Wednesday, 8 April 2015

क्या मोदीजी कैंटीन के सब्सिडाइज्ड खाने को त्यागने की अपील सांसदों से करेंगे?


आदरणीय प्रधानमंत्री Narendra Modi जी सांसदों को मिलने बाली सब्सिडी कब बंद होगी ?? "क्यों ना बढ़ाए जाएं संसद की कैंटीन व सांसदों को मिलने बाली अन्य सुविधायो का के दाम ? "राजाओ के सामान प्रिबिपर्स जो की नये राजाओ 745 (543 सांसद लोक सभा, 250 राज्य सभा सदस्य को दिया जा रहा हे ? "आख़िर क्यों जनता का रकम का दुरुपयोग हो रहा है ?
" 12.30 रुपये में शाकाहारी थाली , दाल 2 रुपए, चपाती 1 रुपए, ब्रेड-बटर 5 रुपए, सादा वडा 2 रुपए, चौंकिए नहीं ये तो महज एक नमूना है। देश की सबसे बड़ी पंचायत-यानि संसद की कैंटीन में नाश्ता हो या खाना इसी रेट पर मिलता है। इस सस्ते खाने की वजह है संसद की कैंटीन को मिलने वाली सब्सिडी। बाजार में कीमतों के दाम आसमान छू रहे हैं। दो वक्त की सब्जी खरीदने में पसीना छूट रहा है। यहां तक कि आलू भी 40 रुपए किलो बिक रहा है। ऐसे समय में हमारे माननीय सांसदों को बेहद सस्ते दाम पर खाना मिल रहा हैं। और सबसे मजे की बात पिछली बार वर्ष 2010 में कैंटीन के रेट बढ़े थे, तब भी कुछ सांसदों ने विरोध किया जिसके मद्देनजर कीमते नही बढ़ी ।
क्या मोदीजी कैंटीन के सब्सिडाइज्ड खाने को त्यागने की अपील सांसदों से करेंगे? जनता को पता लगना चाहिए, बताया जाना चाहिए कि मंत्रियों, सांसदों को कहां-कहां सब्सिडी मिलती है। इलाज में कितना कंसेशन मिलता है। और क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं। ऐसा कहा जाता है कि सांसदों को कुछ संख्या में मुफ्त हवाई यात्रा की सुविधा दी गई है। कितनी, यह ठीक से शायद ही, कुछ को पता हो, आम जनता को तो पता भी नहीं कि उनके सांसद कितनी हवाईयात्रा मुफ्त में करते हैं। सरकार यह सुविधा दे रही है। रेल किराया भी शायद नहीं लिया जाता। ए.सी.-1 में यात्रा की सुविधा है। क्या यह सब्सिडी भी मंत्री, सांसद त्यागेंगे। उनके लिए भी है क्या यह अपील। हो यह भी रहा है कि सरकारी स्कूलों में सांसदों, मंत्रियों के पुत्र-पुत्रियां, नाती-पोते, नातिन पढ़ते नहीं, महंगे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं (अपवाद हो सकता है) इसलिए सरकारी स्कूलों की पढ़ाई की समस्या को वे समझ नहीं रहे। कुछ सांसद, मंत्री ही महंगे स्कूल संचालित कर रहे हों। क्या मोदीजी इनसे अपील करेंगे कि वे निजी स्कूलों में फीस का स्ट्रक्चर ऐसा रखें कि गरीबों के बच्चे भी पढ़ें। क्या निजी स्कूलों से त्याग करने की अपील करेंगे। शिक्षा एक विशाल इंडस्ट्री बन गई है। व्यवसाय है, इसमें करोड़ों रुपये लगे हैं। क्या गांवों में अच्छे स्कूल खोलने की अपील करेंगे। दरअसल किसको-किसको, किस-किस रूप में सब्सिडी दी जा रही है, यह आमजन को पता ही नहीं।

जब सरकार एक-एक करके आम जनता से जुड़ी अधिकतर चीजों मसलन पेट्रोल, डीजल, बिजली, जरुरतमंद यात्रियों के तत्काल रेलवे टिकटों को बाजार के हवाले करने के बाद अब सक्षम नागरिकों से राष्ट्रहित में घरेलू गैस सिलेंडर की सब्सिडी छोड़ने की अपील कर रही है। ऐसे में अच्छा होगा कि अगर संसद कैंटीन में भी बाजार दरों पर भोजन परोसा जाए। और सांसदों को मिलने बाली सुविधाओ को भी बंद किया जाये। वर्तमान लोकसभा में 441 सांसद करोड़पति हैं इसलिए ये लोकसभा बाजार दरों पर स्वयं के भोजन का भार उठाने में सक्षम भी है।
नोट - संसद की कैटीन का मेन्यू जिसमें कीमतों का पूरा ब्योरा भी हैं साथ दे रही हु खुद देखे सरकारी बजट का एक बड़ा हिस्सा इस पर खर्च किया जा रहा हो, सांसदों को इतना सस्ता और सब्सीडाइज्ड खान मुहैया कराने का क्या मतलब है, क्या इससे हमारी सियासी जमात को लेकर आम जनता में गलत संदेश नहीं जाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रसोई गैस की सब्सिडी त्यागने की अपील की है। उनका कहना है कि जिन्हें सब्सिडी की जरूरत नहीं है, वे सब्सिडी न लें, सब्सिडी का त्याग करें। श्री मोदी सब्सिडी त्यागो अभियान चला रहे हैं।

