Ola Cab के भाविश अग्रवाल जी का परिचय | |
पूरा नाम | भाविश अग्रवाल (Bhavish Aggarwal) |
जन्म | August 28, 1985 (28 अगस्त 1985) |
जन्म स्थान | Ludhiana, Punjab (लुधियाना, पंजाब) |
कम्पनी | Ola (ओला) |
पोस्ट | CEO (Chief Executive Officer) |
कम्पनी की शुरूआत | December 03, 2010 (3 दिसम्बर 2010) |
Ola Cabs Founder Bhavish Aggarwal Success Story Biography in Hindi
नमस्कार दोस्तों, आज HamariSafalta.com पर हम भारत के Youngest Entrepreneur भाविश अग्रवाल जी के बारे में आप सभी को बताने वाले हैं जिनकी अलग सोच ने न सिर्फ उन्हें करोड़पति बनाया बल्कि लाखों लोगों के लिए Travel की एक बड़ी problem को दूर किया है…
Indian Institute of Technology Bombay से IIT Passout भाविश, Microsoft Company में काम करते थे. लेकिन वो कौन-सा बड़ा कारण था जिसके चलते उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट कम्पनी को अलविदा कहा और खुद की एक करोड़ों की कम्पनी खड़ी कर दी..
आइये जानते हैं Ola Cab Company के फाउंडर भाविश अग्रवाल जी के बारे में जिनकी Cab Service 70 से भी ज्यादा शहरों में है लेकिन उन्होंने खुद के लिए कोई कार नहीं खरीदी..
भाविश अग्रवाल के बारे में संक्षिप्त परिचय (Bhavish Aggarwal Introduction in Hindi) – भाविश अग्रवाल जी का जन्म 25 अगस्त 1985 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था, श्री नरेश कुमार अग्रवाल उनके पिता और श्रीमती उषा अग्रवाल उनकी माता हैं… भाविश ने मुबई के Indian Institute of Technology से कंप्यूटर साइंस में बीटेक इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और Microsoft company में रिसर्च करते हुए जॉब करने लगे.. रिसर्च के दौरान ही उन्हें इसके लिए दो पेटेंट भी प्राप्त हो चुके थे लेकिन वे अपनी इस 9 से 5 की सुरक्षित नौकरी से जरा भी खुश नही थे क्योंकि उनके अन्दर खुद के लिए काम करने का जूनून पैदा हो गया था.. वे एक Entrepreneur बनना चाहते थे लेकिन एक सुरक्षित जॉब ने उन्हें रोका हुआ था साथ ही वे एक सोसायटी में हो रही छोटी-मोटी प्रोब्लम को लेकर ऑप्शन देख रहे थे कि भविष्य में समाज की समस्याओं को लेकर कुछ करना चाहिए..
कैसे आया अपनी खुद की कम्पनी शुरू करने का ख़याल :– इस बारे में भाविश स्वयं बताते हैं कि उनकी कम्पनी ola (ओला) की शुरुआत उनके खुद के किये गये एक ट्रेवल से शुरू हुई थी.. जिसका अनुभव बहुत ही बुरा था.. एक बार उन्होंने बेंगलुरु से बांदीपुर की यात्रा के लिए एक कार बुक की थी, जिनकी सर्विस बहुत ही ज्यादा खराब थी. जब वे बेंगलुरु से बांदीपुर की यात्रा पर निकले तो आधे रास्ते में ही ड्राईवर ने उनसे पैसे मांगने शुरू कर दिए, और ड्राईवर का बर्ताव, उसके बात करने का तरीका भी सही नहीं था.. उसके बुरे व्यवहार से परेशान होकर रास्ते में ही उन्हें गाड़ी से उतरना पड़ा और बाकी की यात्रा बस से करनी पड़ी..
जब वे बस में थे और आगे का सफ़र तय कर रहे थे तब बार-बार उनके दिमाग में यही बात चल रही थी कि उनके साथ ऐसा क्यों हुआ! और वे बार-बार यही सोच रहे थे, साथ ही साथ उन्हें यह सोच भी खाए जा रही थी कि ऐसे बहुत से लोग भी होंगे जिन्हें अच्छी कार सर्विस नहीं मिल रही होगी और उनके साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा होगा.. तभी उन्हें लगा कि उनके जैसे ही बाकी कस्टमर्स एक अच्छी कैब सर्विस की तलाश कर रहे होंगे जो उन्हें क्वालिटी सर्विस प्रदान कर सके क्योंकि ज्यादातर यात्रियों का अनुभव बहुत ख़राब ही रहता है इसी सोच को लेकर कि वे इस फील्ड में कुछ बड़ा करेंगे उन्होंगे ओला कैब कम्पनी शुरू करने का सोचा…
क्यों इतनी चर्चा में है ओला और क्या है ख़ास:– भाविश, सफ़र के दौरान समझ चुके थे कि कम दाम में एक अच्छा सर्विस देने से ही इस कम्पनी को बड़े लेवल पर रन किया जा सकता है इसलिए उन्होंने कुछ ऐसा सोचा जो कस्टमर्स को इससे अच्छा और कोई न दे सके…
10 रूपये से 17 रूपये प्रति किलोमीटर की दर से ओला अपनी बेहतरीन सर्विस देती है और आज 70 से भी ज्यादा शहरों में 1.50 लाख लोग प्रतिदिन उनकी इस सर्विस का लाभ ले रहे हैं..
