प्रभावी बातचीत की कला आपके सफलता के प्रतिशत को लगातार बढाती है। अच्छी communication skills होना आपको हर जगह एक edge दे देता है, फिर चाहे वो आपकी personal life हो या professional. सीधे शब्दों में कहें यदि आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी हैं तो आपके success की probability काफी बढ़ जाती है।
Effective communication skill develop करने में नीचे दिए गए पांच सिद्धांत आपके लिए कारगर साबित हो सकते हैं। ये आसानी से याद रहे इसके लिए हम इन्हें SKILL word में abbreviate कर लेते हैं —
SKILL
SKILL
S- Supportive Talker
K- Knowledgeable individual
I- Intelligent questioner
L- Logical Start & End
L- Lovely Listener
आइये बातचीत की कला में इस SKILL को समझने का प्रयास करते हैं।
Supportive Talker (बातचीत में सहयोगी और प्रेरित करने वाला) –
बातचीत की कला का यह प्रमुख भाग है। जिसमें हमें दूसरों को बोलने मौका देना, उन्हें बोलने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करना चाहिए और ये सफल वक्ता होने की सबसे बड़ी खूबी मानी जाती है। यदि आपको सामने वाले को सही से जानना है तो उसे बात करने के लिए प्रोत्साहित कीजिये। उसे यह विश्वास हो जाना चाहिए कि आप ही वह व्यक्ति हैं, जिसे वह एक मित्र या अपना बिजनेस पार्टनर बनाना चाहता है। हमेशा याद रखिये कि बातचीत का सिलसिला कभी भी एक तरफ़ा नहीं होता, इसमें दोनों पक्षों का सहभागिता होना बहुत ही जरूरी है।
बात-चीत करते समय eye-contact का सही होना भी बेहद ज़रूरी है। आप जिससे/जिनसे बात करें उनकी आंखों में देखकर बात करें। कोई बोल रहा है और आप इधर-उधर देख रहे हैं तो आप उसे अपना support नहीं दे रहे हैं, इसलिए आई-कांटेक्ट बनाये रखिये।
बहुत सारी कंपनियों की तरक्की का रहस्य यही है कि वो अपने कस्टमर को बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि आखिर उनकी अपेक्षाएं क्या हैं! और जब कस्टमर आश्वस्त होकर अपने मन की बात बताता है तभी कम्पनियाँ उम्मीदों पर सही से खरे उतरने वाले प्रोडक्ट्स को मार्केट में लॉन्च करती है। हम स्वयं भी ऐसे लोगों से मिलने से कतराते हैं जो हमें बोलने का अवसर नहीं देते, और पूरे समय वे ही बोलते रहते हैं। इसलिए यदि आप बातचीत की कला से सामने वाले का दिल जीतना चाहते हैं तो उनके मौलिक विचारों को बाहर आने दीजिये और यह सिर्फ तभी होगा जब आप उन्हें बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
Knowledgeable Individual (ज्ञानी या शिक्षित व्यक्ति)-
Knowledgeable Individual (ज्ञानी या शिक्षित व्यक्ति)-
आप प्रभावी ढंग से तभी बात कर पायेंगे जब आपके पास बोलने के लिए अच्छा content हो। अपना ज्ञान बढाइये, देखिये general बातें सभी जानते हैं, लेकिन अगर आप खुद को किसी field के एक्सपर्ट की तरह प्रोजेक्ट करते हैं तो आपको एक expert की तरह knowledge भी होनी चाहिए। इसलिए अपने subject पर पकड़ बनाये रखने के लिए उससे related journals, magazines, news से updated रहिये।
साथ ही ध्यान रखिये कि अच्छी नॉलेज होने पर आपके अन्दर किसी तरह का अभिमान ना आये और आप कोई चीज बस show off करने के लिए ना बोलें।
वहीँ दूसरी ओर, यदि आप किसी विषय से अनजान हैं तो सामने वाले से हमेशा सीखने का नजरिया बनाएं। बिना कुछ जाने उस विषय पर डींगें हांकना बेकार है, इससे अच्छा है कि आप सामने वाले से सीखते हुए उसकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनें। यहाँ मुझे Mark Twain का एक quote याद आता है –
Better to remain silent and be thought a fool than to speak out and remove all doubt. बोल कर सारा संदेह ख़तम कर देने से अच्छा है चुप रह कर बेवकूफ समझा जाना.
