Friday, 28 July 2017

अत्यधिक प्रभावी लोगों के 7 की आदतें… 7 HABITS OF HIGHLY EFFECTIVE PEOPLE IN HINDI




हम कितने भी Motivational Videos देख लें या Motivational Articles पढ़ लें, हमारा Motivational या excitement level एक टाइम आने के बाद खतम हो ही जाता है. और end में हम सब कुछ वैसी ही करने लगते हैं जैसा normally हमारी हमेशा की आदत होती है. लोग ज्यादातर अपनी आदतों से मजबूर होते हैं और अपने हिसाब से ही काम करते हैं चाहे कोई कितना भी समझा ले. Actually इंसान बने ही ऐसे हैं कि हमारे लिए हमारी आदतों को बदलना बहुत मुश्किल होता है. पर ये याद रखें आपकी सही आदत ही आपके SUCCESS and FAILURE के बीच का सबसे Important factor बनेगी. So सबसे पहले हमें ये पता होना चाहिए कि कौन-सी Habits हमें अपने अंदर develop या change करनी चाहिए.
आज हम आपको इस पोस्ट में सात ऐसी habits बताएंगे जो आपको Effective बनाएगी.
तो चलिए शुरू करते हैं:-
HABIT 1. BE PROACTIVE
एक Restaurant में एक महिला के ऊपर एक कॉकरोच आकार बैठ जाता है. वो एकदम डर जाती है, पैनिक होकर चिल्लाने लगती है. और उछल-उछलकर अपने दोनों हाथों से उसे दूर फेंक देने की कोशिश करती है.
इतने में हाथ लगने से वो कॉकरोच एक दूसरी महिला पर गिर जाता है. और वो भी पैनिक होकर Same उस पहली वाली महिला की तरह बिहेव करने लगती है. जिससे पास में खड़ा वेटर उनकी मदद करने जाता है .. इधर-उधर फेंकने में अब कॉकरोच वेटर पर आकर बैठ जाता है. but वेटर चिल्लाने और पैनिक होने की बजाये सीधा खड़ा होता है .. कॉकरोच के अपने शर्ट पर चलने को अच्छे से observe करता है और जब उसे confidence feel होता है तब वो फ़ौरन उसे अपनी उंगली से पकड़ लेता है. और restaurant के बाहर फेंक देता है.
ये स्टोरी को हम author के Proactive और Reactive के Concept से relate कर सकते हैं.
यहाँ वेटर एक PROACTIVE इंसान था जिसने उन महिलाओं की तरह Situation पर react करने की बजाए सोचकर solution निकाला और उसके According proper action लिया.
Reactive & Proactive होने में बहुत अंतर है ….
Reactive लोग हर चीज में दूसरों को Blame करते हैं.
जैसे:-
उनका देश तरक्की नहीं कर रहा क्योंकि सरकार अच्छी नहीं है!
वो तरक्की नहीं कर रहे क्योंकि उनका बॉस अच्छा नहीं है.
वो खुश नहीं हैं क्योंकि लोग अच्छे नहीं  हैं.
और अंत में अगर कुछ न मिले तो वो अपनी किश्मत को ही Blame करने लगते हैं.
उन्हें लगता है चीजें कंट्रोल करना उनके हाथ में नहीं है… सब हालत और किश्मत का खेल है. … पर Actually में उनकी सोच ही सबसे बड़ी main problem है.
वो usually ऐसे sentences use करते हैं:-
जैसे–  मैं कुछ नहीं कर सकता!
क्या करूँ मैं बचपन से ही ऐसा हूँ!
वो मुझे बहुत गुस्सा दिलाता है!
जबकि PROACTIVE लोग अपनी फीलिंग्स का कंट्रोल दूसरों को देने के बजाये खुद सँभालते हैं.
वो अपने हर एक Action की जिम्मेदारी खुद लेते हैं.  हालात और किश्मत को ब्लेम करने की बजाये वो Situation को वो किस तरह से better करते हैं इस बारे में सोचते हैं. और Action लेकर उसे सही भी करते हैं.
आप हमेशा उन चीजों पर फोकस कीजिये जिन्हें आप चेंज कर सकते हैं. न कि उन चीजों पर आप चेंज नहीं कर सकते.
HABIT 2, BEGIN WITH THE END IN MIND 
Imagine कीजिये कि आप funeral  (अंतिम संस्कार) में गए हैं लेकिन ये बाकी funeral  से अलग है because जब आप देखते हैं तो पता चलता है कि काफिन में आपकी बॉडी है और वो आपके खुद के  funeral है. उस टाइम आप अपने आप के लिए क्या-क्या बोलना चाहेंगे. ये एक बहुत ही impactful question है. क्या आप वो सारी चीजें अभी कर रहे हैं जो आप अपने आपको देखकर तब बोलना पसंद करेंगे.
