Wednesday, 26 July 2017

ऐसा भी होता है! | Moral Story In Hindi


एक छोटे शहर में कुंदन नाम का 12 साल का एक बच्चा रहता था। पढ़ने-लिखने में वह बहुत अच्छा था और अपनी प्रत्येक कक्षा में वह हमेशा सर्वोच्च स्थान प्राप्त करता था लेकिन उसका परिवार बहुत गरीब था। कुंदन के पिताजी बहुत मुश्किल से उसकी स्कूल की फीस का इंतजाम कर पाते थे।
एक दिन अचानक उसकी माँ की तबीयत ख़राब हो गई और डॉक्टर ने उन्हें कैंसर बताया। अब तो पूरा परिवार परेशान हो गया और जो कुछ भी कुंदन के पिता कमाते थे, वह सब उसकी माँ के इलाज में खर्च हो जाता था।
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तीन महीने बीत चुके थे, कुंदन के स्कूल की फीस नहीं गई थी। फीस जमा नहीं होने के कारण स्कूल के प्रिंसिपल ने कुंदन का नाम स्कूल से काटने का फैसला लिया। अब कुंदन का करियर ख़राब होने जा रहा था लेकिन उसके पिता अपने होनहार बेटे को पढ़ाने के लिए कुछ भी करने को तैयार थे।
कुंदन के पड़ोस में एक सेठ जी रहते थे। कुंदन के पिता उनसे मदद मांगने उनके घर पहुंचे तो उस समय सेठ जी अपने एक मित्र साथ कुछ बातें कर रहे थे। कुंदन के पिता ने सेठ जी को अपनी परेशानी बतायी और कुछ रुपये मांगते हुए कहा, “मेरे बेटे के करियर का सवाल है। आप मुझे कुछ रुपये दे दीजिये और समय आने पर मैं आपके रुपये लौटा दूंगा।”
सेठ जी बहुत ही घमंडी व्यक्ति थे। वह बिना किसी फायदे के किसी की कोई मदद नहीं करते थे। सेठ जी ने रुपये देने से तुरंत मना कर दिया और कहा, “मुझे तुम्हे रुपये देने से क्या फायदा है। तुम गरीब हो और तुमसे मुझे कभी काम भी नहीं पड़ेगा। तुम मेरा रुपया लौटा दोगे, इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है। अतः मैं तुम्हे रुपये नहीं दे सकता।”
कुंदन के पिता बहुत दुखी हुए और अपने घर लौटने लगे तभी सेठ जी का मित्र बोला, “सेठ जी ! यह व्यक्ति वास्तव में बहुत परेशान है और आप इस योग्य हैं कि इसकी सहायता कर सकते हैं। यह व्यक्ति आपको रुपये लौटाने की भी बात कह रहा है। अतः मेरी राय है कि आप इसकी सहायता कर दें।”
सेठ जी का वह मित्र उनका बिज़नेस पार्टनर भी था, अतः सेठ जी उसकी बात न टाल सके और उन्होंने कुंदन के पिता को रूपये दे दिए।
कुंदन का करियर बच गया और उसकी पढ़ाई जारी रही। समय आने पर बहुत मेहनत करके कुंदन के पिता ने सेठ जी के रुपये वापस कर दिए और कहा, “संकट के समय में आप मेरे काम आये, आपका बहुत धन्यबाद! आपका यह एहसान मैं कभी नहीं भूलूंगा।”
अब इस घटना को हुए बहुत समय बीत चुका था और सेठ जी ने अपना बिज़नेस दूसरे शहर में शुरू कर दिया था।
एक दिन अचानक सेठ जी के इकलौते बेटे का एक्सीडेंट हो गया और वह उसे लेकर हॉस्पिटल पहुंचे। उनके बेटे का बहुत खून वह चुका था। डॉक्टर उसका ऑपरेशन करने के लिए ऑपरेशन रूम में ले गए।तभी एक डॉक्टर ने सेठ जी से कहा, “आपके बेटे की हालत बहुत नाजुक है, उसको खून की बहुत जरुरत है, 15 मिनट में आप खून का इंतजाम कर लीजिये वरना आपके बेटे की जान हम नहीं बचा पायेंगे।”

सेठ जी उस समय अकेले थे और हॉस्पिटल में उस ग्रुप का खून उपलब्ध नहीं था। सेठ जी ने बहुत कोशिश की लेकिन खून का इंतजाम वह नहीं कर पा रहे थे और उधर बेटे की हालत और भी नाजुक होती जा रही थी। इतना बड़ा सेठ जो दुनिया की हर चीज खरीद सकता था, इतना पैसा होने के बाद भी उस समय असहाय था।
समय बीतता जा रहा था। 15 मिनट ख़त्म हो गए थे।
सेठ जी अपने इकलौते बेटे की कोई सहायता नहीं कर पाये थे और बहुत रोये जा रहे थे। सेठ जी की सारी उम्मीदें ख़त्म हो चुकी थीं।
तभी अचानक एक डॉक्टर बाहर आया और सेठ जी से बोला, “आपके बेटे को खून मिल चुका है, उसका ऑपरेशन चल रहा है, अब वह ठीक हो जायेगा।”
सेठ जी उस समय उस डॉक्टर को एकटक देखे जा रहे थे और उनके मुँह से केवल यही शब्द निकले, “खून कहाँ से आया ? किसने दिया खून ?”
तभी डॉक्टर बोला, “हमारे इस हॉस्पिटल के सबसे बड़े डॉक्टर ने आपके बेटे को खून दिया हैं और वही आपके बेटे का ऑपरेशन कर रहे हैं।”
सेठ जी ने बड़ी अधीरता से पूछा, “क्या नाम है उनका ?”
डॉक्टर बोला, “डॉ० कुंदन ! उन्होंने आपको अंदर से देख लिया था, शायद आप उनके कोई बहुत ख़ास हैं इसीलिए आपके बेटे को खून दिया है, ऑपरेशन के बाद वह आपसे मिलेंगे “
यह सुनकर सेठ जी की आँखों से आँसू की धारा वह निकली। सेठ जी के पास अब कोई शब्द नहीं थे। वह चुप थे और सोच रहे थे कि क्या ऐसा भी होता है ???
दोस्तों ! सच में, ऐसा होता है। इस Story से हमें बहुत बड़ी सीख मिलती है। आजकल की Life बहुत Busy हो गयी है। बहुत से लोग किसी से बिना फायदा के बात तक नहीं करना चाहते। जरुरतमंद की सहायता करने योग्य होते हुए भी सहायता नहीं करते और पैसे को किसी व्यक्ति की जिंदगी या करियर से भी ऊँचा स्थान देते हैं।
ऐसी मानसिकता को बदलना होगा। हम लोग इंसान हैं और हमें इंसानियत को सबसे ऊपर रखना होगा। यह कहानी हमें बहुत कुछ अच्छे संदेश (Good massage) देती है—
1- अगर हम इस योग्य हैं कि किसी जरुरतमंद की सहायता कर सकते हैं तो हमें उसकी सहायता जरूर करनी चाहिए। 
2- किसी भी जरुरतमंद की सहायता यह सोचकर नहीं करनी चाहिए कि वह हमारे काम आएगा तभी हम उसकी सहायता करेंगे वरना नहीं करेंगे।
3- जिंदगी में पैसा ही सब कुछ नहीं होता। आपके द्वारा किये गए परोपकार और सहायता भी जिंदगी में कभी बहुत काम आते है।

Source: http://www.aapkisafalta.com/2015/09/inspirational-hindi-story-on-help-to-needy-person.html

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