इसलिए अगर आप अकेले या ग्रुप में संवाद करते समय इस बात का ज़रूर ध्यान रखें कि सिर्फ बोलने के लिए नहीं बोलें, जब कुछ बोलने लायक हो तब ही बोलें।
वह व्यक्ति हर उस आदमी को भाता है जो नए रास्ते बताता है, धैर्य और विवेकपूर्वक आपके सवालों का जवाब ढूंढने या जवाब देने में आपकी मदद करता है और जिसे विभिन्न विषयों का ज्ञान होता है। अतः हमारी यही कोशिश होनी चाहिए कि हम खुद को as a knowledgeable individual के रूप में develop करें।
दोस्तों यदि आप अपने बिजनेस पार्टनर को एक रूपये की राशि देते हैं और यदि वह भी आपको एक रूपये देता है तो अंत में आपके पास एक ही रुपया रहता है। लेकिन वहीँ पर हम यदि ज्ञान या विचारों की बात करें तो जब हम एक विचार किसी दूसरे को देते हैं और वह भी एक विचार हमें लौटाता है तो अंत में अब हम दोनों के पास दो-दो विचार होते हैं। और विचार या ज्ञान ही हमेशा इस तरह से मल्टिप्लाई होते हैं। इसलिए सामने वाले के सामने अच्छे से अच्छे विचार रखें ताकि वह भी अपने अच्छे विचार आपके सामने प्रस्तुत कर सके।
Intelligent Questioner (बुद्धिमान प्रश्नकर्ता)-
प्रश्न करना बातचीत का एक अहम पहलु होता है। इसके द्वारा हमें ज्ञान हो जाता है कि सामने वाला हमारी बातों में रुचि दिखा रहा है। सही समय पर सही प्रश्न पूछना एक बड़ा गुण है, ये दर्शाता है कि न आप एक अच्छे श्रोता है, बल्कि आप वक्ता को ध्यान से सुनकर उसका सम्मान भी करते हैं।
कुछ प्रमुख कारण जिससे पता चलता है की प्रश्न करना कितना जरूरी है:-
कुछ प्रमुख कारण जिससे पता चलता है की प्रश्न करना कितना जरूरी है:-
- यदि आपको कोई बात जाननी है तो प्रश्न कीजिये।
- यदि आपको सामने वाले की मन की स्थिति समझनी है तो प्रश्न कीजिये।
- यदि आपको अपनी बातों पर हाँ या ना कहलवाना है तो प्रश्न कीजिये।
- यदि आपको सामने वाली की अपेक्षाएं या समस्याओं से रूबरू होना है तो प्रश्न कीजिये।
- यदि आपको विश्वास दिलाना है कि आप उसकी बातों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं तो प्रश्न कीजिये।
प्रश्न दो तरह के हो सकते हैं :
Close Ended : जिनका जवाब हाँ या ना में होता है।
Open Ended : जिनका जवाब देने के लिए एक से अधिक शब्द बोलने पड़ते हैं, थोडा विस्तार में बताना पड़ता है।
Situation के हिसाब से आपके discussion में इन दो तरह के प्रश्नों का समवेश होना चाहिए।
For ex: अगर आपको किसी से सिर्फ इतना जानना है कि उसे मूवी अच्छी लगी या नहीं, तो आप उससे पूछ सकते हैं –
“आपको मूवी कैसी लगी ?”
लेकिन अगर आपको सिर्फ इतना ही नहीं जानना कि मूवी अच्छी लगी या बुरी बल्कि उस बारे में डिटेल में जानना है तो आप पूछ सकते हैं –
” इस मूवी के बारे में आपकी क्या राय है?”