भाविश ने अभी तक नहीं खरीदी खुद के लिए कार :- Bhavish Aggarwal (भाविश अग्रवाल) और उनकी पत्नी Rajalakshmi Aggarwal (राजलक्ष्मी अग्रवाल) ने एक फैसला लिया है कि वे कभी भी खुद की कार नहीं खरीदेंगे और वे हमेशा OLA Service का ही उपयोग करेंगे.. एक अलग सोच से ही आदमी कामयाब बनता है इसका जीता जागता उदाहरण भाविश स्वयं है…
Technology और इंटरनेट ने बिजनेस को बढ़ाने में की मदद:– चूँकि भाविश पहले से ही आईटी फील्ड से थे इसलिए उन्होंने अपना बिजनेस मॉडल इस तरह से तैयार किया था कि कस्टमर को कार बुक करने के लिए या पेमेंट के लिए उनके ऑफिस न आना पड़े.. हांलाकि शुरुआत में ही ऐसा नही हुआ..
कैब सर्विस और तकनीकी का कॉम्बिनेशन बहुत ही बढ़िया रहा, क्योंकि इसके ऐप को इस तरह से बनाया गया था जिससे कस्टमर को अपने सुविधा की साड़ी जानकारी मिल सके .. वे ऑनलाइन ही बुकिंग कर सकें, रेटिंग और रिव्यू देख सकें और अपने फोन के माध्यम से ही क्वालिटी की पूरी चेकिंग कर सकें…
भाविश जैसे ही हटकर सोचने वाले उनके दोस्त अंकित भाटी (Ankit Bhati) नवम्बर 2010 में कम्पनी में शामिल हुए.. उन्होंने भी उसी कॉलेज से आइआइटी और एम् टेक की डिग्री प्राप्त की थी.. दोनों ने कम्पनी साथ-साथ रन करने का सोचा और आगे बढ़ते गये..
Ola पर Parents का क्या रिएक्शन रहा:– किसी भी बड़े कम्पनी का Startup छोटे से ही शुरू होता है.. जब कम्पनी शुरुआत करने की सोची तो दोस्त लोगों का मजाक उड़ाना स्वाभाविक है लेकिन जब आपके काम को पेरेंट्स भी न समझें तो दिक्कत महसूस होती है लेकिन जब काम बढ़ने लगे और पैसे आने लगे तो सबका दिमाग क्लियर होते जाता है..
शुरुआत में माँ-पापा को लग रहा था कि इतना पढ़ने और नौकरी छोड़ने के बाद कोई ट्रेवल एजेंट बनने का सोच रहा है लेकिन उनको उस वक्त समझा पाना मुश्किल होता है क्योंकि कुछ हटकर करने से सभी लोगों की तरह घरवाले भी आपको पागल समझ सकते हैं और इसमें उनकी कोई गलती भी नहीं है लेकिन जैसे-जैसे पैसे आने लगे तो उनको भाविश के स्टार्टअप पर विश्वास होने लगा, और वे समझने लगे कि लड़का आगे जरूर कुछ बड़ा करेगा…
कस्टमर विश्वसनीयता के लिए करनी पड़ती है ज्यादा मेहनत:– आज हर कस्टमर को अच्छी सर्विस चाहिए, वो यदि कम पैसे भी खर्च करें लेकिन फिर भी उन्हें अपने कम पैसों से भी ज्यादा अच्छी सर्विस चाहिए.. चूँकि वे अपने पुराने बुरे अनुभवों और दुसरे कैब सर्विस के हालात से समझ चुके थे कि कस्टमर की संतुष्टि कितनी ज्यादा जरूरी है इसके लिए उन्होंने सभी ड्राइवर्स को कस्टमर्स सेवा का ट्रेनिंग दिलवाया और उन्हीं ड्राइवर्स को रखा जिनका रिकॉर्ड साफ़ है..
70 से भी ज्यादा शहर 100 करोड़ से ज्यादा की आय:- आज भारत के सबसे बड़ी कम्पनी ओला देश में बहुत ही तेजी से बढ़ रही कैब एवं ऑटो बुकिंग सर्विस देने वाली कम्पनी बन चुकी है..
ओला का स्मार्टफोन ऐप, कैब बुकिंग के लिए सबसे ज्यादा उपयोग किया जाने वाला ऐप है.. बिजनेस के स्तर को जब आप देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि ओला ने महज तीन साल में ही एक अरब भारतीय रूपये का आंकड़ा पार किया है और आज की तारीख में यदि हम देखें तो इस कम्पनी ने 100 भी ज्यादा शहरों में अपना परचम लहराया है..
मसलन लग्जरी ट्रैवल्स के लिए ओला प्राइम (टोयोटो इन्नोवा), इटिओट), इकोनॉमिक महिला यात्रियों के लिए महिला ड्राइवर की ओला पिंक ट्रैवलिंग के लिए ओला मिनी (टाटा इंडिका), और सबसे सस्ती ओला ऑटो और कम्फर्टेबल ट्रैवलिंग के लिए ओला सेडान (टोयोटा) ….ये सभी गाड़ियाँ आज एक 1.50 लाख लोग प्रतिदिन 10 से 17 रूपये प्रति किलोमीटर की दर से यात्रा के लिए ओला की सहायता से इन सबका उपयोग करते हैं …
भाविश अग्रवाल कहते हैं कि सपने तो हर कोई देखता है, लेकिन कुछ ही लोग जोखिम उठाने के लिए तैयार रहते हैं.. जब आप जोखिम उठाने के लिए आगे बढ़ते हैं तो कई लोग कई सलाह भी देंगे.. पर याद रखिये सपने उन्हीं के सच होते हैं जो सुनते सबकी हैं पर करते मन की हैं…
Thanks!
Source: https://www.hamarisafalta.com
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