जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास उतना ही जरूरी है जितना मछली को जिन्दा रहने के लिए पानी..
बिना आत्मविश्वास के सफलता की सीढियों पर कभी भी चढ़ा नहीं जा सकता.. आज हम आपके साथ आत्मविश्वास का फ़ॉर्मूला शेयर करेंगे जिसे नेपोलियन हिल ने उनकी किताब “सोचिये और अमीर बनिये” में लिखा है..
आत्मविश्वास का फ़ॉर्मूला
– पहला:- मैं जानता हूँ कि मुझमें जीवन के निश्चित लक्ष्य को हासिल करने की योग्यता है..और इसलिए मैं खुद से यह अपेक्षा रखता हूँ कि मैं इसे हासिल करने के लिए निरंतर लगन से कार्य करूँ और मैं यहाँ पर अभी यह वादा करता हूँ कि मैं इसी तरह से कार्य करूँगा…
– दूसरा:- मुझे एहसास है कि मेरे मस्तिष्क के प्रबल विचार अंततः अपने आपको बाहरी, भौतिक कार्यों में बदल लेंगे और धीरे-धीरे अपने आपको भौतिक वास्तविकता में रूपांतरित कर लेंगे.. इसलिए मैं अपने विचारों को हर दिन तीस मिनट तक इस बात पर एकाग्र करूँगा कि मैं किस तरह का इंसान बनने के बारे में सोच रहा हूँ ताकि मेरे मस्तिष्क में इसकी एक स्पष्ट तस्वीर रहे…
– तीसरा:- मैं जानता हूँ कि आत्मसुझाव के सिद्धांत के प्रयोग के द्वारा मैं जिस भी इच्छा को अपने मस्तिष्क में निरंतर बनाये रखूँगा वह अंततः किसी प्रैक्टिकल तरीके के द्वारा अपने आपको भौतिक समतुल्य में बदल लेगी और मुझे वह वस्तु हासिल हो जाएगी जिसका मैंने लक्ष्य बनाया है.. इसलिए मैं हर दिन दस मिनट इस काम में दूंगा कि मैं आत्मविश्वास का विकास करूँ…
– चौथा:- मैंने स्पष्ट रूप से जीवन में अपने प्रमुख निश्चित लक्ष्य का वर्णन लिख लिया है और मैं कोशिश करना कभी नहीं छोडूंगा जब तक कि मुझमें इसे हासिल करने का पर्याप्त आत्मविश्वास विकसित न हो जाए.
– पांचवां:- मुझे पूरी तरह एहसास है कि कोई भी संपत्ति या पद तब तक लम्बे समय तक बना नहीं रह सकता जब तक कि यह सत्य और न्याय पर आधारित न हो.. इसलिए मैं किसी भी ऎसी गतिविधि में संलग्न नहीं होऊंगा जिससे इससे प्रभावित होने वाले सभी लोगों को लाभ न हो.. मैं ऐसी शक्तियों को अपनी तरफ आकर्षित करके सफलता पाउँगा जिनका मैं प्रयोग करना चाहता हूँ और मैं दुसरे लोगों के सहयोग के द्वारा सफलता पाऊंगा… मैं दुसरे लोगों को प्रेरित करूँगा कि वे मेरी सेवा करें क्योंकि मैं हमेशा दूसरों की सेवा करने का इच्छुक रहूँगा.. मैं सारी मानवता के प्रति प्रेम विकसित करूँगा और घृणा, इर्ष्या, स्वार्थ और दोष देखने की आदत को अपने मस्तिष्क से दूर करूँगा क्योंकि मैं जानता हूँ कि दूसरों के प्रति नकारात्मक नजरिया रखने से मुझे कभी सफलता नहीं मिल सकती… मैं ऐसे काम करूँगा जिससे दूसरों को मुझ पर विश्वास हो क्योंकि मैं उनमें और अपने आपमें विश्वास रखूँगा.. मैं इस फ़ॉर्मूले पर अपने हस्ताक्षर करूँगा और इसे याद कर लूँगा और इसे हर दिन जोर-जोर से दोहराऊंगा… ऐसा करते समय मुझे पूरा विश्वास होगा कि यह मेरे विचारों और कार्यों को धीरे-धीरे प्रभावित करेगा ताकि मैं एक स्वावलंबी और सफल व्यक्ति बन सकूँ…
इस फ़ॉर्मूले के पीछे प्रकृति का नियम है जिसे अब तक कोई आदमी स्पष्ट नहीं कर पाया है.. इस नियम को आप किस नाम से पुकारते हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है… इसके बारे में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि- यह मानव जाति की सफलता और प्रसिद्धि के लिए काम करता है, बशर्ते इसका रचनात्मक प्रयोग किया जाए तो यह उतनी ही तत्परता से नष्ट भी कर सकता है … इस वक्तव्य में एक बहुत महत्वपूर्ण सच्चाई छुपी है..
यानी जो हार जाते हैं और गरीबी, दुःख और कष्ट में अपना जीवन गुजारते हैं वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्होंने आत्मसुझाव के सिद्धांत का नकारात्मक प्रयोग किया है… इसका कारण यह तथ्य है कि विचार के सभी संवेगों की यह प्रवृत्ति होती है कि वे अपने आपको अपने भौतिक समतुल्य से रूपांतरित कर लेते हैं….
दोस्तों, आपके अन्दर अपार शक्तियां हैं.. ये लाइफ आपको बस समय काटने के लिए नहीं मिली है.. यदि आप सोये हुए हैं तो जाग जाइए और अपने अन्दर आत्मविश्वास जगाइए.. खुद के ऊपर यकीन करिए.. आप इंसान हैं, और वो सब कार्य करने की शक्ति आपके अन्दर पहले से मौजूद है जो आप करना चाहते हैं इसलिए पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ते जाइये… याद रखिये आपका आत्मविश्वास ही आपकी जीत और सफलता निश्चित करेगा….
Source: https://www.hamarisafalta.com
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