ये भी हो सकता है कि उत्तर देने वाला ओपन एंडेड प्रश्नों के भी उत्तर बहुत short में दे, ऐसे में आपको और प्रश्न करने होंगे।
अगर आप किसी को ध्यान से और interest लेकर सुन रहे हैं तो अपने आप ही आपके मन में प्रश्न उठेंग, बहुत से लोग प्रश्न होने पर भी नहीं पूछते लेकिन अगर आप एक effective communicator बनना चाहते हैं तो आपको प्रश्न पूछने चाहियें, हाँ ये ध्यान रहे कि आप इसकी अति न कर दें।:)
Logical Start & End (तार्किक शुरूआत और अंत)-
बातचीत को शुरू करना एक बहुत मुश्किल काम माना जाता है। क्योंकि बातचीत शुरू करना भी एक कला है। इसमें सही टॉपिक चुनकर आगे बढ़ना रहता है। शुरुआत करने के लिए आप बहुत से टॉपिक पर बात कर सकते हैं, जैसे-
- मौसम के बारे में
- शहर के बारे में
- राजनीति, शिक्षा आदि पर सामान्य बातचीत
इस काम में एक अच्छी सी smile आपकी बहुत मदद कर सकती है। किसी को देखकर मुस्कुराते हुए आगे बढ़ना और हाथ मिला कर बातचीत शुरू करना इतना मुश्किल भी नहीं है…इसे किया जा सकता है, isn’t it?
बातचीत शुरू करने की देरी रहती है उसके बाद वो खुद ही गति पकड़ लेती है। जितना important बातचीत का आरम्भ करना रहता है उतना ही important रहता है बातचीत का अंत करना। और साथ ही सारांश में उसे समाप्त करके अपने उद्देश्य की प्राप्ति करना। यदि आप किसी बिजनेस या कॉर्पोरेशन के साथ बातचीत को समाप्त कर रहे हैं तो अगली मीटिंग, समय, और स्थान का चर्चा जरूर कर लें क्योंकि बातचीत के अंत में ही आगे का रूपरेखा सही से तय हो पाती है।
Lovely Listener (प्यारे श्रोता)-
अच्छा listener होना एक बहुत बड़ा गुण है, but unfortunately ये बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है। आजकल बहुतों के पास कहने को तो सब कुछ रहता है लेकिन सुनने के लिए जरा-सा धैर्य भी नहीं होता। बातचीत में कई लोग अपना नजरिया सामने रख देते हैं, कई अपने डींगें हांकते हैं, अपना दुखड़ा रोते हैं लेकिन सच्चाई तो यह है कि ज्यादातर वही लोग पसंद किये जाते हैं जो काम बोलते और ज्यादा सुनते हैं।
परिवार, समाज, रिश्तेदारों में लोकप्रिय होने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप एक अच्छे श्रोता बनिए, जो दूसरों का कहा सुनकर अपना ख़ुशी भी जाहिर करता है,अपना दुःख भी प्रकट करता है और जो कोई बात समझ न आने पर सवाल भी पूछता है। और शायद यह good communication skills develop करने का सबसे ज़रुरु अंग है।
अंत में कुछ प्रभावशाली नियम जो आपको सुनने के समय याद रखने हैं:-
- सारा ध्यान सुनने पर लगाएं। और यह तभी होगा जब आप अपने पास के व्यवधान को किनारे कर देंगे, जैसे कि मोबाइल, टीवी इत्यादि।
- बीच में हस्तक्षेप न करें नहीं तो सामने वाला अपने विषय से भटक सकता है।
- पूरी बात सुनें, बिना पूरी बात सुनें अपना मत न रखें।
- बीच-बीच में प्रश्न पूछें, जहाँ भी आपको डाऊट लगे।
- बातचीत करते वक्त अपने बॉडीलैंग्वेज का सही इस्तेमाल करें।
- सहानुभूति और समझदारी का परिचय दें। यह जताएं कि आपने उनकी बातों को गंभीरता से सुना है।
दोस्तों उम्मीद है कि यहाँ दी हुई SKILLS से आपको ज़रूर कुछ लाभ होगा। और यदि आप अपनी तरफ से कुछ points add करना चाहें तो कृपया कमेंट्स के माध्यम से हमारे साथ शेयर करें। Thanks.
धन्यवाद !
किरण साहू
रायगढ़ (छ.ग.)
रायगढ़ (छ.ग.)
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