अनियमित मलत्याग के कारण, लक्षण एवं उपचार
Irritable Bowel Syndrome Cause, Symptoms & Treatment in Hindi
IBS यानी irritable bowel syndrome एक ऐसा विकार है जिसमे बड़ी आंत प्रभावित होती है। इस रोग में मरीजों की आंत की बनावट में कोई बदलाव नही होता है, इसलिय कई बार इसे सिर्फ रोगी का वहम ही मान लिया जाता है। लेकिन आँतों की बनावट में कोई चेंज ना आने के बावजूद भी रोगी को कब्ज या बार-बार दस्त लगना, पेट में दर्द, गैस जैसी समस्याएं होती हैं।
इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम रोगियों की शिकायतें
अधिकतर रोगी डॉक्टर के पास निम्नलिखित शिकायतें लेकर आते हैं –
जब भी मैं नाश्ता या खाना खाता हूँ तो मुझे शौच के लिय जाना पड़ता है।
जब भी मैं नाश्ता या खाना खाता हूँ तो मुझे शौच के लिय जाना पड़ता है।
- जब भी मै बाहर जाने को तैयार होता हूँ तो मुझे शौच के लिय जाने की जरूरत महसूस हौती है।
- जब भी चाय, दूध जैसा drink लेता हूँ तो शौच के लिए जाने की जरुरत महसूस हौती है।
- एक बार में पेट साफ नहीं होता है जिससे बार बार टॉयलेट जाना पड़ता है।
इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम के लक्षण
- कब्ज या बार बार दस्त लगना – कई बार कुछ खाते ही शौच के लिए जाना पड़ता है। बहुत से रोगियों को दिन में 7 या 8 बार या ज्यादा बार भी शौच के लिय जाना पड़ता है। जबकि कई बार अपने आप ही कब्ज यानी Constipation हो जाता है।
- पेट में दर्द या एँठन।
- बहुत ज्यादा गैस बनना।
- पेट फूलना या अफारा होना।
- मल के साथ चिकना कफ जैसा पदार्थ या आंव आना।
- एक बार में पेट साफ ना हो पाना जिससे बार-बार शौचालय जाने की जरूरत महसूस होना।
IBS ( Irritable Bowel Syndrome ) के कारण –
IBS का कोई एक कारण नही माना गया है। बल्कि कई कारण मिलकर इस रोग के होने का कारण बनते है –
1 .विशेष खाद्य पदार्थों के सेवन से लक्षणों का बढ़ जाना –
बहुत से लोगों को चोकलेट, एल्कोहल, गोभी, डेयरी उत्पाद, दूध, तले भुने मसालेदार पदार्थों एवं गेहूं से लक्षण बढ़ जाते हैं।
2 . तनाव –
IBS के होने में तनाव पूर्ण माहोल यानी stress का भी अहम रोल हौता है। जिससे IBS या
ग्रहणी रोग के लक्षण बढ़ जाते हैं।
ग्रहणी रोग के लक्षण बढ़ जाते हैं।
3 .आनुवंशिकता ( Hereditary ) –
जिन लोगों के परिवार में माता-पिता आदि को यह तकलीफ होती है उनके बच्चों को यह समस्या होने की ज्यादा सम्भावना हो जाती है।
इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम के प्रकार
आधुनिक विज्ञान में IBS को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है।
1 . IBS D . – इसमें रोगी को बार बार दस्त लगने का मुख्य लक्षण रहता है।
2 . IBS C – इस प्रकार के रोगी को कब्ज की प्रधानता रहती है।
3 . IBS A – इसमें रोगी को कभी दस्त लग जाते हैं तो कभी कब्ज हो जाती है ।
2 . IBS C – इस प्रकार के रोगी को कब्ज की प्रधानता रहती है।
3 . IBS A – इसमें रोगी को कभी दस्त लग जाते हैं तो कभी कब्ज हो जाती है ।