Example- अगर आप चाहते हैं कि आप बोल सकें कि मैं एक बहुत ही अच्छा दोस्त था तो क्या अभी आप एक बहुत ही अच्छा दोस्त जैसा व्यवहार कर रहे हो!
यदि आप ऐसे इंसान की तरह याद रहना चाहते हैं जिसने लाइफ में बहुत कुछ अचीव किया और सबकी बहुत मदद की तो क्या आप अभी कुछ ऐसा कर रहे हैं जिससे आप Surely ऐसा कुछ कह सकोगे ..
हम चाहते हैं कि आप ऐसा कुछ पूछें कि वो क्या चीजें हैं जो आपको मरने से पहले कैसे भी अचीव करनी ही है both personally or professionally … और फिर जितना जल्दी हो सके उसके लिए काम करना स्टार्ट कर दें.
HABIT.3 PUT FIRST THING FIRST
हमें जो काम जरूरी है वो काम सबसे पहले करना चाहिए .. अब ये आदत बोलने में बहुत सिम्पल है पर सबसे मुश्किल भी यही है.
Mostly हमें जितना लगता है हम उतने बीजी होते नहीं!  ऐसा कितनी बार होता है कि हम बेवजह अपने Whatsapp msg चेक करते हैं, Youtube पर वीडियो या फिर टी.वी देखकर टाइम पास करने लगते हैं.  और कुछ नहीं तो बेवजह की बातें सोचने लगते हैं. जबकि हमे कई जरूरी काम खतम करने बाकि होते हैं.  ये सबसे common  आदतों में से एक है जो हमसे हमारी बहुत सी टाइम वेस्ट करती है. और हमें कभी एक एवरेज इंसान से ऊपर उठने नहीं देती.
so अगर आपको अपनी लाइफ में कुछ करना है तो हर रोज वो काम सबसे पहले खत्म करो जो आपको आपके गोल्स तक पहुँचने में हेल्प करेगा. उसके बाद दूसरे बचे काम को महत्व दो…
HABIT 4. THINK WIN WIN
मान लीजिए hamarisafalta.com की तरह एक दूसरी कोई मोटिवेशनल वेबसाइट है और दोनों वेबसाइट पर हजारों रीडर्स रेगुलर विजिट करते हैं.  अब यदि मुझे आपकी वेबसाइट के बारे में पता चलता है और मैं आपके आर्टिकल्स पढता हूँ, मुझे आपके आर्टिकल्स पसंद आते हैं so मैं आपको मेरी वेबसाइट को पढ़ने के लिए इनवाईट करता हूँ.
और अपने रीडर्स को आपकी वेबसाइट के बारे में बताता हूँ जिससे मेरे रीडर्स आपकी साईट के भी रीडर्स बन जाते हैं. और इसी तरह आप भी मुझे आपकी वेबसाइट के लिए इनवाईट करते हो और आपके रीडर्स भी मेरे साईट के रीडर्स बन जाते हैं. … इसे कहा जाता है एक WIN WIN Situation create करना. जिसमे दोनों साइड का फायदा निकले न कि बस किसी एक का.
अच्छा यदि मैं  आपसे Jealous होकर कि आप मेरे Competitor हो, एक गलत नाम से आपकी साईट पर बुरे-बुरे कमेन्ट करता, ये सोचकर कि इससे आपका कुछ नुकसांन होगा और indirectly मेरा कुछ फायदा होगा… तो क्या आपको लगता है कि मेरा सच में कुछ फायदा होता… Obviously ऐसा नहीं होता.  because मैं यहाँ एक WIN-LOOSE Situation create करने का try कर रहा होता जिससे hardly किसी long term के लिए अच्छा हो सकता है.
Actually हमारी मानसिकता ही कुछ ऐसी बनी है कि हमें लगता है, कि हमारे जीतने के लिए किसी और का हारना जरूरी है या फिर उसे मिल गया तो मुझे नहीं मिलेगा… जिसे SCRACITY MENTALITY कहते हैं..
हमें ये MENTALITY दिमाग से निकालकर ऐसा सोचना चाहिए कि हर इंसान के लिए बहुत कुछ है यहाँ…. जो कि ABUNDANCE MENTALITY होती है.
So अब से कोई भी situation में कोई भी deal करते वक्त एक WIN-WIN Situation करने की ही कोशिश करो. जिससे सबका फायदा हो!
