafts today.
The Mahabharata also is not behind. It also mentions an aircraft of Asura Maya (architect of Asuras) with 4 strong wheels.
So are you ready to  change your belief? Now you can surely say with proofs that Wright brothers have no right to claim the patent of Aeroplanes. Because we Indians had made it even before they were born.

What do You Think?

Now, what do you say? Do Wright brothers deserve the patent of airplanes? Or our sages and acharyas deserve it?
I explained only the case of the Ramayana and the Mahabharatha. But planes are mentioned in our Vedas, Puranas and Upanishads as well. If I try to mention those, this article will not end and maybe fill with many slokas and prose in Sanskrit.
Most of the inventions that foreigners claim were not originally invented by them. Just take the case of test tube babies (birth of Kauravas). So we were a developed nation in ancient time. But anyhow we lost our rich culture and civilization.
We have the responsibility to restore our lost tradition. Our Sages did their job well. Apart from serving God, they studied the nature well and created many useful things.

Keep calm and say India is the foundation of the world.

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