एक जंगल में तीन खरगोश रहते थे जिनकी आपस में बहुत अच्छी दोस्ती थी। तीनो साथ में ही रहते थे लेकिन तीनो के स्वभाव में बहुत अंतर था।
पहला खरगोश को जो भी काम करना होता था, उस काम को करने से पहले वह खूब अच्छी तरह सोच-समझ लेता था और परेशानियों का आना और सामना करना उसे अच्छा नहीं लगता था। परेशानी के आते ही वह उससे बचने की कोशिश करने लगता था।
दूसरा खरगोश जो भी काम करता था, उस काम के लिए तुरंत फैसला ले लिया करता था। यदि उसके पास कोई भी परेशानी आती थी तो वह उस परेशानी से बचने का तुरंत उपाय खोज लेता था।
तीसरा खरगोश भाग्य पर ज्यादा विश्वास करता था। उसका यह सोचना था की भाग्य में जो लिखा है, वह तो होकर ही रहेगा। वह अपने से ज्यादा भाग्य पर विश्वास करता था।
एक दिन दो शिकारी उस जंगल से गुजर रहे थे। उन्होंने वहां बहुत से खरगोश देखे तो एक शिकारी ने दूसरे से कहा , “इस जंगल में तो बहुत सारे खरगोश हैं , कल आकर इनका शिकार करते हैं। “
शिकारी की यह बात तीनों खरगोशों ने सुन ली तो पहला खरगोश बोला, “हमें आज ही ये जंगल छोड़ देना चाहिए और दूसरे जंगल में चला जाना चाहिए। “
दूसरे खरगोश ने कहा , “मैं तो इस जंगल से नहीं जाऊंगा, ये जंगल ही तो मेरा घर है। आने दो शिकारियों को, मैं उनसे बचने का कोई न कोई रास्ता जरूर निकाल लूंगा। “
तीसरे खरगोश ने कहा, “मैं तो जीवन भर से इस जंगल में ही रहा हूँ, मैं जंगल छोड़ कर नहीं जाऊंगा। आने दो शिकारी को, होगा वही जो भाग्य में लिखा है।”
पहले खरगोश ने कोई भी परेशानी मोल नहीं ली और उसी दिन दूसरे जंगल में चला गया।
अगले दिन शिकारी जंगल में आये तो जब शिकारियों की नजर दूसरे खरगोश पर पड़ी तभी दूसरा खरगोश समझ गया कि ये मेरा शिकार करेंगे। उस खरगोश ने ऐसे नाटक किया कि जैसे वह पहले से ही मरा हुआ हो। शिकारी ने उसे मरा हुआ देखकर दूसरे से कहा, “अरे! यह खरगोश तो पहले से ही मरा हुआ है, यह हमारे काम का नहीं है, हमें किसी दूसरे खरगोश की खोज करनी चाहिए।” इस प्रकार अपने तुरंत लिए गए निर्णय से दूसरा खरगोश बच गया।
अब शिकारियों की नजर तीसरे खरगोश पर पड़ी। तीसरा खरगोश दूर झाड़ियों में बैठा था, शिकारियों को देखकर वह भागने लगा। तभी एक शिकारी ने अपने तीर-कमान से एक तीर तीसरे खरगोश पर चला दिया जो सीधे जाकर खरगोश के लगा और वह मर गया।
दोस्तों ! इस कहानी से हमें कई सीख मिलती हैं जो आजकल के भागदौड़ भरे जीवन में हमारे बहुत काम आती हैं—
1- यदि हमारे जीवन में कभी परेशानी आती है तो हमें उससे डरकर दूर नहीं भागना चाहिए बल्कि उस परेशानी को अपने जीवन का एक हिस्सा मानते हुए उसका डटकर सामना करना चाहिए। पहले खरगोश ने परेशानी को सामने देखते ही उससे डरकर भागना तय कर लिया और परेशानी के डर की वजह से उसने अपना घर (जंगल) तक छोड़ दिया जिसमे वह बचपन से ही रह रहा था। उसने परेशानी का सामना करने का विचार भी नहीं किया। इस तरह के विचार रखने वाले व्यक्ति पर जब भी कोई अचानक परेशानी आती है तो वह उसका सामना नहीं कर पाते हैं ।
2- दूसरे खरगोश ने अपने सामने आयी परेशानी का सामना किया और सफल हुआ। दूसरे खरगोश को यह विश्वास था कि यदि परेशानी आयी है तो वह उससे बचने का कोई न कोई उपाय जरूर खोज लेगा लेकिन परेशानी से दूर नहीं भागेगा और न ही अपना घर छोड़ेगा।
3- आजकल की Life बहुत Fast हो गयी है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में बहुत से निर्णय तुरंत लेने होते हैं। दूसरे खरगोश ने भी परिस्थिति के अनुसार तुरंत निर्णय ले लिया और शिकारियों का शिकार होने से बच गया। दोस्तों ! हमें भी परेशानियों के आते ही तुरंत निर्णय लेने की आदत बनानी चाहिए वर्ना हम जिंदगी की भागदौड़ में पीछे रह जायेंगे।
4- व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माण खुद करता है। अतः परेशानी आने पर व्यक्ति को भाग्य के सहारे ही नहीं बैठना चाहिए वल्कि खुद पर विश्वास रखकर परेशानी का सामना करना चाहिए। तीसरे खरगोश ने केवल अपने भाग्य पर भरोसा किया और परेशानी का सामना करने का कोई भी विचार नहीं किया और आखिर में वह शिकारियों द्वारा मारा गया।
Source: http://www.aapkisafalta.com/2015/09/motivational-hindi-story-on-problem-facing.html
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