आदरणीय प्रधानमंत्री Narendra Modi जी भारत में जितना सब्सिडी गैस पे नही दी जाती है उस से ज्यादा सब्सिडी हज पर दी जाती है। आपने अमीरों से सब्सिडी युक्त रसोई गैस कनेक्शन छोड़ने की अपील की और 2.8 लाख लोगों ने इस पर सकारात्मक पहल की और इससे कम से कम 100 करोड़ रुपये की बचत होगी। इस 100 करोड़ रुपये का उपयोग गरीबों के कल्याण के लिए किया जायेगा । मोदी जी यह आपकी एक बढ़िया अपील हैं देश के लोगो से की वो देश के विकास में सहयोग करे। लेकिन आप यह हज यात्रा पर दी जाने बाली सब्सिडी कब बंद करेंगे ?? हज सब्सिडी पर दिया जाने बाले रूपये से देश का काफी विकास हो सकता हैं। चलिए मैं आपको आंकड़े बताती हु की कितना रुपया हज सब्सिडी के नाम पर अब तक खर्च कर दिया गया/ जाता हैं ....

हज यात्रियों को सब्सिडी देने का सिलसिला 1952 से चल रहा है। 1999 में सरकार ने यह फैसला किया था कि हज यात्रियों को मात्र 16 हजार रुपए सरकार को देने होंगे, शेष जो भी धनराशि उन पर खर्च होगी, उसे सब्सिडी के रूप में भारत सरकार देगी। चूंकि हज यात्रियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है और हवाई जहाज के किराए और सऊदी में आवास की व्यवस्था आदि का खर्च भी बढ़ा है। इसके बावजूद अब तक हज यात्रियों से ली जाने वाली राशि में कोई वृद्धि नहीं की गई थी। सरकारी सूत्रों के अनुसार 1955 में हज यात्रियों को सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी की कुल धनराशि मात्र 37 करोड़ रु. थी, जो अब बढ़कर 2100 करोड़ तक पहुंच गई है।

सन 2009, 2010 और 2011 में हज सब्सिडी देकर सरकार ने लगभग सवा लाख हाजियों को मक्का-मदीना की यात्रा पर भेजा। सन 2009 में 690 करोड़ और 2010 और 2011 में करीब 600 करोड़ हज सब्सिडी का भारी-भरकम बोझ सरकारी राजस्व को झेलना पड़ा, जिसकी भरपाई बहुसंख्यक समुदाय को विभिन्न करों के मद में चुकानी पड़ती है। हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी कई दशकों से विवाद का विषय रही है। विभिन्न न्यायालय इसको बंद करने का कई बार निर्देश दे चुके हैं। हज यात्रा की व्यवस्था करने के लिए विदेश मंत्रालय में एक विशेष विभाग है, जिसका प्रभारी संयुक्त सचिव के दर्जे का अधिकारी होता है। इस विभाग में लगभग 300 कर्मचारी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त हज यात्रा की व्यवस्था करने के लिए एक केंद्रीय हज कमेटी के अतिरिक्त प्रत्येक राज्य में हज कमेटियां भी मौजूद हैं, जिनके सदस्यों को केंद्र सरकार मनोनीत करती है।

इस्लाम के अनुसार हज यात्रा उन्हीं मुसलमानों को करनी चाहिए जिनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो और वह हज का खर्च स्वयं उठा सकें। विश्व भर में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो हज करने वाले यात्रियों के लिए सब्सिडी के नाम पर भारी धनराशि खर्च करता है। यहां तक कि कोई भी इस्लामी देश हज यात्रियों के लिए सब्सिडी के नाम पर एक पैसा भी खर्च नहीं करता। और तो और, सऊदी अरब सरकार ने हज-यात्रियों पर भारी-भरकम टैक्स भी लगा रखे हैं। खास बात यह है कि भारत से बाहर किसी भी पांथिक/मजहबी यात्रा पर सब्सिडी की यह कृपा सिर्फ मुसलमानों को ही प्राप्त है। पाकिस्तान स्थित सिख गुरुद्वारों की यात्रा करने वाले यात्रियों एवं तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले हिन्दू तीर्थयात्रियों को सरकारी खजाने से एक पैसा भी सब्सिडी नहीं दी जाती है। सैय्यद शहाबुद्दीन, जामा मस्जिद (दिल्ली) के इमाम अहमद बुखारी आदि ने मत व्यक्त किया था कि यदि सरकार हज सब्सिडी को बंद भी कर देती है तो मुसलमानों पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।
तो मोदी जी आपकी सरकार कब हज पर दी जाने वाली सब्सिडी बंद कर रही हैं ??

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