पावलोव का अंतिम सन्देश
प्रसिद्ध रूसी मनोवैज्ञानिक पावलोव जब अपने मृत्यु शैया पर पड़े थे, तो उनके सभी प्रिय शिष्य वहाँ उपस्थति थे, सब छात्रों ने उनसे सफलता का वह रहस्य पुछा, जो उन सबके जीवन में भी उपयोगी साबित हो!
उत्तर में पावलोव बोले- “तीव्र इच्छा और धीर गति ही सफलता का सबसे बड़ा रहस्य है।“
तीव्र इच्छा का वास्तविक अर्थ है- सच्ची लगन। और धीर गति से तात्पर्य है- क्रमशः प्रगति के दौरान हमेशा धैर्य रखना.
किसी भी क्षेत्र में सफल होने के लिए मन में तीव्र इच्छा ही नहीं, बल्कि विधिवत तथा क्रमशः धीरे-धीरे बढ़ने का धैर्य भी होना चाहिए। येन-केन-प्रकारेण जल्दबाजी में लक्ष्य तक पहुँचने का प्रयास तीव्र इच्छा नहीं है। इसका अर्थ है- असफलता या संशय से हतोत्साहित हुए बिना लक्ष्य-प्राप्ति का संकल्प।
असफल होने का भय दूर करने के लिए हमें ऐसे कार्यों से आरम्भ करना चाहिए जिनमे सफलता निश्चित हो, और उन्हें पूरे निष्ठा के साथ करना चाहिए. इससे रुचि भी बढ़ती है और उत्साह, एकाग्रता एवं आनदं की प्राप्ति भी होती है. ऐसा सतत अभ्यास ही सबके सफलता का रहस्य है..
दोस्तों, पावलोव के शब्दों का हम एक अलग अर्थ में निकाल सकते हैं, किसी भी कार्यक्षेत्र में उच्च कुशलता या सफलता की प्राप्ति हेतु हमारे भीतर तीव्र रुचि व कार्य में निरंतर धीरे-धीरे बढ़ने का धैर्य होना चाहिए..
हमारे भीतर अनंत क्षमता है लेकिन बिना तैयारी के दौड़ में भाग नहीं लिया जा सकता। हमें अपनी वर्तमान अवस्था में ही उठना पड़ेगा। हमें अपने बल और क्षमता का भरपूर प्रयोग करना होगा और हमें यह भी जानना होगा कि हम उन्हें किस हद तक और कैसे बढ़ा सकता हैं। अपने बल को आँकें बिना ही यदि हम दूसरों की नकल पर दौड़ पड़े तो हम सिर्फ लड़खड़ाकर ही गिरेंगे!
जब तक पौधे से फल नहीं आ जाते तब तक धैर्यपूर्वक प्रतिक्षा करो। अभी सिर्फ भोजन का संग्रह करो, इसे तुमको बाद में खाना है। कठिनाइयों में कभी भी हार मत मानो. धैर्य रखो और सामने वाले के ताने हंसकर सह लो. शीतल जल से छींटें मारने पर उफनता हुआ दूध जिस तरह से शांत हो जाता है उसी तरह से तुम भी शांत हो जाओ।
Thanks!
Source: https://www.hamarisafalta.com/2015/07/secret-of-success-best-story-in-hindi.html
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