Monday 31 July 2017

HEART TOUCHING HINDI STORY ON INTERNAL MOTIVATION IN HINDI FONT




एक लड़का फूटबाल खेलने की प्रैक्टिस करने लगातार आता था, लेकिन वह कभी भी टीम में शामिल नहीं हो सका।  जब वह प्रैक्टिस करता था, तो उसके पिता मैदान के किनारे बैठ कर उसका इंतजार करते रहते थे।
मैच शुरू हुए तो वह लड़का चार दिन तक प्रैक्टिस करने नहीं आया।
वह क्वार्टर फायनल और सेमी फायनल मैचों के दौरान भी नहीं दिखा।  लेकिन वह लड़का फायनल मैच के दिन आया और उसने कोच के पास जाकर कहा, आपने मुझे हमेशा रिजर्व खिलाडियों में रखा और  कभी टीम में खेलने नही दिया लेकिन कृपा करके आज मुझे खेलने दें।
कोच ने कहा, बेटा! मुझे दुःख है कि तुम्हें यह मौका नहीं दे सकता।  टीम में तुमसे अच्छे खिलाडी मौजूद हैं।  इसके अलावा यह फायनल मैच है।  स्कूल की इज्जत दाव पर लगी है, मैं तुम्हें मौका देकर खतरा मोल नहीं ले सकता।
लड़के ने मिन्नत करते हुए कहा, सर मैं आपसे वादा करता हूँ कि मैं आपके विश्वास को नहीं तोडूंगा, मेरी आपसे विनती है कि मुझे खेलने दें।
कोच ने इससे पहले लड़के को कभी इस तरह विनती करते हुए नहीं देखा था।  उसने कहा, ठीक है बेटे जाओ, खेलो। लेकिन याद रखना कि मैंने यह निर्णय अपने ही बेहतर फैसले के खिलाफ लिया है और स्कूल की इज्जत दाव पर लगी है, मुझे शर्मिंदा न होना पड़े।
खेल शुरू हुआ और लड़का तूफ़ान की तरह खेला, उसे जब भी गेंद मिली उसने गोल मार दिया।  कहना न होगा कि वह उस मैच का हीरो बन गया।  उसकी टीम को शानदार जीत मिली।
खेल खत्म होने के बाद कोच ने उस लड़के के पास जाकर कहा, बेटा, मैं इतना गलत कैसे हो सकता हूँ?
मैंने तुम्हें पहले इस तरह कभी खेलते हुए नहीं देखा! यह चमत्कार कैसे हुआ? तुम इतना अच्छा कैसे खेल गए?
लड़के ने जवाब दिया, कोच आज मेरे पिताजी मुझे खेलते हुए देख रहे थे !
कोच ने मुड़कर उस जगह को देखा जहाँ उसके पिताजी बैठा करते थे।  लेकिन वहाँ पर कोई नहीं बैठा था।
उसने पूछा – बेटा! तुम जब भी प्रैक्टिस करने आते थे, तो तुम्हारे पिताजी वहाँ बैठा करते थे।  लेकिन आज मैं वहाँ पर किसी को नहीं देख रहा हूँ।
लड़के ने उत्तर दिया – “कोच मैंने आपको यह कभी नहीं बताया कि मेरे पिताजी अंधे थे।  चार दिन पहले उनकी मृत्यु हो गयी।  आज पहली बार वह मुझे ऊपर से देख रहे हैं।”
यह Short Motivational Hindi Story “You Can Win” के हिंदी Translation Book जीत आपकी से प्रेरित है जिसके लेखक शिव खेड़ा जी हैं। 

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