इरिटेबल बॉएल सिंड्रोम का घरेलू उपचार / Home Remedies Irritable Bowel Syndrome in Hindi
1. फाइबर लें – खान पान में धीरे-धीरे रेशे की मात्रा बढाने से लक्षणों में बहुत आराम मिलता है। फाइबर चोकर युक्त आटा, हरी सब्जियों एवं फलों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
2. अहितकर खान-पान से बचें – ऐसा खान पान जिसमे IBS के लक्षण बढ़ते हों उनसे बचें। यह हर व्यक्ति के अनुसार अलग अलग हो सकते हैं। जैसे- दूध, चोकलेट, cold drinks, कॉफ़ी, शराब आदि। यदि तकलीफ ज्यादा हो तो गोभी आलू ,निम्बू , तले भुने खाद्य पदार्थो से बचें।
3. खान-पान में नियमितता रखें – नियमित समय पर खाना खाने की आदत डालें। एक बार में ज्यादा न खाकर थोड़ा थोड़ा कई बार में लें। खान पान में दही, छाछ आदि ज्यादा शामिल करें।
4. व्यायाम, योगाभ्यास, भ्रमण जरुर करें – नियमित रूप से भ्रमण, योगा, व्यायाम करें, इससे तनाव का स्तर घटता है। Mood सही रहता है। खाने का सही से पाचन होता है।
Ayurvedic Treatment for Irritable Bowel Syndrome in Hindi
5. आयुर्वेदिक उपचार- आयुर्वेद में IBS को ग्रहणी या संग्रहणी रोग के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में ग्रहणी के वातज, पितज, कफज, सन्निपातज जैसे प्रकार बताये गए हैं तथा ग्रहणी रोग के कारणों, लक्षणों और चिकित्सा के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है।
आयुर्वेद की कई जड़ी बूटियाँ जैसे-
- बिल्व
- कुटज
- चित्रक
- हरीतकी
- आंवला
- दाड़िम
- पिप्पली
- पंचकोल
- शुण्ठी एवं पंचामृत पर्पटी
- रस पर्पटी
- स्वर्ण पर्पटी
- गंगाधर चूर्ण
- शंख भष्म
जैसी औषधियां IBS रोग में बहुत ही फायदेमंद हैं। पर्पटी कल्प ग्रहणी रोग में आयुर्वेद की विशेष चिकित्सा बताई गई है। इन्हें आयुर्वेद विशेषज्ञ की सलाह से ही लिया जाता है।
6. छाछ ( Buttermilk) – एक गिलास ताज़ी छाछ में आधी चम्मच भुना हुआ जीरा पाउडर एवं इतना ही सूखा पिसा हुआ पुदीना पाउडर मिलाकर पीना बहुत ही लाभकारी है। ग्रहणी यानी IBS रोग में छाछ को अमृत समान गुणकारी माना गया है। इसका नियमित रूप से सेवन करें।
6. छाछ ( Buttermilk) – एक गिलास ताज़ी छाछ में आधी चम्मच भुना हुआ जीरा पाउडर एवं इतना ही सूखा पिसा हुआ पुदीना पाउडर मिलाकर पीना बहुत ही लाभकारी है। ग्रहणी यानी IBS रोग में छाछ को अमृत समान गुणकारी माना गया है। इसका नियमित रूप से सेवन करें।
7. ईसबगोल– दस्त लगने पर दही के साथ एवं कब्ज होने पर गरम दूध के साथ ईसबगोल की भूसी 1-2 चम्मच मात्रा में लेना irritable bowel syndrome के लक्षणों में बहुत ही फायदेमंद साबित होता है।
8. बिल्व एवं त्रिफला पाउडर – दस्त ज्यादा लगने पर बिल्व एवं कब्ज की स्तिथि में त्रिफला उपयोगी साबित होते हैं।
दोस्तों, उम्मीद है यहाँ दी गयी जानकारी से आपको लाभ मिलेगा . इस विषय में और अधिक जानकारी के लिए आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं. धन्यवाद!
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