HABIT 5. SEEK FIRST TO BE UNDERSTAND THEN TO BE UNDERSTOOD 
समझिए कि एक दिन आप एक चश्मे वाले के पास जाते हैं. और बताते हैं कि आपको दो दिन से बराबर दिख नही रहा है! ये सुनकर दुकानदार अपना पहना हुआ चश्मा निकालकर आपको दे देता है और बोलता है लो इसे Try करो..ये मेरे लिए काफी सालों से अच्छे से काम कर रहा है. so आप वो चश्मा पहनते हो और वो और भी खराब दिखने लगता है.
अब ऐसा होने के बाद कितने चांसेस है कि आप वापिस उस चश्मे वाले के पास कभी जायेंगे… शायद ही कभी!
लेकिन actually में हम सब भी उस चश्मे वाले की तरह ही हैं, जब हम लोगों से बात करते हैं तो उनके प्रोब्लम को को अच्छे से समझने से पहले ही उन्हें सोल्यूशन देना या लदना स्टार्ट कर देते हैं. हम  येEasily बोल देते हैं कि कोई हमारी feelings नहीं समझता पर खुद भी कभी सामने वाली की फीलिंग्स नहीं समझते …सोचते भी हैं कि इस बात को कि सामने वाले ने क्या कहा और वो ऐसा कैसे कह सकता है जबकि main question ये होना चाहिए कि उसने ऐसा क्यों कहा? और उसकी फीलिंग्स क्या थी ये बोलते हुए .. so Next time जब आप किसी से बात करें तो उनकी बात बस reply देने की उद्देश्य से न सुने बल्कि उन्हें समझने की कोशिश करें. और सबसे महत्वपूर्ण तब फील होने दें कि आप सचमुच समझते हैं उनकी फीलिंग्स को!
जब आप ऐसा genuinely लोग आपको भी समझना स्टार्ट कर देंगे.
HABIT 6. SYNERGY 
अगर आप दो प्लांट को साथ में लगाते हो तो उनकी जड़ साथ में मिलकर मिटटी की quality बढाती है. जिससे दोनों प्लांट को ग्रोथ बेटर होती है उन दो प्लांट की तुलना में जो कि अलग-अलग जगह पर लगाए गए हों…
SYNERGY  की हैबिट हमें हमेशा एक साथ as a Team  मिलकर काम करने के लिए इनकरेज करती है…
Example-  दो आदमी एक पेड़ से सेब तोड़ने की कोशिश कर रहे थे पर काफी कोशिश करने  के बाद भी दोनों उस तक पहुँच नहीं पा रहे थे क्योंकि सेब थोड़े ऊपर थे फिर दोनों ने सोचकर Decide किया कि एक आदमी दूसरे के कंधे पर चढ़कर सारे सेब तोड़ लेगा और उन्होंने सारे सेब तोड़ लिए..
इस उदहारण की तरह जब हम लोगों के साथ सिनार्जईस करते हैं तब हम अपनी Capability को जितना चाहे उतना बढ़ा सकते हैं. जिससे हमें हमारे गोल्स को पूरा करने में काफी आसानी हो जायेगी.
HABIT 7. SHARPEN THE SAW
एक आदमी बहुत देर से एक पेड़ को काटने की कोशिश कर रहा था वो एकदम थक चूका था और उससे पेड़ कट ही नहीं रहा था .. पास के ही एक लकडहारे ने यह देखा तो वह उसके पास गया और उसे सलाह दी कि उसे पहली अपनी आरी तेज कर लेना चाहिए.. ये बात सुनकर उस आदमी ने उससे कहा पर ये करने में तो बहुत टाइम जायेगा!
अभी यह जवाब शायद आपको स्टूपिड लगे पर हम भी usually ऐसा ही करते हैं
हम Exercise के लीयते दिन के तीस मिनट नहीं निकाल सकते ताकि हमारी हेल्थ अच्छी रहे.
15 मिनट कोई बुक नहीं पढ़ सकते ताकि हमारी Knowledge बढे.
और तब हम कम्प्लेंन भी करते हैं कि हमारी जिंदगी  अच्छी क्यों नहीं है ?
Habit नम्बर 7 खुद को हमेशा बेहतर बनाने पर फोकस करती है.
अपने टाइम का सबसे अच्छा use हमें खुद को इस चार एरिया में बेहतर बनाने के लिए करना चाहिए.
  1. PHYSICAL
  2. MENTAL
  3. SOCIAL
  4. SPIRITUAL.
ये HABIT बाकि छः हैबिट को सराउंड करती है और हमें उन सबको फोलो करना पोसिबल कराती है .हमारी सबसे कीमती एसीट को बेहतर बनाकर जो कि हम खुद हैं.
ये सभी बातें हमने एक किताब The 7 Habits of Highly Effective People
से पढ़ी है जिसके लेखक R. Stephen Covey  हैं..!
Source: https://www.hamarisafalta.com/2016/07/7-habits-of-highly-effective-people-inspirational-article-in-hindi.html

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