जिसकी सुहानी सुबह है होती … होती सुनहरी शाम है
वीर बहादुर जन्मे जिसमें मेरा भारत महान है
आप सभी को भारत के 70वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
संभवतः यहाँ मौजूद हर व्यक्ति आज़ाद भारत में पैदा हुआ है और इसके लिए हम हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और देशभक्त क्रांतिकारियों के तहे दिल से आभारी हैं.
मित्रों हर स्वतंत्रता दिवस पर हम महात्मा गाँधी, भगत सिंह सहित उन अनगिनत आज़ादी के दीवानों को याद करते हैं जिन्होंने हमें अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया…..आज भी मैं उन्हें नमन करता हूँ और उनके अमर बलिदान के सम्मान में अपना शीश झुकाता हूँ.
मित्रों हर स्वतंत्रता दिवस पर हम महात्मा गाँधी, भगत सिंह सहित उन अनगिनत आज़ादी के दीवानों को याद करते हैं जिन्होंने हमें अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया…..आज भी मैं उन्हें नमन करता हूँ और उनके अमर बलिदान के सम्मान में अपना शीश झुकाता हूँ.
पर आज मैं उन वीर सपूतों की कुर्बानियां नहीं गिनाऊंगा… ना ही मैं उनके बलिदानों का लेखा-जोखा दूंगा….बल्कि आज मैं अपने देश के प्रति हमारे योगदान के बारे में बात करना चाहूँगा.
क्या आपने इस देश को महान बनाने के लिए कोई काम किया है या कर रहे हैं?
मैं आपसे एक प्रश्न करना चाहता हूँ…. कोई देश महान कब बनता है?
कोई देश महान तब बनता है जब उस देश के देशवासी महान बनते हैं….क्योंकि देश तो देशवासियों से ही बना होता है.
तो क्या हम सब भारत के वासी महान बन रहे हैं? क्या हम कुछ ऐसा कर रहे हैं जो हमें महान बनाता है? या कहीं हम इसका उल्टा तो नहीं कर रहे….
- कहीं हम पान खा कर दीवारों पर तो नहीं थूक रहे….
- कहीं हम अपने घर का कूड़ा सड़कों पर तो नहीं फेंक रहे….
- कहीं हम कमरों में लाइट और पंखे खुला छोड़ बाहर तो नहीं टहल रहे ….
- कहीं हम नल खुला छोड़ पानी की बर्बादी तो नहीं कर रहे ….
- कहीं हम थाली में परोसा खाना छोड़ अन्न का अपमान तो नहीं कर रहे….
अफ़सोस हममें से ज्यादातर लोग ऐसा कर रहे हैं….और ऐसा करने का मतलब है कि हम महान नहीं बन रहे और अगर हम महान नहीं बन रहे तो ये देश कैसे महान बनेगा?
एक बूढ़े दादा जी पार्क में उदास बैठे थे…वहां खेल रहे बच्चों ने पूछा आप उदास क्यों हैं?
दादा जी बोले, “ जब मैं छोटा था तब मैं सोचता था कि एक दिन मैं देश को बदल कर रख दूंगा… जब थोडा बड़ा हुआ तो सोचा….भाई ये देश बदलना अपने बस की बात नहीं मैं तो बस इस शहर को बदल दूंगा…. लेकिन जब कुछ और समय बीता तो लगा ये भी कोई आसान काम नहीं है चलो मैं बस अपने आस-पास के लोगों को बदल दूंगा….
पर अफ़सोस मैं वो भी नहीं कर पाया .
और अब जब मैं इस दुनिया में कुछ दिनों का ही मेहमान हूँ तो मुझे एहसास होता है कि बस अगर मैंने खुद को बदलने का सोचा होता तो मैं ऐसा ज़रूर कर पाता …और हो सकता है मुझे देखकर मेरे आस-पास के लोग भी बदल जाते …और क्या पता उनसे प्रेरणा लेकर ये शहर भी कुछ बदल जाता … और तब शायद मैं इस देश को भी बदल पाता !”
दोस्तों, कोई भी बड़ा बदलाव खुद से शुरू होता है… महात्मा गांधी ने कहा भी है-
“खुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं!”
इसलिए अगर आप “मेरा भारत महान” बनाना चाहते हैं तो पहले खुद महान बनिए…और महान बनने के बीज इन छोटी-छोटी बातों में ही छिपे होते हैं…करने दीजिये दुनिया जो करती है बस अपनी जिम्मेदारी लीजिये बस खुद को बदलने का संकल्प कीजिये—
- प्रण लीजिये कि आप स्वच्छता रखेंगे….
- प्रण लीजिये कि आप बिजली बचायेंगे….
- प्रण लीजिये कि आप पानी का संचय करेंगे…
- प्रण लीजिये कि आप अन्न का अपमान नहीं करेंगे….
और यकीन जानिये जब आप ऐसा करेंगे तब भारत को सचमुच महान बनने से कोई नहीं रोक पायेगा….और तब हम सब गर्व से कह पायेंगे —
मेरा भारत महान!
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