Thursday, 3 August 2017

लालच बुरी बला.... AN INSPIRATIONAL STORY



एक बार एक लालची किसान से एक जमीनदार ने कहा कि वह दिन मेँ जितनी जमीन पर चलेगा, वह जमीन उसके नाम पर कर दी जाएगी, लेकिन जमीनदार ने शर्त रखी कि वह सुरज डूबनेँ तक शुरू की जगह पर वापस लौट आए।
ज्यादा से ज्यादा जमीन हासिल करने की लालच मेँ वह किसान दुसरे दिन सूरज निकलने से पहले ही निकल पड़ा। वह काफी तेजी से चलता हूआ आगे बढ़ रहा था क्योँकि लालच मेँ आकर वह ज्यादा से ज्यादा जमीन हासिल करना चाहता था।
थकने के बावजूद भी वह सारी दोपहर चलता रहा, क्योँ वह जिँदगी मेँ दौलत कमाने के लिए हासिल हुए उस मौके को गँवाना नहीँ चाहता था।
दिन ढलते वक्त उसे वह शर्त याद आई कि उसे सूरज डूबने से पहले शुरूआत की जगह पर पहुँचना है।
अपनी लालच की वजह से ही वह उस जगह से काफी दूर निकल आया था। वह वापस लौट पड़ा।
सूरज डूबने का वक्त ज्योँ-ज्योँ करीब आता जा रहा था, वह उतनी ही तेजी से दौड़ता जा रहा था। वह लालची किसान बुरी तरह से हाँफने लगा, फिर भी वह बर्दाश्त से अधिक तेजी से दौड़ता रहा।
नतीजा यह हूआ कि सूरज डूबते-डूबते वह शुरूआत वाली जगह पर पहूँच तो गया, पर उसका दम निकल गया, और वह मर गया।
उसको दफना दिया गया, और उसे दफन करने के लिये जमीन के बस एक छोटे से टुकड़े की ही जरूरत पड़ी।
Friends लालच एक गलत लत है और इससे कोई फर्क नहीँ पड़ता कि वह किसान अमीर था, या गरीब। किसी भी लालची आदमी के साथ ऐसा ही हश्र होता है। दोस्तोँ लालच को अपना साथी मत बनाईये क्योँ कहा गया है लालच बुरी बला है।
..Note- यह कहानी जीत आपकी पुस्तक से ली गई है जिसके Author  Mr. शिव खेड़ा जी हैं।
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