एक महान विद्वान से मिलनेँ के लिये एक दिन रोशनपुर के राजा आये।
राजा नेँ विद्वान से पुछा, ‘क्या इस दुनिया मेँ ऐसा कोई व्यक्ति है जो बहूत
महान हो लेकिन उसे दुनिया वाले नहीँ जानते होँ?’
विद्वान नेँ राजा से विनम्र भाव से मुस्कुराते हुये कहा, ‘हम दुनिया के
ज्यादातर महान लोगोँ को नहीँ जानते हैँ।’ दुनिया मेँ ऐसे कई लोग हैँ जो
महान लोगोँ से भी कई गुना महान हैँ।
राजा नेँ विद्वान से कहा, ‘ऐसे कैसे संभव है’।
विद्वान नेँ कहा, मैँ आपको ऐसे कई व्यक्तियोँ से मिलवाऊंगा।
इतना कहकर विद्वान, राजा को लेकर एक गांव की ओर चल पड़े। रास्ते मेँ कुछ
दुर पश्चात् पेड़ के नीचे एक बुढ़ा आदमी वहाँ उनको मिल गया। बुढ़े आदमी के
पास एक पानी का घड़ा और कुछ डबल रोटी थी। विद्वान और राजा नेँ उससे मांगकर
डबल रोटी खाई और पानी पिया।
जब राजा उस बूढ़े आदमी को डबल रोटी के दाम देनेँ लगा तो वह आदमी बोला, ‘महोदय
मैँ कोई दुकानदार नहीँ हूँ। मैँ बस वही कर रहा हूँ जो मैँ इस उम्र मेँ
करनेँ योग्य हूँ। मेरे बेटे का डबल रोटी का व्यापार है, मेरा घर मेँ मन
नहीँ लगता इसलिये राहगिरोँ को ठंडा पानी पिलानेँ और डबल रोटी खिलानेँ आ
जाया करता हूँ। इससे मुझे बहुत खुशी मिलती है।
विद्वान नेँ राजा को इशारा देते हूये कहा कि देखो राजन् इस बुढ़े आदमी की इतनी अच्छी सोँच ही इसे महान बनाती है।
फिर इतना कहकर दोनोँ नेँ गाँव मेँ प्रवेश किया तब उन्हेँ एक स्कुल नजर आया। स्कुल मेँ उन्होँने एक शिक्षक से मुलाकात की और राजा नेँ उससे पुछा कि आप इतनेँ विद्यार्थियोँ को पढ़ाते हैँ तो आपको कितनी तनख्वाह मिलती है। उस शिक्षक नेँ राजा से कहा कि महाराज मैँ तनख्वाह के लिये नहीँ पढ़ा रहा हूँ यहाँ कोई शिक्षक नहीँ थे और विद्यार्थियोँ का भविष्य दाव पर था इस कारण मैँ उन्हेँ मुफ्त मेँ शिक्षा देनेँ आ रहा हूँ।
विद्वान नेँ राजा से कहा कि महाराज दुसरोँ के लिये जीनेँ वाला भी बहूत ही महान होता है।
और ऐसे कई लोग हैँ जिनकी ऐसी महान सोँच ही उन्हेँ महान से भी बड़ा महान बनाती हैँ।
इसलिये राजन् अच्छी सोँच आदमी का किस्मत निर्धारित करती है।
इसलिये Friends हमेशा अच्छी बातेँ ही सोँचकर कार्य करेँ और महान बनेँ।
Friends आदमी बड़ी बातोँ से नहीँ बल्कि अच्छी सोँच व अच्छे कामोँ से महान
माना जाता है।
Life मेँ कुछ Achieve करनेँ के लिये और सफलता हासिल करनेँ के लिये बड़ी बातोँ को ज्यादा Importance देनेँ के बजाय अच्छी सोँच को ज्यादा महत्व देना चाहिये क्योँकि आपकी अच्छी सोँच ही आपके कार्य को निर्धारित करती है।
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